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एक जुलाई से देश में एक बार उपयोग में लाए जाने वाले प्लास्टिक (सिंगल यूज़ प्लास्टिक) पर प्रतिबंध सराहनीय और साहासिक कदम है। सिंगल यूज़ प्लास्टिक पर कई बार प्रतिबंध लगाए जाने की योजनाएं विभिन्न स्तरों पर बनाई गईं, लेकिन पूरे देश में एक साथ यह कदम पहली बार उठया जा रहा है जो कि एक सराहनीय पहल है। उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार विश्व में 300 मिलियन मीट्रिक टन प्लास्टिक का उत्पादन किया जाता है, जिसका प्रयोग उद्योग में, कुटीर उद्योग में तथा सबसे ज्यादा आम जीवन में किया जाता है। सुबह उठने से लेकर शाम को सोने तक यह सिंगल यूज़ प्लास्टिक हमें हर पल अपनी उपस्थिति का बोध करवाता है, चाहे वह दूध की थैली हो, प्लास्टिक की थैली में सब्जी हो, मिठाई के डिब्बे की पैकिंग हो, आईसक्रीम का कप हो, होटल-रेस्तरां में प्लेट, चम्मच हो, प्लास्टिक की बोतलें हों, चिप्स के पैकेट हों, हर जगह प्लास्टिक मिल जाएगा। प्रयोग के बाद यह प्लास्टिक घर, गली, मोहल्ले, पहाड़, नदी और सागर में चला जाता है। 14 मिलियन मीट्रिक टन प्लास्टिक महासागर में जाता है। मतलब करीब दो ट्रक प्लास्टिक का कूड़ा हर एक मिनट में सागर में फेंका जाता है। 20 मिलियन वर्ग किलोमीटर का एक क्षेत्र है जिसे 'ग्रेट पैसिफिक गार्बेज पैच' कहा जाता है।
सोर्स- Divyahimachal
