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- बिहार सरकार में तबादले...
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | पंकज कुमार| बिहार सरकार (Bihar Government) में सरकार के मंत्री ही तबादले के तौर तरीकों को लेकर सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप मढ़ रहे हैं. जेडीयू (JDU) के मंत्री मदन सहनी (Madan Sahni) ने सीधा आरोप लगाते हुए कह दिया कि उनकी बातों को विभाग के चपरासी भी सुनने से मना कर देते हैं और बेलगाम अफसरशाही की वजह से उन्हें उनके अधिकारों से वंचित किया जा रहा है. जेडीयू के मंत्री के इस बयान के बाद बीजेपी के एमएलए ज्ञानेन्द्र कुमार सिंह उर्फ ज्ञानू (Gyanendra Singh Gyanu) ने भी उनका समर्थन किया जो बाढ़ से बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीते हैं.
तबादले को लेकर बिहार सरकार में जेडीयू के मंत्री मदन सहनी ने सीधा-सीधा आरोप लगाया कि उनकी विभाग के प्रधान सचिव उनकी बिल्कुल नहीं सुनते हैं. मंत्री मदन सहनी ने प्रधान सचिव अतुल प्रसाद पर ट्रांसफर पोस्टिंग को लेकर भेजी गई फाइल दबा कर बैठने का आरोप लगाया है. मदन सहनी ने प्रधानसचिव अतुल प्रसाद के अलावा सीएम के प्रधानसचिव चंचल कुमार को भी उनके फोन नहीं उठाने के लिए आड़े हाथों लिया.
विपक्ष भी लगा रहा आरोप
सरकार में जनप्रतिनिधियों की नहीं सुनी जाती है इसको लेकर हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा के मुखिया जीतन राम मांझी भी अक्सर बोलते रहे हैं. इस मौके पर भी एनडीए के घटक दल होने के बावजूद उन्होंने बेलगाम अफसरशाही का आरोप लगाते हुए कहा कि सूबे में निरंकुश अफसरशाही बेलगाम हो चुकी है और विधायक और मंत्रियों की सरकार में कुछ नहीं चलती है. आरजेडी के प्रदेश सचिव अजय सिंह कहते हैं कि बिहार में तबादला, उद्योग की तरह चल रहा है और इस बात की तस्दीक खुद सरकार के मंत्री कर रहे हैं .
आरजेडी के प्रदेश सचिव कहते हैं कि आरजेडी पहले से ही सुशासन का असली चेहरा लोगों के सामने लाती रही है. सरकार के मंत्री भी घुटन महसूस कर रहे हैं, इसलिए ये सरकार ज्यादा दिनों तक चलने वाली नहीं है. लेकिन सरकार के घटक दल हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के प्रवक्ता दानिश रिजवान कहते हैं कि सवाल जिम्मेदारी और अधिकार का है. दानिश कहते हैं कि विभाग की जिम्मेदारी मंत्री की होती है इसलिए विभाग के ट्रांसफर और पोस्टिंग की जिम्मेदारी भी मंत्री की ही होनी चाहिए.
तबादले की क्या है असली कहानी?
दरअसल पूरी कहानी विभाग में वर्चस्व को लेकर है. मंत्री मदन सहनी ने जून में संचिका मंगाई थी लेकिन उन्हें जून में नहीं दिए जाने की वजह ये बताया गया कि जुलाई में प्रधानसचिव फाइल में ट्रांसफर और पोस्टिंग सीधा सचिव से करा सकते हैं. इसलिए जून महीने में संचिका ना देकर मंत्री के अधिकार को एक्सरसाइज करने का मौका नहीं दिया गया. दरअसल एक अन्य मंत्री दबी जुबान में कहते हैं कि ऐसा कर सीएम कार्यालय उनके अधिकार में दखलंदाजी करता है. इसलिए जिले में अधिकारी मंत्री की न सुनकर विभाग के प्रधान सचिव और सीएम कार्यालय के अधिकारियों की सुनते हैं.
ज़ाहिर है मदन सहनी इसी वजह से अपने विभाग के प्रधान सचिव द्वारा फाइल दबा दिए जाने पर नाराज हो उठे और उन्होंने इस वजह से इस्तीफे की पेशकश कर डाली. बिहार की राजनीति पर पैनी नजर रखने वाले राजनीतिक विशेषज्ञ संजय कुमार कहते हैं कि सीएम कार्यालय ऐसा तभी करता है जब सीएम ताकतवर होते हैं और प्रदेश की सरकार उनके सामने नतमस्तक रहती है. चूंकि नीतीश कुमार तकरीबन बीस सालों से सीएम हैं इसलिए प्रदेश के अलग-अलग विभागों पर अपने अफसरों के माध्यम से पकड़ बनाए रखते हैं.
बिहार बीजेपी के एक बड़े नेता कहते हैं कि सामाजिक समीकरण को साधने की वजह से कई चुने हुए प्रतिनिधियों को मंत्री बनाना सरकार की मजबूरी होती है, लेकिन सरकार का कामकाज पारदर्शी हो और भ्रष्टाचार परवान पर ना चढ़े इसलिए मंत्रियों के काम काज में दखल और विभाग पर पकड़ सीएम अपने कार्यालय के जरिए करते हैं.
नीतीश कुमार के खास रहे मदन सहनी सरकार के खिलाफ क्यों बोल रहे हैं
पिछली दफा मदन सहनी खाद्य आपूर्ति मंत्री के पद पर तैनात थे. उस दरमियान मदन सहनी ने केन्द्रीय मंत्री रामविलास पासवान को आड़े हाथों लेने में कोई कोताही नहीं बरती थी. कहा जाता है कि मदन सहनी सीएम नीतीश कुमार के इशारे पर ऐसा बढ़ चढ़ कर रहे थे. ज़ाहिर है मदन सहनी की अनबन पिछले दफा भी आईएएस अफसर पंकज कुमार के साथ हुई थी. मंत्री मदन सहनी ने उनपर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे और सरकार ने पंकज कुमार के विभाग में फेरबदल कर दिया था. मदन सहनी के कहने पर पंकज कुमार के विभागों में फेरबदल हैरान करने वाला था, क्योंकि पंकज कुमार भी सरकार के चहेते अफसरों में गिने जाते रहे हैं.
एक बार फिर मदन सहनी ने अतुल प्रसाद समेत सीएम के बेहद चहेते अफसर चंचल कुमार पर निशाना साधा है, जिसे बगावत के तौर पर देखा जा सकता है. मंत्री के इस बयान के बाद विपक्ष सरकार को नीचा दिखाने को कोई प्रयास जाया नहीं करेगी. लेकिन मदन सहनी का सरकार के खिलाफ बोलना राजनीतिक हलकों में हैरानी पैदा कर रहा है. आलम यह है कि शिक्षा विभाग में किए गए 257 अफसरों के तबादले को सरकार ने स्थगित कर दिया है. आंख का ऑपरेशन कराने के बाद बिहार लौटे सीएम इस संकट का समाधान कैसे निकालेंगे इस पर सबकी नजर टिकी रहेंगी.