- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- क्यों बंद हुआ...

divyahimachal .
खेल नीति के इंतजार में हिमाचल में खेलो इंडिया खेलो के संकल्प ही धराशायी हो जाएं, तो इस मुकाम पर हासिल क्या होगा। धर्मशाला में भारतीय खेल प्राधिकरण द्वारा तीन दशक से भी पहले से चल रहा खेलों के विकास का रथ आज धंसता हुआ नजर आ रहा है। वर्ष 1992 में आई खेल विकास परियोजना, जो बाद खेल प्राधिकरण के छात्रावास की 1998 से रखवाली कर रही है, अचानक क्यों हार गई। जिस साई गल्र्स स्पोट्र्स सेंटर से निकली छात्राओं की बदौलत हिमाचल की लड़कियों ने भारतीय महिला कबड्डी को पदक तक पहुंचाया। जिसके प्रशिक्षण ने दर्जनों उडऩ परियां तैयार की हों और जहां एक साथ पांच खेलों के प्रशिक्षण में हिमाचल की बेटियां निरंतर तमगे पहन रही हों, वहां से ऐसे महत्त्वपूर्ण छात्रावास का सिमट जाना प्रदेश की प्रतिभा को अपमानित करने जैसा है। एक ही गले में दो तरह के मोतियों की माला पहनने से न गला बचेगा और न ही शान। यही धर्मशाला के खेल परिसर से हुई छेड़छाड़ का प्रतिफल होगा। वर्षों से मंजूर सेंटर ऑफ एक्सीलेंस तथा इससे संबंधित छात्रावास व अन्य सुविधाओं के लिए करीब 26 करोड़ रुपए का सदुपयोग न करने के बजाय अगर इसके लिए पूर्व से स्थापित महिला छात्रावास की संभावना को ही खुर्द-बुर्द होना पड़े, तो यह खेल भावना नहीं, बल्कि खेलों के क्षेत्र में राजनीति का दुष्परिणाम ही माना जाएगा।
