सम्पादकीय

क्या मंडी रैली चुनावी ब्रह्मास्त्र साबित होगी

Rani Sahu
23 Sep 2022 7:00 PM GMT
क्या मंडी रैली चुनावी ब्रह्मास्त्र साबित होगी
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हिमाचल में विधानसभा चुनावों की घोषणा चुनाव आयोग कभी भी कर सकता है। सत्तारूढ़ दल भारतीय जनता पार्टी की यह कोशिश रहेगी कि चुनाव की विधिवत घोषणा होने से पहले कितनी रैलियां और आम जनता से संपर्क स्थापित किया जा सकता है, उसी बात को ध्यान में रखते हुए शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंडी के पड्डल मैदान में भारतीय जनता युवा मोर्चा की एक बड़ी रैली को संबोधित करेंगे। इस रैली में प्रदेश का एक बड़ा युवा वर्ग भाग लेगा जिसमें 40 वर्ष की आयु तक के युवा कार्यकर्ता भाग लेंगे। पिछले कुछ सालों में राजनीति में युवा की परिभाषा बदल गई है और उनकी सोच भी। इस रैली की सफलता के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और उनके मंत्रिमंडल के कई सदस्य दिन-रात एक कर मेहनत कर रहे हैं। जयराम ठाकुर प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री हैं जिन्होंने प्रदेश के हर भाग में लोगों को मिलना जारी रखा। इससे उनकी लोकप्रियता तो बढ़ी है। बात करते हैं 24 सितंबर को होने वाली रैली की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले साल 27 दिसंबर को भी इसी मैदान में एक बड़ी रैली को संबोधित कर चुके हैं। यह रैली उनके लिए इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि शिमला में अपने कार्यकाल के आठ वर्ष पूरा होने पर रिज मैदान पर की गई रैली में वे हिमाचल की जनता को कुछ दे नहीं पाए थे। रैली एक फोटो ऑप बन कर रह गई थी। हिमाचल की जनता को उस रैली से बहुत उम्मीदें थीं। अब प्रदेश की जनता यह आस लगाए बैठी है कि रोजगार और पूर्व कर्मचारियों की बकाया पेंशन राशि को लेकर प्रधानमंत्री कुछ घोषणा करें। प्रदेश के मुख्यमंत्री धनाभाव के कारण इस मुद्दे पर ज्यादा कुछ कर नहीं पाए हैं। सेवानिवृत्त नागरिकों का एक बड़ा हिस्सा प्रदेश का वोट बैंक भी है क्योंकि वे घर के बुजुर्ग भी होते हैं तो चुनाव में अपने परिवार को वोट डालने के लिए प्रेरित भी कर सकते हैं।
हिमाचल प्रदेश की 68 विधानसभा सीटों के लिए चुनाव होने हैं। हिमाचल प्रदेश में चार लोकसभा की सीटें हैं। हर लोकसभा क्षेत्र में 17 विधानसभा क्षेत्र हैं। हिमाचल की आबादी 2011 की जनगणना के अनुसार 68.6 लाख थी, लेकिन आधार कार्ड आंकड़ों के अनुसार यह जनसंख्या 2021-2022 में 7316308 हो गई है। इस पहाड़ी राज्य में कुल 5376077 मतदाता हैं। 100524 मतदाता पिछले वर्ष उपचुनावों के समय और जुड़ गए थे। इनमें 54087 मतदाता पहली बार अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। प्रदेश में 2718055 पुरुष व 2658005 महिला मतदाता हैं। सुलह विधानसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा 101627 मतदाता हैं और दुर्गम क्षेत्र लाहुल में 24024 मतदाता हैं। प्रदेश में अल्पसंख्यकों की संख्या तीन लाख से कम है, जिनमें मुस्लिम, सिख, बौद्ध, ईसाई और जैन शामिल हैं। हिमाचल में चुनाव उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश की तरह केवल जातीय समीकरणों पर ही नहीं लड़े जाते, और भी कई कारण हैं, जैसे लोगों का शिक्षित और जागरूक होना, अपने फैसले खुद लेना और असमंजस की स्थिति में बड़ों की राय लेना। हिमाचल में हर पांच साल में अमुक पार्टी की सरकार बदलती है, लेकिन इस बार यह निर्णय थोड़ा कठिन है क्योंकि इस बार मुकाबला त्रिकोणीय है। आम आदमी पार्टी दोनों दलों को चुनौती देने की कोशिश में है। आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल जो दिल्ली के मुख्यमंत्री भी हैं, हिमाचल में आगामी चुनावों के प्रति बहुत आशावान हैं।
