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- तालिबान के कब्जे पर...
आजकल नहीं, बल्कि पिछले 20 साल से ऊपर से तालिबान द्वारा जो हैवानियत का नंगा नाच चल रहा है अफगानिस्तान में, वह दुनिया देख रही है। जिस प्रकार से बिना जाने शरियत कानून को लागू करने का हवाला देकर तालिबान कभी तो बामीयान बुद्ध मूर्तियों को तोड़ते हैं या एक गुरुद्वारे के अंदर 20 सिक्खों को मार देते हैं, उससे उनकी क़ातिलाना मानसिकता का पता मिलता है। पिछले दिनों उन्होंने भारत के पत्रकार दनिश सिद्दीकी की हत्या कर दी थी। इनके दिल में रहम नाम की कोई चीज़ नहीं है। हमें और पूरी दुनिया को चिंता वहां रहने वाले नागरिकों की है कि महिलाओं और धर्मनिरपेक्ष मानसिकता वाले लोगों के साथ क्या सुलूक किया जाएगा। वैसे यह तो समय ही बताएगा। भारत अपनी गहरी नज़र बनाए हुए है इन परिस्थितियों पर। कुछ भारतीय सोच रहे हैं कि ये तालिबान आने वाले दिनों में भारत का जीना हराम करेंगे, तो क्यों नहीं हम उन पर कार्पेट बांबिंग कर इनका सफाया कर देते? इसका जवाब है कि इस सिलसिले में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सुरक्षा सलाहकार के अतिरिक्त भारतीय जल, थल और वायु सेना कुशलता के साथ अपनी रणनीति बना चुके हैं और अफगानिस्तान में पल-पल हो रही गतिविधियों पर उनकी पैनी निगाहें हैं। भारत अभी वेट एंड वॉच की स्थिति में है, जबकि अपने देश से कई आवाजें आ रही हैं कि तालिबान को हवाई हमले से भून दो, मगर भारत जो भी कदम उठाएगा, सोच समझ कर ही उठाएगा। हां, अमरीका और पश्चिमी देशों की इस संदर्भ में खामोशी अवश्य ही रहस्यमयी बनी हुई है।