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- विद द ग्रेस ऑफ...
वैसे मित्रो! सोसाइटी में अपनी पहचान बनाने के लिए आदमी क्या क्या पुट्ठे सीधे काम नहीं करता? किस किसके अव्वल दर्जे का मौकापरस्त होने के बाद भी वफादार कुत्ते की तरह तलुए नहीं चाटता? जिससे मन करे पूछ लीजिए। अगर वह आदमियत के प्रति जरा सा भी जवाबदेह होगा तो सब उगल देगा। ऐसे ही कई महानुभावों की तरह सोसाइटी में पहचान बनाने के लिए मैंने जायज नाजायज तक वह सब कुछ सीना तान कर किया जो बहुधा पूरी ईमानदारी से किया जा सकता था। वैसे यहां जायज नाजायज कुछ नहीं होता मित्रो ! इतिहास गवाह है, आदमी जब जब नाजायज का सहारा लेकर सफल हुआ है तो कल तक उसको मुंह भर भर गालियां देने वाला समाज उसके नाजायज को जायज डिक्लेयर कर उसकी आरती उतारता रहा है। जब मैं सोसाइटी में अपनी पहचान के लिए अपने व्यक्तित्व को लहूलुहान कर चुका तो मुझे एक पहचान से बहुत ऊपर उठ चुके ने बताया, 'मित्र! जो सोसाइटी में अपनी पहचान बनाना चाहते हो तो एक कुत्ता रख लो।
सोर्स- divyahimachal