संयम श्रीवास्तव। साल 2014 से अब तक केंद्र में नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की सरकार है और विशेषज्ञों की मानें तो विपक्ष अगर इसी तरह बिखरा रहा तो साल 2024 के लोकसभा चुनाव (2024 Lok Sabha Elections) में भी बीजेपी का पलड़ा भारी रहने वाला है. शायद यही वजह है कि आज देश की तमाम राजनीतिक पार्टियां धीरे-धीरे एक होने का प्रयास कर रही हैं. दशकों की राजनीति के बाद ऐसा देखने को मिला है जब अलग-अलग विचारधारा के दल एक साथ, एक पार्टी या एक व्यक्ति के विरोध में खड़े हो रहे हैं. यह बिल्कुल करीब 44 साल पहले के भारत की राजनीतिक स्थिति की याद दिलाता है. 70 के दशक में इमरजेंसी के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) के विरोध में ऐसे ही देश की तमाम राजनीतिक पार्टियां एक हो गई थीं, इसमें लेफ्टिस्ट, राइटिस्ट हर विचारधारा के दल मौजूद थे. लेकिन तब के विपक्ष की एकजुटता और अब के विपक्ष की एकजुटता में जमीन आसमान का फर्क है. तब जो सामंजस्य विपक्ष में दिखता था आज वह गायब है.