वह दिल्ली सरकार का शिक्षा और स्वास्थ्य मॉडल हिमाचल की जनता को परोसने की कोशिश कर रहे हैं। हिमाचल के स्कूलों तथा स्वास्थ्य संस्थानों को नया जीवन प्रदान करने की बात कर रहे हैं। पिछले कुछ महीनों में दिल्ली सरकार के कुछ मंत्रियों पर भ्रष्टाचार में लिप्त होने की खबरों ने पार्टी की छवि खऱाब की है। उसी तरह पंजाब के आप सरकार के मंत्रियों को भी भ्रष्टाचार के आरोप में निलंबित किया गया है। पार्टी में काफी मतभेद हैं। लोगों का भरोसा आम आदमी पार्टी से उठ रहा है। पंजाब में कानून व्यवस्था दिन प्रतिदिन खराब हो रही है। हिमाचल प्रदेश में उनका यह दिल्ली विकास मॉडल शायद जनता को ज्यादा प्रभावित न कर सके क्योंकि हिमाचल की भौगोलिक परिस्थितियां अलग हैं। हिमाचल के लोग सरकार द्वारा दी जा रही सुविधाओं का स्वागत करते हैं, लेकिन उन्हें मुफ्त कुछ नहीं चाहिए। उनकी प्रवृत्ति कमा कर खाने की है। कोई भी कर्मठ हिमाचली यह नहीं चाहेगा कि उसे हर चीज़ मुफ्त में देकर पंगु बना दिया जाए। हिमाचल प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी ने अपने अब तक के कार्यकाल में अधिकतर समय कोरोना से जूझते हुए बिताया और पिछले दो साल में आम लोगों की सुख सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए काम किया।
सरकार द्वारा चलाया गया जनमंच कार्यकम काफी सराहा जा रहा है जिसमें मौके पर नागरिकों की समस्याओं का निवारण करना शामिल है। भारतीय जनता पार्टी के चार वर्ष पूरे होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 27 दिसंबर 2021 को मंडी में आयोजित समारोह में न केवल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की पीठ थपथपाई, बल्कि हिमाचल को कई बड़ी परियोजनाओं की सौगात भी दी। औद्योगिक विकास के लिए कई व्यापार और विकास संधियों पर हस्ताक्षर किए। रोजग़ार के नए अवसर प्रदान किए जाएं, इसके लिए योजनाएं बनाईं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हिमाचल की जनता के प्रति अथाह स्नेह इस बात का प्रतीक है कि उन्होंने केंद्र में भाजपा सरकार के आठ वर्ष पूरे होने का समारोह शिमला में मनाया। यही नहीं लोगों से सीधा संवाद भी किया। उसके बाद वे धर्मशाला आए जहां पर हिमाचल वासियों ने उन पर पुष्प वर्षा की। केंद्र के बहुत से मंत्री हिमाचल के दौरों पर आ रहे हैं। त्रिदेव सम्मेलन में केंद्रीय मंत्रियों का उत्साह पूर्वक भाग लेना इस बात को दर्शाता है कि भाजपा प्रदेश में सरकार बनाने के लिए कितनी गंभीर है। हिमाचल में भले ही आम आदमी पार्टी के पोस्टर जगह-जगह दिखाई दे रहे हों, लेकिन मुख्य चुनावी लड़ाई भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस पार्टी के बीच है। हिमाचली तय करेंगे कि इस बार किस पार्टी की सरकार बनेगी। भले ही भारतीय जनता पार्टी का पलड़ा भारी प्रतीत हो रहा है, लेकिन हिमाचल में कांग्रेस पार्टी को किसी मुगालते में रहकर कम नहीं आंका जा सकता। प्रधानमंत्री की पड्डल रैली हिमाचल प्रदेश में भारतीय जनता युवा मोर्चा के लिए एक दिशा तय करने में मदद करेगी। उसके बाद युवा तय करेगा कि वह किस ओर जाना चाहेगा, जहां उसे उसके भविष्य के बारे में आने वाली सरकार गंभीरता से सोचेगी। चाहे वह किसी भी दल की हो। प्रधानमंत्री की इस रैली में एक लाख से ज्यादा युवा भाग लेंगे। प्रधानमंत्री की मंडी रैली क्या चुनावी ब्रह्मास्त्र साबित होगी, यह आने वाला समय बताएगा।
रमेश पठानिया
स्वतंत्र लेखक
By: divyahimachal
Rani Sahu

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