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विशेष पुलिस प्रतिष्ठान अधिनियम को आजादी के पूर्व वर्ष 1946 में पारित किया गया था, बाद में कई बार संशोधित किया गया
'प्रियरंजन दासमुंशी,
विशेष पुलिस प्रतिष्ठान अधिनियम को आजादी के पूर्व वर्ष 1946 में पारित किया गया था, बाद में कई बार संशोधित किया गया। सीबीआई का संचालन, सीबीआई की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है। सबसे पहले, मैं अपनी पार्टी की तरफ से यह स्पष्ट करना चाहूंगा कि आज हम अयोध्या मुद्दे की चर्चा नहीं कर रहे हैं। इस मामले में हम अयोध्या का मुद्दा नहीं घसीट रहे हैं। कुछ हल्कों में यह गलत सोच है कि हम केवल अयोध्या की चर्चा में रुचि ले रहे हैं, लेकिन ऐसा नहीं है। यह घटना विशेष में विशेष अपराध से संबंधित है। उस अपराध में सीबीआई को जांच का काम सौंपा गया था, हम... सीबीआई के कार्य निष्पादन मांग पर चर्चा कर रहे हैं।...
मैं माननीय विधि मंत्री द्वारा व्यक्त की गई चिंता से पूरी तरह से सहमत हूं, जैसा कि समाचार-पत्रों में समाचार प्रकाशित हुए हैं कि संसद को न तो वाद-विवाद करना चाहिए, न ही सलाह देनी चाहिए, और न ही न्यायालय की कार्यवाही का मार्ग-निर्देश देना चाहिए एवं सीबीआई जैसी जांच एजेंसी को यह निर्देश नहीं देना चाहिए कि उसे किस तरह का आरोप लगाना चाहिए और किस तरह का नहीं। मैं उनके इस विचार से पूरी तरह से सहमत हूं। मैं अपनी पार्टी की तरफ से पुन: यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि इस मुद्दे पर चर्चा कराने के लिए, हमारी मंशा नहीं थी और अभी भी सीबीआई को निर्देश देने की हमारी मंशा नहीं है कि उसे किस तरह का रास्ता अपनाना चाहिए और किस तरह कार्य करना चाहिए। यह हमारा काम नहीं है। मैं इससे पूरी तरह से सहमत नहीं हूं।
...न्यायपालिका का आदर किस तरह से करना है हम जानते हैं। सीबीआई का कोई भी अधिकारी हमारा दुश्मन नहीं है। संगठन के पास कई प्रतिबद्ध अधिकारी हैं। विभिन्न राज्यों के भारतीय पुलिस सेवा संवर्ग के अधिकारीगण सीबीआई के उच्च पदों पर आसीन किए जाते हैं। कई अवसरों पर उन्होंने अच्छा कार्य किया है, लेकिन तब हमने इस मुद्दे पर वाद-विवाद का निर्णय क्यों लिया? ऐसा इसलिए कि हम एक संस्थान के रूप में सीबीआई की विश्वसनीयता कम नहीं करना चाहेंगे। जब मैं विश्वसनीयता की बात करता हूं, तब केंद्र सरकार सामने आती है। ...प्रधानमंत्री का वक्तव्य है, जिसे मैंने अखबारों में पढ़ा कि अपराध निश्चित होने के बाद सीबीआई को वस्तुनिष्ठ और पारदर्शिता के साथ जांच करनी है। ...हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। प्रधानमंत्री ने पुन: कहा, जैसा 7 जुलाई को प्रकाशित किया गया, 'सीबीआई प्रत्यक्ष रूप से मेरे अधीन है। जैसा कि अन्य संदर्भ में पहले ही संकेत किया गया है, सरकार मानती है कि लंबित अभियोजन में हस्तक्षेप विधि अनुसार, असंभव है।'...विश्वसनीयता की बात पर मैंने प्रधानमंत्री और सदन के नेता अटल बिहारी वाजपेयी को पत्र लिखा। इसमें लिखा है, 'आपके और आपके साथी लालकृष्ण आडवाणी के प्रति बिना किसी अनादर भाव के मैंने यह पत्र लिखा है, कृपया इस पत्र पर मर्यादा, राजनीतिक नैतिकता, निष्पक्षता और प्रशासनिक न्याय की दृष्टि से ध्यान दें।' प्रधानमंत्री ने कम से कम इस पत्र की अभिस्वीकृति की, इसके लिए मैं उनका आभारी हूं।...
अरुण जेटली, आप सरकार की रक्षा कर सकते हैं। मैं इसका बुरा नहीं मानता। यदि मैं आपकी स्थिति में होता, मैं भी सरकार को कैसे बचाना है, इसके लिए सभी दक्षताओं को प्राप्त करने का प्रयास करता। लेकिन आप इस निर्णय की गलत व्याख्या प्रस्तुत करने का प्रयास न करें। यह कोई सही तरीका नहीं है, लेकिन इसमें हस्तक्षेप अवश्य हुआ है। किस तरह? ...आज सीबीआई सभी विवरणों सहित न्यायालय में प्रस्तुत किए गए अपने आरोपपत्र को दोबारा तैयार करने में असमर्थ पाती है।...
लोग दो माह पहले यह समझ गए थे कि तहलका टेप 'सही' है। न्यायमूर्ति वेंकटस्वामी ने कहा था, यह ठीक है और इसकी जांच करने की आवश्यकता नहीं है और पुन: अन्य न्यायाधीश आए और कह रहे हैं, 'मैं इसकी जांच करूंगा।' अच्छी बात है, वे इसकी जांच कर सकते हैं। इसमें कोई समस्या नहीं है। ... किंतु जांच एजेंसी अपनी दलील को वापस नहीं ले सकती और न्यायालय के समक्ष साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत अपनी 24 अथवा 25 टेप नहीं दबा सकती और इसने 27वीं टेप प्रस्तुत की, जो आधी खाली है। इसी को मैं हस्तक्षेप कहता हूं, इसे मैं केंद्र सरकार की ओर से सीबीआई का जान-बूझकर किया गया दुरुपयोग कहता हूं।
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Rani Sahu
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