सम्पादकीय

क्या एक भूले बिसरे राजा अब उत्तर प्रदेश में बीजेपी को जीत दिला पाएंगे?

Rani Sahu
15 Sep 2021 6:40 AM GMT
क्या एक भूले बिसरे राजा अब उत्तर प्रदेश में बीजेपी को जीत दिला पाएंगे?
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कोई ऐसे ही दो दशकों तक राज नहीं कर सकता अगर उसे राजतंत्र और राजनीति के दाव पेंच ना आते हों

अजय झा कोई ऐसे ही दो दशकों तक राज नहीं कर सकता अगर उसे राजतंत्र और राजनीति के दाव पेंच ना आते हों. यहां जिक्र नरेन्द्र दामोदरदास मोदी की हो रही है, जिनके नाम एक नया इतिहास जुड़ गया है. अब तक किसी नेता ने भारत में लगातार 20 वर्षों तक राज नहीं किया है, गांधी-नेहरू परिवार ने भी नहीं. लगातार तीन बार विधानसभा चुनाव जीतना और फिर लगातार दो बार लोकसभा चुनाव में जनता का समर्थन, यह रिकॉर्ड ऐसा है जिसकी ना तो पूर्व में कोई तुलना है और ना ही निकट भविष्य में यह टूटने वाला है. इससे पहले कि कोई उंगली उठे, इसे स्पष्ट कर देना जरूरी है कि ज्योति बसु का रिकॉर्ड मोदी के मुकाबले लम्बा था, वह 23 वर्षों तक पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री के रूप में सत्ता में थे और उनके नेतृत्व में भी सीपीएम लगातार पांच बार चुनाव जीती थी. फर्क सिर्फ इतना है कि ज्योति बसु को सीपीएम ने आगे बढ़ने नहीं दिया, जबकि उनके पास अवसर था कि वह 1996 में देश के प्रधानमंत्री बन सकते थे. ज्योति बसु लगातार पश्चिम बंगाल में ही मुख्यमंत्री रहे और मोदी पहले 13 वर्षों तक गुजरात के मुख्यमंत्री और अब पिछले साढ़े सात वर्षों से देश के प्रधानमंत्री हैं.

