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- फिर चुनाव हों ही...
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। जम्मू-कश्मीर में जिला परिषद किस मकसद से कराए जा रहे हैं, ये समझना मुश्किल है। चुनाव से पहले केंद्र सरकार ने जिस तरह की कार्रवाइयां कश्मीर के राजनीतिक दलों के ऊपर की हैं, उसके बाद इन चुनावों का औचित्य संदिग्ध हो गया है। अगर चुनाव जम्मू-कश्मीर के लोगों को राजनीतिक प्रक्रिया में शामिल करने के लिए कराया जा रहा है, तो यह तय है कि अब ये मकसद हासिल होना कठिन है।
अगर कश्मीर के राजनीतिक दल 'गुपकार गैंग' हैं, तो फिर तो उन्हें चुनाव में हिस्सा ही क्यों लेने दिया जा रहा है? कश्मीर के प्रमुख नेताओं में एक महबूबा मुफ्ती ने पिछले दिनों दावा किया कि उन्हें "फिर से अवैध रूप से नजरबंद" कर दिया गया है। उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि भाजपा के मंत्रियों और कार्यकर्ताओं को कश्मीर के हर इलाके में घूमने की इजाजत है, लेकिन कश्मीरी नेताओं को प्रशासन सुरक्षा की दलील दे कर कहीं जाने नहीं देता।