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सम्पादकीय
क्या प्रशांत किशोर का राहुल गांधी को आईना दिखाना कांग्रेस पार्टी को भाएगा?
Shiddhant Shriwas
29 Oct 2021 6:48 AM GMT
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प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) पिछले कई सालों से पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के सलाहकार बने हुए हैं.
यह जरूरी नहीं है कि चुनावी रणनीतिकार और विशेषज्ञ प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) की हर एक बात से हर कोई सहमत हो. पर बुधवार को प्रशांत किशोर ने जो कुछ भी कहा उससे असहमत होने की गुंजाइश बहुत कम है. प्रशांत किशोर बुधवार को गोवा में थे, जाहिर सी बात है कि वह वहां तृणमूल कांग्रेस (TMC) अध्यक्ष ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) के गोवा (Goa) दौरे से पहले तृणमूल कांग्रेस के लिए भूमि तैयार करने गए थे. ममता बनर्जी कल गोवा के तीन दिन के दौरे पर पहुंची. कयास यही लगाया जा रहा है कि तृणमूल कांग्रेस ने प्रशांत किशोर की रणनीति के तहत ही गोवा में आगामी विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया है.
ममता बनर्जी के गोवा आगमन के ठीक एक दिन पहले प्रशांत किशोर गोवा में कहीं कुछ लोगों को राजनीति का ज्ञान बांट रहे थे, जिसका वीडियो कल सामने आया. इस वीडियो में प्रशांत किशोर यह कहते हुए दिखे कि बीजेपी भारत की राजनीति से अगले कई दशकों तक कहीं जाने वाली नहीं है, ठीक उसी तरह जैसे आज़ादी के बाद लगभग चार दशकों तक भारत की राजनीति में कांग्रेस पार्टी का दबदबा रहा था.
राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि, वह इस बात को समझते नहीं कि फ़िलहाल बीजेपी कहीं जाने वाली नहीं है. प्रशांत किशोर के अनुसार राहुल गांधी सिर्फ यह मान कर बैठे हैं कि लोग बीजेपी से नाराज़ हैं और भारत की जनता बीजेपी को एक बार फिर से हासिए पर ले आएगी. प्रशांत किशोर ने कहा, "जिस पार्टी को 30 प्रतिशत से अधिक वोट मिला हो वह इतनी जल्दी कहीं नहीं जाती."
प्रशांत किशोर अब शायद ही कांग्रेस के करीब जाएं
बीजेपी के उत्थान से कांग्रेस पार्टी के पतन का तार सीधा जुड़ा है. कांग्रेस पार्टी में पिछले लगभग 10 वर्षों से राहुल गांधी की ही तूती बोल रही है, उनकी समझ और सोच से ही पार्टी चल रही है. लोकसभा का चुनाव हो या राज्यों में विधानसभा चुनाव, कांग्रेस पार्टी एक के बाद एक चुनाव हारती जा रही है, पर पिछले साढ़े सात वर्षों से राहुल गांधी की बस एक ही नीति रही है कि मोदी की आलोचना और उनके हर काम में कमी निकालना ही बीजेपी को पराजित करने के लिए पर्याप्त होगा. उनकी स्थिति ठीक उस अलसी व्यक्ति की तरह है जो यह सोच कर के पेड़ पर चढ़ने की कोशिश ही नहीं करता कि उसकी जरूरत ही क्या है जबकि एक ना एक दिन आम टूट कर नीचे गिरेगा ही, बस पेड़ के नीचे मुंह बाए बैठे रहो, आम खुद ही मुहं में टपक जाएगा.
प्रशांत किशोर की भी राहुल गांधी के बारे में कुछ ऐसी ही राय दिख रही है, जो सोलाह आने सटीक है. बीजेपी की मजबूती और कांग्रेस की दुर्दशा पर प्रशांत किशोर द्वारा राहुल गांधी को दोष देने का एक सीधा मतलब निकलता है कि प्रशांत किशोर अब कांग्रेस पार्टी में शामिल नहीं होने वाले हैं. पिछले दिनों खबरों का बाज़ार गर्म था कि प्रशांत किशोर कांग्रेस पार्टी में शामिल होने वाले हैं. कहा जा रहा था कि उनकी सिर्फ एक ही शर्त थी कि कांग्रेस पार्टी कोई भी फैसला करने से पहले उनसे सलाह करे, जो शायद राहुल गांधी के नजदीकियों को नामंजूर था. अगर ऐसा होता तो उनकी पार्टी में हैसियत ही ख़त्म हो जाती. काफी समय तक प्रतीक्षा करने के बाद लगता है कि प्रशांत किशोर ने फैसला कर लिया है कि कांग्रेस से दूर रहना ही उनके लिए बेहतर होगा, क्योकि कांग्रेस पार्टी सुधरने वाली नहीं है.
