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- 'देशद्रोह' कानून क्यों...

'राजद्रोह' के औपनिवेशिक कानून पर सर्वोच्च न्यायालय ने भारत सरकार का आग्रह स्वीकार नहीं किया। कानून की धारा 124-ए की समीक्षा और संवैधानिक वैधता जारी है। किसी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले सर्वोच्च अदालत की न्यायिक पीठ ने केंद्र सरकार से सवाल किए थे कि जिन पर यह धारा थोप दी गई और जो जेल में कैद हैं, उनका क्या होगा? क्या सरकार सुनिश्चित करेगी कि समीक्षा की प्रक्रिया पूरी होने तक किसी पर भी राजद्रोह कानून की धारा नहीं लगाई जाएगी? क्या केंद्र सरकार राज्यों को भी निर्देश देगी कि धारा 124-ए का फिलहाल इस्तेमाल न किया जाए? जब मोदी सरकार करीब 1500 पुराने कानूनों को खारिज कर सकती है, तो वह राजद्रोह कानून को क्यों रखना चाहती है? यह सवाल प्रधान न्यायाधीश जस्टिस एन.वी.रमना ने उठाया था। बहरहाल तय कार्यक्रम के अनुसार, भारत सरकार ने सर्वोच्च अदालत में अपने हलफनामे के जरिए न्यायाधीशों के सवालों के जवाब दे दिए हैं। सरकार के सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत में पक्ष रखा था कि प्रधानमंत्री मोदी की 'दृष्टि' के संदर्भ में देशद्रोह कानून पर पुनर्विचार किया जाएगा। सरकार धारा 124-ए के दुरुपयोगी प्रावधानों और सरकारों की प्रतिशोधात्मक मानसिकता की समीक्षा करेगी, लिहाजा सुप्रीम अदालत में फिलहाल सुनवाई स्थगित कर दी जाए।
क्रेडिट बाय दिव्याहिमाचली