सवाल यह है कि किसी भी अन्य नेता के मुकाबले मोदी इतने सफल क्यों रहे हैं? इसका सीधा और सरल उत्तर है कि मोदी अपने विरोधियों का भी विश्वास जीतने की कला जानते हैं. मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री बने तो कुछ ही महोनों बाद राज्य में साम्प्रदायिक दंगे हुए. मोदी पर आरोप लगा कि उनके इशारे पर दंगों में मुस्लिम समाज के लोगों का कत्ल हुआ. आरोप, आरोप ही रहा. कभी साबित नहीं हुआ. उल्टे बीजेपी को गुजरात में मुस्लिम समुदाय का चुनावों में समर्थन भी मिला. ऐसा ही कुछ जलवा पिछले दो लोकसभा चुनावों में भी दिखा. थोड़ी तादात में ही सही, पर कभी बीजेपी के धुर विरोधी माने जाने वाले मुस्लिम समाज ने भी बीजेपी के पक्ष में मतदान किया.
अलीगढ़ से पीएम मोदी ने यूपी चुनाव के कैंपेन का उद्घाटन कर दिया
मोदी के विरोधियों का विश्वास जीतने की कला का कल एक बार फिर प्रदर्शन अलीगढ़ में दिखा. आम तौर पर किसी विश्वविद्यालय का शिलान्यास समारोह राज्य के मुख्यमंत्री, राज्यपाल या फिर केंद्रीय विश्वविद्यालय का शिलान्यास या उद्घाटन राष्ट्रपति करते हैं. पर कल मोदी ने अलीगढ़ में राजा महेंद्र प्रताप सिंह विश्वविद्यालय का शिलान्यास ही नहीं किया, बल्कि अपरोक्ष रूप में आगामी उत्तर प्रदेश चुनाव में बीजेपी के कैंपेन का भी उद्घाटन कर दिया, क्योंकि वहां एक रैली भी हुई जहां बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे.
पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश लगभग 10 महीने से नए कृषि कानूनों के विरोध में किसान लंदोलन से पीड़ित है. माना जा रहा था कि पश्चिम उत्तर प्रदेश का शक्तिशाली जाट समुदाय इस आन्दोलन के साथ है, बीजेपी को इसका खामियाजा अगले वर्ष की शुरुआत में होने वाले विधानसभा चुनाव में भुगतना पड़ सकता है. पर कल मोदी ने आन्दोलनकारी नेताओं और उनके राजनीतिक आकाओं के टायर की हवा निकाल दी.
बीजेपी दूसरो के आइकॉन को अपना बना लेती है
बीजेपी की एक खासियत रही है कि अगर पार्टी के पास स्वयं का कोई आइकॉन ना हो तो वह कहीं और से भी आइकॉन को लेकर अपने पक्ष में इस्तमाल करने से परहेज नहीं करती है. आज महात्मा गांधी, सरदार पटेल और बाबासाहेब अंबेडकर, मानो ऐसा प्रतीत होता है कि पूर्व में बीजेपी के ही नेता थे. बीजेपी इनका जम कर फायदा उठा रही है जबकि कांग्रेस पार्टी एक परिवार को ही आइकॉन के रूप में प्रस्तुत करने में सिमट गयी है.
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बाहर शायद ही किसी ने राजा महेंद्र प्रताप सिंह का नाम सुना था. पर चूंकि किसान आन्दोलन की अगुवाई कुछ जाट नेता कर रहे हैं, उनके ऊपर कल राजा महेंद्र प्रताप सिंह नामक बम फोड़ दिया गया. राजा महेंद्र प्रताप सिंह का पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाटों में वही स्थान है जो कि सर छोटू राम का हरियाणा के जाटों में है.
महेंद्र प्रताप सिंह हाथरस में स्वतंत्र पूर्व राजा होते थे. अगर वह चाहते तो अन्य राजाओं की तरह अंग्रेज़ सरकार के अधीन सर झुका कर राज चला सकते थे. पर अंग्रेजों के अत्याचार के विरोध में महेंद्र प्रताप सिंह ने राजगद्दी और भारत छोड़ दिया और काबुल में भारत के निर्वासित सरकार की स्थापना की.
कांग्रेस ने राजा महेंद्र प्रताप सिंह को भुला दिया था
अंग्रेजों से वह भारत की आज़ादी के लिए लड़ते रहे और लगभग तीन दशकों के बाद 1947 में वह भारत की आज़ादी के बाद ही भारत वापस आये. किन्हीं कारणों से कांग्रेस पार्टी के शासन काल में उनके योगदान को सम्मान नहीं मिला. पर कल मोदी ने उनके नाम पर अलीगढ़ में एक नए विश्वविद्यालय के शिलान्यास के साथ ही पश्चिम उत्तर प्रदेश के जाट समुदाय को यह याद दिला दिया कि कैसे किसान आन्दोलन की हितैसी कांग्रेस पार्टी ने राजा महेंद्र प्रताप सिंह को भुला दिया था और अब किस तरह बीजेपी उनका सम्मान कर रही है.
यूपी चुनाव में इसका असर पड़ेगा?
भले ही यह एक छोटा सा कदम हो, पर उत्तर प्रदेश में चुनाव आते-आते जाटों के बड़े नेता, एक राजा और एक भुलाए गए स्वतंत्रता सेनानी के सम्मान का कुछ ना कुछ असर तो पड़ेगा ही. बीजेपी, या यूं कहें कि मोदी के नेतृत्व में बीजेपी ने एक ऐसा तुरुप का इक्का फेंक दिया है जिसकी काट ढूंढने में बीजेपी के विरोधियों को काफी माथापच्ची करनी पड़ेगी. जहां कांग्रेस पार्टी, राष्ट्रीय लोक दल आदि सिर्फ अपने परिवार के पूर्वजों के नाम पर वोट मांगते दिखेंगे, बीजेपी ने उस जाट नेता को सम्मानित करके जिसे सभी ने जानबूझ कर भुला दिया था, एक ऐसी चाल चली है जो शायद पार्टी के विरोधियों पर चुनाव आते-आते भारी पड़ सकता है.


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