सम्पादकीय

समझदारी भरा कदम

Subhi
4 March 2022 5:45 AM GMT
समझदारी भरा कदम
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लालच सभी बुराइयों का जनक है। अमीर और अमीर होना चाहते हैं और बड़े देश अपना और अधिक विस्तार करना चाहते हैं। इसका विनाशकारी परिणाम युद्ध के रूप में सामने आता है

Written by जनसत्ता: ला लच सभी बुराइयों का जनक है। अमीर और अमीर होना चाहते हैं और बड़े देश अपना और अधिक विस्तार करना चाहते हैं। इसका विनाशकारी परिणाम युद्ध के रूप में सामने आता है और उसका दंश झेलते हैं निरपराध लोग। कोरोना से ग्रस्त विश्व अर्थव्यवस्था को क्या युद्ध में झोंकना एक समझदारी भरा कदम है? रूस और यूक्रेन के साथ-साथ पूरी दुनिया को इसके विनाशकारी परिणाम भुगतने पड़ेंगे और इसके लिए जिम्मेदार राष्ट्रपति पुतिन हैं।

बावजूद इसके भारत को सुरक्षा परिषद में रूस के खिलाफ मतदान से अपने आपको अलग करना पड़ा। रूस के साथ दोस्ती निभाने के साथ-साथ यह भारत की मजबूरी भी रही होगी। क्योंकि हमारे बहुत से लोग अब भी वहां फंसे हुए हैं और उन्हें सुरक्षित बाहर निकालने में हमें रूस की सहायता की जरूरत पड़ेगी।

अगर किसी राष्ट्र को विकास के सभी आयामों को पाना है तो जरूरी है कि देश में स्वास्थ्य सेवाएं सस्ती और बेहतर हों तथा उनकी पहुंच समाज के हर वर्ग तक आसानी से उपलब्ध हो। पर हम देख रहे हैं कि देश में किस तरीके से अस्पतालों द्वारा लोगों से सुविधाओं और नाना प्रकार की जांचों के नाम पर मोटी रकम वसूली जाती है। देश में सरकार द्वारा भले ही स्वास्थ्य क्षेत्र में कल्याणकारी योजनाएं चलाई जा रही हों, पर अब भी लोगों को स्वास्थ्य बहुत महंगा पड़ रहा है। कई बार अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही के चलते मरीजों की जान तक चली जाती है। ऐसी घटनाओं का शिकार ग्रामीण लोग अधिक होते हैं।

सरकार द्वारा आयुष्मान योजना इस उद्देश्य से चलाई गई थी कि स्वास्थ्य सेवाएं सस्ते से सस्ता उपलब्ध हो सकें और आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को लाभ मिल सके। मगर हम देख रहे हैं कि अस्पतालों की मिलीभगत के चलते किस तरीके से इस योजना में अपात्र लोगों को भी लाभ दिया जा रहा है। केवल योजनाएं लागू कर देने से सब कुछ बेहतर नहींं हो जाता। इनकी निगरानी करनी और जरूरी सकारात्मक कदम उठाने होंगे।


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