सम्पादकीय

आय से अधिक संपत्ति केस में क्यों चौटाला दोषी पाए गए जबकि लालू, मुलायम और मायावती बच गए?

Rani Sahu
22 May 2022 12:25 PM GMT
आय से अधिक संपत्ति केस में क्यों चौटाला दोषी पाए गए जबकि लालू, मुलायम और मायावती बच गए?
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दिल्ली की एक अदालत ने शनिवार को हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला को आय से अधिक संपत्ति के केस (Disproportionate Assets Case) में दोषी करार दिया. 26 मई को अदालत दोनों पक्षों की सजा के बारे में जिरह सुनने के बाद फैसला सुनाएगी कि चौटाला के सजा कि मियाद क्या होगी

अजय झा |

दिल्ली की एक अदालत ने शनिवार को हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला को आय से अधिक संपत्ति के केस (Disproportionate Assets Case) में दोषी करार दिया. 26 मई को अदालत दोनों पक्षों की सजा के बारे में जिरह सुनने के बाद फैसला सुनाएगी कि चौटाला के सजा कि मियाद क्या होगी. पिछले वर्ष जुलाई में ही चौटाला ( Om Prakash Chautala) एक अन्य मामले में जेल की सजा काट कर रिहा हुए थे. दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने उनके समय से पहले ही रिहा करने की अपील मंजूर कर ली थी. चौटाला ने अपनी उम्र, स्वास्थ्य और अपाहिजता के आधार यह अपील की थी, जिसे हाई कोर्ट ने मंजूर कर लिया था. संभव है कि उनके वकील एक बार फिर से उन्हीं आधार पर उन्हें कम से कम सजा की गुहार करेंगे
अब जज ही अपने विवेक से इसका फैसला करेंगे कि चौटाला को सिर्फ सांकेतिक रूप में कुछ अवधि के लिए ही जेल की सजा होगी या फिर कानून में अंकित अधिकतम 7 वर्ष की सजा होगी. देश के विभिन्न अदालतों ने अब तक इस तरह के केस में अभियुक्तों को 3 से 7 वर्ष की सजा सुनाई है. चौटाला के वकील निचली अदालत के फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर कर सकते हैं और जब तक हाई कोर्ट का फैसला ना आ जाए, उनकी जमानत की मांग कर सकते हैं.
नेता चुनाव के समय हलफनामा में संपत्ति का सही ब्यौरा नहीं देते
चौटाला के खिलाफ यह केस पिछले 12 वर्षों से चल रहा था. मार्च 2010 में सीबीआई में उनके खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी. आरोप था कि 1993 से 2006 के बीच विधायक और मुख्यमंत्री रहते हुए पद का दुरपयोग करके उन्होंने 6.09 करोड़ रुपयों के करीब अपने आय से अधिक संपत्ति अर्जित की थी. शायद सीबीआई ने उनके संपत्ति का सही आंकलन नहीं किया क्योंकि चौटाला हरियाणा के धनाढ्य नेताओं में गिने जाते हैं. वर्ष 2009 के विधानसभा चुनाव में चौटाला ने अपनी संपत्ति 15 करोड़ रुपयों की घोषित की थी. यह तो सभी जानते हैं कि कोई भी नेता चुनाव के समय दाखिल हलफनामा में अपनी संपत्ति का सही ब्यौरा नहीं देता है. उस हलफनामे में जो कानूनी संपत्ति है उसी का ब्यौरा होता है, काले धन या गैरकानूनी संपत्ति का नहीं. 2006 में ही सीबीआई ने आंकलन किया था कि चौटाला की कुल संपत्ति 1,467 करोड़ है जो शायद कम ही था. अब 16 वर्षों के बाद उस संपत्ति की कीमत दोगुना या तीनगुना जरूर हो गया होगा.
जो चीज चौटाला को पसंद आई उनकी हो गई
