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सम्पादकीय
पाकिस्तान की करतूत पर कतर, मलेशिया अपना मुंह खोलने की जहमत उठाएंगे या नहीं?
Gulabi Jagat
10 Jun 2022 8:21 AM GMT

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पाकिस्तान की करतूत पर कतर
भारतीय मुसलमानों को लेकर घड़ियाली आंसू बहाने और अभी हाल में पैगंबर मोहम्मद साहब को लेकर की गईं टिप्पणियों के बहाने आसमान सिर पर उठाने तथा इस्लामी जगत को भारत के खिलाफ उकसाने वाला पाकिस्तान अपने यहां अल्पसंख्यकों का किस प्रकार दमन कर रहा है, इसका ताजा प्रमाण है कराची में एक मंदिर में किया गया हमला। इस हमले के दौरान न केवल प्रतिमाओं को तोड़ा गया, बल्कि लूटपाट भी की गई।
पाकिस्तान में यह कोई नई बात नहीं है। वहां अल्पसंख्यकों और विशेष रूप से हिंदू लड़कियों का अपहरण कर उन्हें पहले जबरन मुसलमान बनाया जाता है और फिर छल-बल का सहारा लेकर उनके अपहर्ता से ही उनका निकाह करा दिया जाता है। इसमें पुलिस, प्रशासन से लेकर अदालतें तक उन तत्वों का सहयोग करने को तत्पर रहती हैं, जो इन लड़कियों का अपहरण करते हैं। ऐसे मामलों में पाकिस्तान सरकार या तो चुप रहना पसंद करती है या फिर ऐसे जबरिया निकाह को कट्टरपंथी मुल्लाओं की तरह अल्लाह की मर्जी बताकर कर्तव्य की इतिश्री कर लेती है।
पाकिस्तान में जिस तरह हिंदुओं, सिखों और ईसाई लड़कियों का अपहरण एवं जबरन निकाह आम बात है, उसी तरह उनके धर्मस्थलों पर हमले भी। हिंदुओं के प्रति घृणा के चलते मंदिर खास तौर पर निशाने पर रहते हैं। स्थिति कितनी भयावह है, इसे इससे समझा जा सकता है कि कुछ समय पहले जब खैबर पख्तूनख्वा में एक मंदिर को जलाने वालों पर अदालत ने जुर्माना लगाया, तो उसे हिंदुओं को ही भरना पड़ा। यह अंधेरगर्दी इसलिए हुई, क्योंकि हिंदुओं को धमका कर उन पर यह दबाव बनाया गया कि अमन-चैन बनाए रखने के लिए बेहतर यही होगा कि वे दोषियों पर लगाया गया जुर्माना खुद भरें। उन्हें ऐसा करना पड़ा।
पाकिस्तान में अहमदियों, ईसाइयों के साथ हिंदुओं एवं सिखों के उत्पीड़न का सिलसिला एक लंबे अर्से से कायम है, लेकिन न तो विश्व समुदाय इस पर ध्यान देने को तैयार है और न ही वह ओआइसी यानी इस्लामिक सहयोग संगठन, जो पाकिस्तान के इशारे पर भारत के मामलों में अनावश्यक दखल देने को उतावला रहता है। बीते दिनों इस्लामी देशों में जो भारत विरोधी माहौल बनाया गया, उसमें पाकिस्तान की तो एक बड़ी भूमिका थी ही, ओआइसी का भी हाथ था। भारत ने तब उचित ही पाकिस्तान के साथ ओआइसी को फटकार लगाई थी। अब कराची में मंदिर पर हमले की घटना को लेकर उसे फिर से ओआइसी को आईना दिखाना होगा। इसी के साथ ही इस संगठन के अन्य देशों और खासकर कतर, मलेशिया आदि से भी यह सवाल करना होगा कि पाकिस्तान में जो कुछ हो रहा है, उस पर वे अपना मुंह खोलने की जहमत उठाएंगे या नहीं?
दैनिक जागरण के सौजन्य से सम्पादकीय
Tagsपाकिस्तान

Gulabi Jagat
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