सम्पादकीय

कोरोना संक्रमण से फिर रहना होगा सावधान, कई राज्‍यों में बढ़ रहे मामले

Rani Sahu
12 Aug 2022 4:07 PM GMT
कोरोना संक्रमण से फिर रहना होगा सावधान, कई राज्‍यों में बढ़ रहे मामले
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कोरोना संक्रमण से फिर रहना होगा सावधान

सोर्स- Jagran

चूंकि अब आवाजाही पर किसी तरह की कोई रोक नहीं इसलिए अन्य राज्यों में भी कोरोना संक्रमण फैलने की आशंका है। इस आशंका को निराधार नहीं कहा जा सकता क्योंकि प्रतिदिन संक्रमित होने वाले लोगों की संख्या 16 हजार के ऊपर पहुंच गई है।
देश के कुछ हिस्सों में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए केंद्र सरकार ने राज्यों को यह जो परामर्श दिया कि स्वतंत्रता दिवस संबंधी आयोजनों में भारी भीड़ एकत्र करने से बचा जाए, उस पर न केवल राज्य सरकारों, बल्कि उनके प्रशासन को भी ध्यान देना चाहिए। इसके साथ ही आम जनता को भी नए सिरे से सतर्क हो जाना चाहिए, क्योंकि केंद्र सरकार ने लोगों से भी यह अपील की है कि वे मास्क पहनने के साथ संक्रमण से बचे रहने के अन्य उपायों को अपनाने में हीलाहवाली न करें। इस सबके साथ ही यह भी अपेक्षित है कि लोग सतर्कता डोज लगवाने के मामले में तत्परता का परिचय दें।
ऐसा इसलिए प्राथमिकता के आधार पर किया जाना चाहिए, क्योंकि दिल्ली, केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र आदि राज्यों में कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं। चूंकि अब आवाजाही पर किसी तरह की कोई रोक नहीं, इसलिए अन्य राज्यों में भी कोरोना संक्रमण फैलने की आशंका है। इस आशंका को निराधार नहीं कहा जा सकता, क्योंकि प्रतिदिन संक्रमित होने वाले लोगों की संख्या 16 हजार के ऊपर पहुंच गई है। शायद यही कारण है कि दिल्ली समेत कुछ और राज्यों ने कोरोना संक्रमण पर लगाम लगाने के लिए कई तरह की पाबंदियों को दोबारा लागू करना शुरू कर दिया है।
यह ठीक है कि इतनी बड़ी आबादी वाले देश में कोरोना के सक्रिय मामले सवा लाख के करीब ही हैं और फिलहाल संक्रमण की चपेट में आने वाले पहले के मुकाबले कहीं जल्दी उबर जा रहे हैं, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि यह मान लिया जाए कि कोरोना वायरस से पीछा छूट गया है। उसके संक्रमण की गति कम अवश्य हुई है, लेकिन वह थमी नहीं है। ऐसे में यह आवश्यक है कि कोरोना संक्रमण से बचे रहने के लिए सतर्क रहा जाए।
कम से कम भीड़-भाड़ वाले स्थानों में तो ऐसा अवश्य किया जाना चाहिए। यह किसी से छिपा नहीं कि सार्वजनिक स्थानों पर मास्क का उपयोग लगातार कम होता दिख रहा है। जब यह तय नहीं कि देश-दुनिया को कब तक कोरोना के साये में रहना पड़ेगा, तब सतर्कता का परित्याग करना एक तरह से संक्रमण को निमंत्रण देना है।
नि:संदेह यह भी आवश्यक है कि उस सुस्ती का परित्याग किया जाए, जो कोविड रोधी टीके की तीसरी डोज यानी सतर्कता डोज लगवाने के मामले में दिखाई जा रही है। यह ठीक नहीं कि जहां पहली डोज की संख्या 102.28 करोड़ और दूसरी की 93.72 करोड़ पहुंच गई है, वहीं सतर्कता डोज की संख्या 12 करोड़ से भी कम है। यह स्थिति तब है, जब सतर्कता डोज मुफ्त लगवाने की सुविधा प्रदान कर दी गई है। इस सुविधा का लाभ उठाया जाना चाहिए।
Rani Sahu

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