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आज स्वर साम्राज्ञी लता मंगेशकर नहीं रहीं और हम सांस्कृतिक रूप से गरीब हो गए
जयप्रकाश चौकसे का कॉलम:
आज स्वर साम्राज्ञी लता मंगेशकर नहीं रहीं और हम सांस्कृतिक रूप से गरीब हो गए। गोया कि हर देश में अमीरी-गरीबी के मानदंड अलग-अलग होते हैं। कुछ देशों में जानवरों के मालिकाना हक से साधन संपन्न होना अमीरी का मानदंड होता है। भारत में किसान के पास उसके बैल और गाय होना उसे साधन संपन्न बनाते हैं और इसी तरह सांस्कृतिक संपदा भी किसी देश की बड़ी पूंजी होती है।
ज्ञातव्य है कि, लता मंगेशकर के पिता दीनानाथ मंगेशकर शहर-दर-शहर अपने कलाकारों के साथ जाकर नाटक मंचित करते थे। एक ऐसी ही यात्रा में दीनानाथ, इंदौर में थे। उन्होंने सिख मोहल्ले के निकट एक मकान किराए से लिया था। इसी स्थान पर लता जी का जन्म हुआ था इसलिए इंदौर उनकी जीवन यात्रा का यादगार पड़ाव रहा। दीनानाथ जी की असमय मृत्यु के बाद परिवार का सारा दायित्व लता जी पर आ गया था।
जयपुर में जन्मे खेमचंद प्रकाश ने लता से फिल्म 'महल' के लिए गीत गवाया, 'आएगा आने वाला…।' बस इसी तर्ज पर हमारी प्रार्थना है कि लता को भी पृथ्वी पर पर पुनः आने का आशीर्वाद ईश्वर दे। कभी-कभी लगता है कि अंतरिक्ष में कोई यक्ष प्रार्थना कर रहा था और उसके कांपते हाथों से पूजा का एक फूल पृथ्वी पर गिरा, जिसे हम लता मंगेशकर के नाम से जानते हैं।
शुरुआत में लता के गायन पर तत्कालीन लोकप्रिय गायिका नूरजहां का प्रभाव था। संगीतकार, शंकर जयकिशन और राज कपूर ने लता जी को कहा कि उन्हें अपनी शैली को ही मांजते रहना चाहिए। वे अपनी ईश्वर प्रदत्त शैली में ही गाएं। उनकी व्यक्तिगत शैली भविष्य में प्रतिभा और परंपरा का प्रतीक बन जाएगी।
गौरतलब है कि लता जी के निवास क्षेत्र में फ्लाईओवर बनाया जाने वाला था। लेकिन लता जी को कुछ आपत्तियां थीं और तत्कालीन महाराष्ट्र सरकार ने फ्लाईओवर के मार्ग में परिवर्तन किया क्योंकि सांस्कृतिक संपदा से बड़ा कुछ भी नहीं होता। लता मंगेशकर को क्रिकेट देखने का बड़ा शौक था। उन्हें सुनील गावस्कर और सचिन तेंदुलकर का खेल बहुत पसंद था और वे गायन से समय निकालकर मैच देखने जाती थीं।
फिल्मकार महबूब खान किसी काम से लंदन गए। वहां उन्हें बुखार आ गया डॉक्टरों की टीम ने इलाज से रोग ठीक कर दिया परंतु उन्हें नींद नहीं आती थी। नींद की दवा का भी कोई असर नहीं हुआ। कई प्रयास हुए एक दिन लंदन अस्पताल से लता जी के पास फोन आया। महबूब ने उनसे प्रार्थना की कि वे फोन पर ही उन्हें फिल्म 'चोरी चोरी' का शंकर जयकिशन का संगीतबद्ध गीत 'रसिक बलमा हाय दिल क्यों लगा तोसे' सुनाएं। वही गीत दो बार फोन पर सुनने के बाद महबूब खान को नींद आ गई। शीघ्र ही वे सेहतमंद हो गए और भारत लौटकर लता से मिलने गए।
गौरतलब यह है कि महबूब खान की बनाई अधिकांश फिल्मों में नौशाद का संगीत रहा परंतु अस्पताल कक्ष में उन्हें शंकर जयकिशन की धुन ही याद आई। क्या लता मंगेशकर का पुनर्जन्म होगा या हो चुका है? लता जी हमारी समवेत प्रार्थना को सुनकर धरती पर दूसरी बार भी आएंगी? प्रार्थना करते समय जिस यक्ष के कांपते हाथों से पूजा का फूल पृथ्वी पर गिरा और जिसे हम लता के नाम से पूजते हैं, क्या वही यक्ष कुछ समय पश्चात हमें लता लौटा देंगे? बोनी कपूर 'पुकार' नामक फिल्म बना रहे थे।
संगीतकार रहमान अपने चेन्नई स्थित स्टूडियो में ही काम करते हैं। रहमान लता जी को इतना आदर देते थे कि वे अपनी टीम के साथ मुंबई आए और गीत रिकॉर्ड हुआ। उनकी तो हर श्वास एक तराना थी। आज न केवल भारत में शोक की लहर है वरन दुनिया के अनेक देशों में लता जी को आदर देने वाले रो रहे हैं।
राज कपूर एक खूबसूरत फिल्म अभिनेता और उस सांवली गायिका की कथा पर फिल्म बनाना चाहते थे। लेकिन लता जी ने इंकार कर दिया कि लोग यथार्थ में समानता खोजेंगे जो सत्य नहीं है। दरअसल लता पुराण अनंत है। बस प्रार्थना ही हमारे बस में है।
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