- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- पंजाब में कांग्रेस का...
x
पंजाब की राजनीति में हमेशा बड़े चेहरों का वर्चस्व रहा है
पंजाब की राजनीति में हमेशा बड़े चेहरों का वर्चस्व रहा है. सुरजीत सिंह बरनाला, प्रताप सिंह कैरों , बेअंत सिंह ,प्रकाश सिंह बादल, कैप्टन अमरिन्द्र सिंह, सुखबीर सिंह बादल और उसी राह पर अब पंजाब के 100 दिन के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी भी चल रहे है. किसी ने नहीं सोचा था कि इतने कम समय में चरणजीत सिंह पंजाब की जनता के अलावा प्रदेश के बाहर भी इतने लोकप्रिय हो जाएंगे. एक सवाल सबके के मन में घूम रहा है कि कांग्रेस आलाकमान किसे पंजाब का चेहरा घोषित करेगा? या फिर सामूहिक नेतृत्व पर ही कांग्रेस पंजाब का विधानसभा चुनाव लड़ने जा रही है.
दरअसल, कांग्रेस आलाकमान और ख़ासतौर पर राहुल गांधी ने पंजाब में मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करने का मन बना लिया है. कांग्रेस पार्टी चरणजीत सिंह चन्नी के नेतृत्व में 2022 का विधानसभा चुनाव लड़ सकती है. दिल्ली में इस बात पर चर्चा हो रही है कि कैसे 'सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे' की रणनीति के तहत चरणजीत सिंह चन्नी को पंजाब का चेहरा बनाया जाए. इसके पीछे की बड़ी वजह है कि तमाम रिपोर्ट्स और सर्वे के मुताबिक़ अगर चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित नहीं किया गया तो कांग्रेस पार्टी पंजाब चुनाव हार सकती है. इसलिए नवजोत सिंह सिद्धू को छोड़कर पंजाब कांग्रेस के ज़्यादातर नेताओं ने भी यह बात कांग्रेस आलाकमान तक पहुंचाई है.
जब मैं यह लेख लिख रहा था उसी वक्त खबर आयी कि आम आदमी पार्टी का चेहरा पंजाब में भगवंत मान होंगे. 2017 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने किसी को भी मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित नहीं किया था और इस बात को अरविंद केजरीवाल अच्छे से समझते हैं कि जो गलती पांच साल पहले हुई थी वह इस बार नहीं दोहराई जाएगी. वहीं 2017 में कांग्रेस ने कैप्टन अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित कर दिया था जिसका उन्हें विधानसभा चुनाव में फ़ायदा भी मिला. अब यही बात पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने भी कांग्रेस आलाकमान को कही कि हमें मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करना पड़ेगा. दरअसल नवजोत सिंह सिद्धू को अगर कांग्रेस मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित नहीं करती है तो उन्हें ज़्यादा नुक़सान नहीं होगा क्योंकि नवजोत सिंह सिद्धू पंजाब में जटसिख नेता नहीं माने जाते हैं वहीं अगर चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री घोषित नहीं किया गया तो दलित वोट बैंक पर इसका असर ज़रूर पड़ सकता है. इसके अलावा राहुल गांधी के वायदे पर भी पंजाब की जनता सवाल खड़ा कर सकती है कि जिस मुख्यमंत्री को तीन महीने पहले राहुल गांधी ने पंजाब का मुखिया बनाया अब उन्हें 2022 के विधानसभा चुनाव के लिए मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करने में क्या परेशानी है?
वहीं दूसरी तरफ़ नवजोत सिंह सिद्धू ने भी कांग्रेस आलाकमान पर दबाव बनाया हुआ है कि उनका पंजाब मॉडल को कांग्रेस का मैनिफेस्टो बनाया जाए और उस मैनिफेस्टो को लागू करने की ताक़त नवजोत सिंह सिद्धू को दी जाए साथ ही उन्हें मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किया जाए लेकिन कांग्रेस आलाकमान का विश्वास जीतने में नवजोत सिंह सिद्धू क़ामयाब नहीं हुए इसकी सबसे बड़ी वजह है कि उनका ट्विटर के ज़रिए पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा देना और मीडिया के ज़रिए कांग्रेस की अंदरूनी लड़ाई को सार्वजनिक मंच पर लाना.
राजनीति के लिए कहा जाता है कि कल क्या होगा यह कोई नहीं जानता. पंजाब में भी कुछ ऐसा ही हुआ. एक साल पहले तक कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू पंजाब की राजनीति के बड़े चेहरे थे. आज भगवंत मान और चरणजीत सिंह चन्नी आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बड़े चेहरे उभर कर सामने आए हैं. अगर चरणजीत सिंह को 2022 के विधानसभा चुनाव के लिए चेहरा घोषित किया जाता है तो वह मुख्यमंत्री के साथ साथ कांग्रेस का चेहरा भी बन जाएंगे. दरअसल कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू राहुल गांधी के द्वारा बनाए हुए चेहरे नहीं थे लेकिन चरणजीत सिंह चन्नी के बारे में यह ज़रूर कहा जाएगा कि यह दिल्ली और अब कांग्रेस आलाकमान का चेहरा हैं.
आदेश रावल वरिष्ठ पत्रकार हैं... आप ट्विटर पर @AadeshRawal पर अपनी प्रतिक्रिया भेज सकते हैं...
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं. इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति जनता से रिश्ता उत्तरदायी नहीं है. इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं. इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार जनता से रिश्ता के नहीं हैं, तथा जनता से रिश्ता उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है.
Next Story