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- डाक्टरों की शपथ में...
भारत में सन् 1991 से प्रतिवर्ष एक जुलाई को डॉक्टरों के प्रति सम्मान व्यक्त करने के लिए 'राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस' मनाने की शुरुआत हुई। इस दिवस का संबंध भारत के प्रसिद्ध चिकित्सक व 'भारत रत्न' डा. विधान चंद्र राय के जन्म व पुण्यतिथि से भी जुड़ा है। पिछले दो वर्षों से भयानक महामारी कोरोना को नियंत्रित करने में सबसे बड़ा योगदान हमारे डॉक्टरों का ही रहा है। मौजूदा दौर में डॉक्टरों की भूमिका व अहमियत लगातार बढ़ रही है। मगर भारत कई रोग विशेषज्ञ चिकित्सकों की भारी कमी से जूझ रहा है। डॉक्टर बनने की चाहत में देश के लाखों छात्र हर वर्ष 'राष्ट्रीय पात्रता प्रवेश परीक्षा' (नीट) में अपना भाग्य आजमाते हैं। देश के स्वास्थ्य ढांचे में कुछ सकारात्मक परिवर्तन के मद्देनजर 'राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग' (एनएमसी) ने कुछ समय पहले मेडिकल विषय के छात्रों द्वारा ली जाने वाली 'हिप्पोक्रेटिक शपथ' को 'महर्षि चरक शपथ' में बदलने की सिफारिश की थी। भारत की प्राचीन चिकित्सा प्रणाली आयुर्वेद के विशारद 'महर्षि चरक' उस समय चर्चा का विषय बन गए जब 30 अप्रैल 2022 को मदुरै मेडिकल कॉलेज में डॉक्टरी की पढ़ाई करने वाले छात्रों ने पारंपरिक 'हिप्पोक्रेटिक शपथ' के बजाय 'महर्षि चरक शपथ' ली। नतीजतन तमिलनाडू सरकार का स्वास्थ्य मंत्रालय इसके विरोध में उतर आया। दरअसल हिप्पोक्रेट्स एक प्राचीन यूनानी विद्वान थे। पश्चिमी देश उन्हें मानव रोगों पर आधारित चिकित्सा शास्त्र का जनक मानते हैं। हिप्पोक्रेटिक शपथ उन्हीं के द्वारा लिखी गई थी। ज्ञात रहे भारत में चिकित्सा विषय का ज्ञान अति प्राचीन है।
By: divyahimachal