बंगाल की दीदी को देश की दीदी बनाना चाहते हैं प्रशांत किशोर
प्रशांत किशोर पिछले कई सालों से पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के सलाहकार बने हुए हैं. पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस की शानदार जीत के बाद प्रशांत किशोर इनदिनों ममता बनर्जी को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ विपक्ष की तरफ से विकल्प के रुप में स्थापित करने का प्रयास कर रहे हैं. प्रशांत किशोर की नज़र दो छोटे बीजेपी शासित राज्यों त्रिपुरा और गोवा पर टिकी है और तृणमूल कांग्रेस का गोवा चुनाव लड़ने का फैसला उसी राजनीति का हस्सा है.
गोवा कांग्रेस के वरिष्ट नेता और पूर्व मुख्यमंत्री लुइजिन्हो फलेरो पिछले महीने तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए. फलेरो ने बाद में यह स्वीकार किया था कि प्रशांत किशोर ने उनसे संपर्क साधा था. जिसके बाद ही उन्होंने कांग्रेस पार्टी को छोड़ कर तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने का निर्णय लिया था. अब गोवा के पूर्व उपमुख्यमंत्री और गोवा फारवर्ड पार्टी के अध्यक्ष विजय सरदेसाई का एक बयान आया है. सरदेसाई ने भी कहा है कि प्रशांत किशोर उनके संपर्क में थे और वह चाहते थे कि सरदेसाई अपनी पार्टी का तृणमूल कांग्रेस में विलय कर दें और बदले में तृणमूल कांग्रेस गोवा की कमान उनके हाथों में दे देगी.
राहुल गांधी की जगह ममता बनर्जी को विपक्ष का विकल्प बनाना चाहते हैं प्रशांत
सरदेसाई ने बताया कि उन्होंने विलय के प्रस्ताव को ठुकरा दिया और प्रशांत किशोर को बदले में तृणमूल कांग्रेस को गठबंधन का न्योता दिया जिसपर अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है. साफ़ है कि गोवा में समय की कमी है और प्रशांत किशोर दूसरे दलों से नेताओं का आयात करके राज्य में तृणमूल कांग्रेस को स्थापित करने की चेष्टा में लगे हैं.
प्रशांत किशोर की एक और खासियत है कि उन्हें पहले ही अहसाह हो जाता है कि किसकी नाव डूबने वाली है और उस नाव पर वह सवारी करने से समय रहते मना कर देते हैं. 2017 के चुनाव में कैप्टन अमरिंदर सिंह के वह सलाहकार थे. अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी की शानदार जीत हुई. अमरिंदर सिंह ने एक बार फिर से उन्हें अपना प्रमुख सलाहकार नियुक्त किया था, पर दो महीनों के अन्दर ही प्रशांत किशोर ने इस्तीफा दे दिया, और अमरिंदर सिंह की मुख्यमंत्री पद की कुर्सी जाती रही.
2017 के उत्तर प्रदेश चुनाव में वह कांग्रेस पार्टी की रणनीति बना रहे थे, पर राहुल गांधी ने उनकी सलाह के विपरीत अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी से समझौता कर लिया. प्रशांत किशोर अलग हो गए और कांग्रेस पार्टी उत्तर प्रदेश में मात्र 9 सीटें ही जीत पाई. और अब राहुल गांधी से प्रशांत किशोर एक बार फिर दूर हो गए हैं, इसका क्या मतलब हो सकता है यह कोई भी सोच सकता है. देखना दिलचस्प होगा कि अगले दो-ढाई वर्षों में प्रशांत किशोर कैसे ममता बनर्जी को बंगाल की दीदी से देश की दीदी बना पाएंगे ताकि वह राहुल गांधी की छुट्टी कर के ममता बनर्जी को मोदी के विकल्प के रुप में स्थापित करने में सफल हो पाएं.
Shiddhant Shriwas
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