सम्पादकीय

मामा शिवराज सिंह चौहान का सैंटा क्लॉज अवतार बीजेपी के लिए चुनाव में मददगार साबित होगा?

Rani Sahu
24 May 2022 9:20 AM GMT
मामा शिवराज सिंह चौहान का सैंटा क्लॉज अवतार बीजेपी के लिए चुनाव में मददगार साबित होगा?
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मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) का नया अवतार सैंटा क्लॉज का है

दिनेश गुप्ता |

मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) का नया अवतार सैंटा क्लॉज का है. वे अपने इस अवतार में भोपाल की गलियों-घरों से अनुपयोगी खिलौने एकत्रित कर आंगनबाड़ी (Anganwadi) के बच्चों में वितरित करेंगे. ऐसा पहली बार है जब किसी राज्य का कोई मुख्यमंत्री गलियों में हाथ ठेला लेकर खिलौने दे दो की आवाज लगाता हुआ दिखाई देगा. मुख्यमंत्री चौहान ने वोटर से रिश्ता जोड़कर अपनी जमीन मजबूत की है. देश में उनकी पहचान मामा के तौर पर है. मामा की पहचान देने वाली उनकी योजना लाडली लक्ष्मी को देश के अधिकांश राज्यों ने अपने यहां लागू किया है. उनका सैंटा क्लॉज अवतार वोटर से खुद को जोड़ने के अभियान के तौर पर देखा जा रहा है.
हर बार नए अवतार में नजर आते हैं शिवराज सिंह चौहान
शिवराज सिंह बीजेपी ही नहीं हिन्दी भाषी राज्यों में अकेले ऐसा राजनेता हैं, जिन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी पर 17 साल से अधिक का समय हो गया. वे मार्च 2020 में चौथी बार राज्य के मुख्यमंत्री बने हैं. शिवराज सिंह चौहान हर विधानसभा चुनाव से पहले किसी न किसी नए अवतार में जनता के बीच सक्रिय दिखाई देते हैं. वे वर्ष 2005 में राज्य के मुख्यमंत्री बने तब वे किसान पुत्र मुख्यमंत्री के रूप में जनता के सामने आए. 2008 के विधानसभा चुनाव से पहले नायक के अवतार में दिखाई दिए थे. उन्होंने कुछ उसी तरह के एक्शन दिखाए जैसे हिन्दी फिल्म नायक में अनिल कपूर ने मुख्यमंत्री के तौर पर दिखाए थे. लोगों के बीच पहुंचकर उनकी समस्याओं का निराकरण करने का मुख्यमंत्री चौहान का यह अंदाज आज भी कभी-कभी देखने को मिल जाता है.
इन दिनों वे सुबह साढ़े छह बजे से ही सक्रिय हो जाते हैं. अपने बंगले से ही वे लगभग रोज दो जिलों के कलेक्टरों से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए बात करते हैं और कामकाज की समीक्षा करते हैं. कलेक्टरों को बताते हैं कि उनके जिले में कौन अधिकारी कर्मचारी काम नहीं कर रहा, भ्रष्टाचार कर रहा है. इन बैठकों के जरिए मुख्यमंत्री राज्य की नौकरशाही में कसावट लाने की कोशिश कर रहे हैं. पार्टी की अंदरूनी समीक्षा बैठकों में यह बात सामने आई थी कि नौकरशाही जन समस्याओं के निराकरण को लेकर उदासीन है. विपक्ष भी नौकरशाही की मनमानी को सरकार के खिलाफ इस्तेमाल कर रहा है.
चौहान के चेहरे पर ही लड़ा जाना है विधानसभा का चुनाव
राज्य में विधानसभा के चुनाव अगले साल के अंत तक होना है. गुजरात, उत्तराखंड अथवा त्रिपुरा की तरह चुनाव से पहले राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की कोई संभावना दिखाई नहीं देती. चुनाव शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा. पार्टी ने अगले विधानसभा चुनाव के लिए 51 प्रतिशत वोटों का लक्ष्य निर्धारित किया है. पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी को 41 प्रतिशत से अधिक वोट मिले थे.