चौटाला के बारे में विख्यात है कि जो चीज उन्हें पसंद आ जाए वह उन्ही की हो जाती थी. हरियाणा के एक नेता हो चुनाव लड़ना चाहते थे, एक बार चौटाला के जन्मदिन पर बधाई देने उनके घर गए. चौटाला को प्रभावित करने के लिए वह अपनी महंगी, नयी चमचमाती गाड़ी में पहुंचे. चौटाला को वह गाड़ी पसंद आ गयी और उन्होंने उस नेता को गाड़ी की चाबी वही रखने का आदेश दिया. उस नेता को टिकट मिला या नहीं वह इतना महत्वपूर्ण नहीं है जितना कि उसके बाद कोई भी नेता चौटाला से मिलने बड़ी गाड़ी में जाने से कतराने लगा था. हरियाणा के वह चार बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं और जब वह मुख्यमंत्री थे तो उनका जनता के बीच अक्सर सोने की मुकुट या चांदी की छड़ी से स्वागत किया जाता था.
अकेले चौटाला ही नहीं हैं इस मामले में फंसने वाले
आय से अधिक संपत्ति के मामले में फंसने वाले चौटाला एकलौते नेता नहीं हैं. आरोप तो अक्सर लगता ही रहता है, पर कुछ ही ऐसे दुर्भाग्यशाली नेता हैं जिन्हें सजा मिलती है, जिनमे से तमिलनाडु की भूतपूर्व मुख्यमंत्री जे जयललिता का नाम सबसे ऊपर है जिन्हें 2014 में चार साल के लिए जेल की सजा दी गयी थी. 2015 में उन्हें कर्नाटक हाई कोर्ट ने बरी कर दिया था. जयललिता की निकट सहयोगी शशिकला भी आय से अधिक संपत्ति के केस में जेल की सजा काट चुकी हैं. बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव और उनकी पत्नी राबड़ी देवी पर भी आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का आरोप लगा था. लालू को जेल की सजा तो हुयी पर चारा घोटाले में, ना कि चारा घोटाला से अर्जित संपत्ति के मामले में. 2006 में आय से अधिक संपत्ति के केस में लालू यादव और राबड़ी देवी को बरी कर दिया गया. कारण था कि केंद्र में मनमोहन सिंह सरकार में लालू मंत्री थे और कांग्रेस पार्टी को उनके समर्थन की जरूरत थी. अगर लालू यादव को उस समय जेल की सजा हो जाती तो मनमोहन सिंह सरकार का पतन हो जाता, जैसे कि लालकृष्ण अडवाणी को गिरफ्तार करने के बाद 1990 में केंद्र में विश्वनाथ प्रताप सिंह की सरकार चली गयी थी.
मुलायम सिंह यादव और मायावती पर भी आय से अधिक संपत्ति का मामला
उत्तर प्रदेश के दो पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव और मायावती पर भी आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का आरोप लगा था. उनके खिलाफ भी राजनीतिक कारणों से केस कि सुनवाई रोक दी गयी क्योकि मनमोहन सिंह सरकार को उनके समर्थन की सख्त जरुरत तब आन पड़ी जबकि वामदलों ने भारत्त-अमेरिका परमाणु संधि के विरोध में सरकार से 2008 में समर्थन वापस ले लिया था. इसे चौटाला का दुर्भाग्य ही माना जाना चाहिए कि उनकी पार्टी इंडियन नेशनल लोक दल की इतनी राजनीतिक हैसियत ही नहीं बची थी कि कांग्रेस पार्टी को उनके समर्थन की जरुरत होती, वर्ना यह केस भी रफादफा हो जाता. चौटाला तो फिर भी एक अमीर बाप चौधरी देवी लाल के बेटे थे, पर लालू, मुलायम और मायावती तो गरीब पृष्ठभूमि से थे. राजनीति में आने और पद मिलने के बाद अरबपति बन गए और उनका बाल भी बांका नहीं हुआ.
चौटाला अब 87 वर्ष के हो चुके हैं, यानि वयोवृद्ध नेताओं की श्रेणी में आते हैं. रही बात उनके अपाहिज होने की तो बचपन में ही वह पोलियो के शिकार हो गए थे जिस कारण वह ठीक से नहीं चल पाते हैं. देखना होगा कि 26 मई को दिल्ली कि अदालत उनकी उम्र, स्वास्थ्य और अपाहिजता का संज्ञान लेती है या फिर उनके एक बार फिर से चौटाला को कुछ साल और जेल की सराखों के पीछे ही गुजरना होगा.

सोर्स- TV9

Rani Sahu

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