सम्पादकीय

अमेरिका में गर्भपात पर प्रतिबंध के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर क्यों मच गया है हंगामा?

Rani Sahu
27 Jun 2022 6:05 PM GMT
अमेरिका में गर्भपात पर प्रतिबंध के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर क्यों मच गया है हंगामा?
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अमेरिका में इधर दो बड़े फैसलों ने हड़कंप मचा रखा है. एक तो बंदूक रखने पर कुछ नई पाबंदियों के कारण और दूसरा गर्भपात पर प्रतिबंध के कारण. अमेरिका के सर्वोच्च न्यायालय के इन दोनों फैसलों का डटकर विरोध हो रहा है


By लोकमत समाचार सम्पादकीय
अमेरिका में इधर दो बड़े फैसलों ने हड़कंप मचा रखा है. एक तो बंदूक रखने पर कुछ नई पाबंदियों के कारण और दूसरा गर्भपात पर प्रतिबंध के कारण. अमेरिका के सर्वोच्च न्यायालय के इन दोनों फैसलों का डटकर विरोध हो रहा है. बंदूक पर प्रतिबंधों का उतना विरोध नहीं हो रहा है, जितना गर्भपात पर प्रतिबंध का हो रहा है.
1973 में गर्भपात की अनुमति का जो फैसला अमेरिका के सर्वोच्च न्यायालय ने दिया था, उसे सर्वोच्च न्यायालय ने ही उलट दिया है. इस फैसले के पीछे पूर्व राष्ट्रपति ट्रम्प द्वारा नियुक्त रूढ़िवादी जजों का बहुमत में होना है. अब अमेरिका में जो भी राज्य रूढ़िवादी या रिपब्लिकन या ट्रम्प-समर्थक हैं, वे इस कानून को तुरंत लागू कर देंगे.
लगभग एक दर्जन राज्यों ने गर्भपात पर प्रतिबंध की घोषणा कर दी है. कोई भी महिला 15 हफ्तों से ज्यादा के गर्भ को नहीं गिरवा सकती है. अदालत के इस फैसले को राष्ट्रपति जो बाइडेन ने तो भयंकर बताया ही है, सारे अमेरिका में इसके विरुद्ध विक्षोभ फैल गया है.
यूरोपीय राष्ट्रों के प्रमुख नेताओं ने इस फैसले की कड़ी निंदा की है. अमेरिका की अनेक कंपनियों ने अपने यहां कार्यरत महिलाओं से कहा है कि वे गर्भपात के लिए जब भी किसी अन्य अमेरिकी राज्य में जाना चाहें, उन्हें उसकी पूर्ण सुविधाएं दी जाएंगी. अमेरिका के 13 राज्यों में गर्भपात की अनुमति आज भी है.
अमेरिका में संघीय व्यवस्था है. इसीलिए उसके राज्य केंद्रीय कानून को मानने या न मानने के लिए स्वतंत्र हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक आंकड़े के अनुसार हर साल 2.5 करोड़ असुरक्षित गर्भपात होते हैं, जिनमें 37000 महिलाओं को अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है. अब गर्भपात पर प्रतिबंध लगने से इस संख्या में वृद्धि ही होगी.


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