कांग्रेस को बीजेपी से कम वोट मिले थे. सीटें अधिक जीतने के कारण कांग्रेस सरकार बनाने में सफल हो गई थी. 2018 के अनुभव के आधार पर ही पार्टी ने 51 प्रतिशत वोट हासिल करने की रणनीति बनाई है.
पार्टी यह मानकर चल रही है कि 45 प्रतिशत वोट आसानी से हासिल किए जा सकते हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए सरकारी योजनाएं और कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं.
अनुसूचित जाति और जनजाति के अलावा अन्य पिछड़ा वर्ग के वोटों को भी बीजेपी के पक्ष में करने की रणनीति बनाई गई है. आंगनबाड़ी के बच्चों को भी पार्टी सरकारी योजना के हितग्राही के तौर पर देख रही है. वर्तमान में मध्यप्रदेश के सभी 313 विकासखण्डों में 278 ग्रामीण, 102 आदिवासी परियोजनाएं संचालित हैं. इसके अतिरिक्त 73 शहरी बाल विकास परियोजनाओं सहित प्रदेश में कुल 453 समेकित बाल विकास परियोजनाएं संचालित हैं. 453 बाल विकास परियोजनाओं में कुल 84,465 आंगनबाड़ी केन्द्र एवं 12,670 उप आंगनबाड़ी केन्द्र स्वीकृत हैं. इन आंगनबाड़ी केन्द्रों के माध्यम से लगभग 89.86 लाख हितग्राहियों को आंगनबाड़ी सेवाओं (आई.सी.डी.एस.) से लाभान्वित किया जा रहा है.
आंगनबाड़ियों में बच्चों को पोषण आहार दिए जाने के साथ-साथ उनके बौद्धिक विकास की योजना भी है. इसके तहत खेल-खेल में अनौपचारिक शिक्षा भी दी जाती है. आंगनबाड़ी की गतिविधियों को बच्चों की रूचि के अनुसार बनाने के लिए ही सरकार खिलौना बैंक बनाने की योजना पर विचार कर रही है. इसके पहले चरण में मुख्यमंत्री चौहान भोपाल की गलियों और घरों से खिलौने एकत्रित करने निकल रहे हैं. कांग्रेस प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा कहते हैं कि सरकार को अपने बजट से आंगनबाड़ी के बच्चों के लिए खिलौने का इंतजाम करना चाहिए.
नेकी की दीवार की तरह होगा खिलौना संकलन केन्द्र
राज्य में पहले हर आंगनबाड़ी में खिलौनों के लिए पांच हजार रुपए हर साल सरकार की ओर से दिए जाते है. यह राशि केन्द्र सरकार की योजना से दी जाती थी. लेकिन, अब इस राशि को घटाकर एक हजार रुपए प्रति आंगनबाड़ी कर दिया गया है. राज्य अपने संसाधनों से भी आंगनबाड़ियों में खिलौने बेचने पर विचार कर रहा है. लेकिन, इसके पहले सरकार खिलौना बैंक की अपनी योजना को अमलीजामा पहनाना चाहती है. आधिकारिक प्रवक्ता ने कहा कि शहरों में कई घर ऐसे हो सकते हैं जहां बच्चों के खिलौने अच्छी हालत में हों और उनका उपयोग न हो रहा हो.
मुख्यमंत्री चौहान सिर्फ ऐसे जनजागृति के लिए ही हाथ ठेला लेकर खिलौने लेने निकल रहे हैं. बाद में एक ऐसा स्थान हर शहर में निर्धारित कर दिया जाएगा, जहां लोग अपने अनुपयोगी खिलौने जमा करा सकते हैं. इसी तरह की एक योजना सरकार ने अनुपयोगी कपड़े और सामग्री के बारे में बनाई थी. नेकी की दीवार के नाम से हर शहर एवं गांव में एक चबूतरा बनाया गया था. जिस पर लोग अपने अनुपयोगी कपड़े और सामग्री छोड़ जाते. कोई भी जरूरतमंद इस सामग्री को अपने घर ले जा सकता है.

सोर्स -tv9hindi.com

Rani Sahu

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