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- याद आएंगे ये पल...
आदित्य नारायण चोपड़ा: बालीवुड के प्रसिद्ध गायक कृष्ण कुमार कुन्नथ यानि केके महज 53 वर्ष की उम्र में इस भौतिक संसार को अलविदा कह गए हैं। उनका जन्म दिल्ली में मलियाली परिवार में हुआ, राजधानी के माउंट सेंट मैरी स्कूल से शिक्षा हासिल कर उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के किरोड़ीमल कालेज में ग्रेजुएशन पूरी की। इसलिए दिल्ली उनकी रग-रग में बसती थी। केके का बचपन का सपना भले ही डाक्टर बनना रहा लेकिन उनकी गायक प्रतिभा उन्हें संगीत की दुनिया में ले आई। उन्होंने संगीत की शिक्षा किसी से नहीं ली थी, फिर भी उनका सुर-ताल मुकम्मल था। इसका अर्थ यही है कि उनकी प्रतिभा 'गॉड गिफ्ट्ड' थी। एक कम्पनी में मार्केटिंग एक्जीक्यूटिव की नौकरी भी की लेकिन उनका सपना तो कहीं और था। उन्होंने एड फिल्मों के लिए गाना शुरू किया। धीरे-धीरे विज्ञापन एजैंसियां उनसे सम्पर्क करने लगीं। उन्होंने अपने दोस्तों के साथ एक रॉक बैंड की स्थापना भी की थी। केके ने सिंगिंग करियर में 3500 से ज्यादा जिंगल्स गाए। मुम्बई उनका इंतजार कर रही थी। ज्यों-ज्यों संघर्ष बढ़ता गया वैसे-वैसे उनकी आवाज भी पुरजोर होती गई। यद्यपि उन्हें पहला ब्रेक गुलजार साहब की फिल्म माचिस में 1996 में मिला लेकिन फिल्म के गीत 'छोड़ आए हम' में उनके साथ कई दूसरे गायक भी थे, इसलिए इनकी पहचान नहीं बन पाई। सोलोसिंगिंग का मौका उन्हें 1999 में संजय लीला भंसाली की फिल्म 'हम दिल दे चुके सनम' के गाने 'तड़प-तड़प' से मिला। इसी गाने ने केके को पूरे देश में पहचान दी। फिर केके का एक एलबम रिलीज हुआ, जिसका नाम था 'याद आएंगे ये पल'। इस एलबम ने केके को युवाओं के बीच लोकप्रिय बना दिया। आज भी स्कूल-कालेज के विदाई समारोहों में गाए जाने वाला यह लोकप्रिय गाना है। उन्होंने कई सुपर हिट गानों को आवाज दी। उन्होंने हिन्दी के अलावा तेलगू, मलयालम, कन्नड़ और तमिल भाषाओं में भी कई सुपरहिट गीत गाए। क्रिकेट प्रेमियों को 1999 में क्रिकेट विश्व कप के दौरान भारतीय क्रिकेट टीम के समर्थन में गाया हुआ जोश ऑफ इंडिया गाना आज तक याद है। केके ने जब संगीत इंडस्ट्री में प्रवेश किया था तब कुमार शानू, उदित नारायण, सोनू निगम, अभिजीत जैसे बड़े-बड़े गायक उस समय लोकप्रिय थे। इस दौर में नामी गायकों के बीच अपनी जगह बनाना आसान नहीं था। केके और उनके समकालीन शान दोनों ने अपनी-अपनी प्रतिभा के चलते कामयाबी हासिल की। उसके बाद तो केके के एक के बाद एक हिट गीत आते गए। 'खुदा जाने' गीत ने उनकी लोकप्रिया को बुलंदियों पर पहुुंचा दिया। संपादकीय :हिन्दुओं का 'काबा' काशी ज्ञानवापीअर्थव्यवस्था स्पीड मोड परकश्मीर में निशाने पर कश्मीरीअश्विनी मिन्ना सिंगर अवार्ड की धूमभारत का सम्मानः काशी-मथुरासिविल सर्विसेज : देश का स्टील फ्रेमकेके को न तो शराब की लत थी न स्मोकिंग की और वह फिल्मी पार्टियों में भी जाना पसंद नहीं करते थे। केके परिवार वाले इंसान थे और लोकप्रिय होने के बावजूद वह साधारण जीवन जीते थे। वह काम करने के बाद परिवार के साथ रहना ही पसंद करते थे। उनके आकस्मिक निधन को प्रारब्ध ही माना जाएगा लेकिन उनकी मौत के बाद जो भी सवाल उठे उन्हें लेकर अंतिम निष्कर्ष तक पहुंचना भी जरूरी है। यद्यपि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उनकी मौत असामान्य नहीं पाई गई लेकिन कोलकाता के शो में भयंकर गर्मी में परफोरमैंस देने के बाद उनकी तबीयत बिगड़ना और फिर उनका मृत्यु की आगोश में सो जाना। उनकी परिस्थितियों की ओर संकेत जरूर करता है कि शो प्रबंधन में कहीं न कहीं चूक या लापरवाही जरूर हुई। ऊपर वाले का क्या खेल है पता नहीं, पर जो भी हुआ वो नहीं होना चाहिए था। केके की रसीली खूबसूरत आवाज हमेशा हमारे कानों में गूंजती रहेगी। उसका बोलना, उसके गाने दोस्तों को याद आते रहेंगे। फिल्म इंडस्ट्री के दिग्गजों ने उनके साथ बहुत काम किया। इतने सालों में केके को लेकर कभी कोई कंट्रोवरसी सामने नहीं आई। उन्होंने कभी मीडिया में छाने की कोशिश भी नहीं की। केके का जाना बस एक कहानी की तरह है। एक प्रतिभा जिसमें गरिमा थी। एक ऐसा शख्स जो अनमोल रत्न की तरह था। उनके जाने से संगीत की दुनिया में हुए नुक्सान से उभरने में बहुत समय लगेगा।