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- पहली पंक्ति का किसान...
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। 'अन्तिम को पहले रखना' यह कथन समाज के बुझे हुए तबकों को उभारने की ओर इशारा करते हैं पर यहां तो पहली पंक्ति वाला किसान अन्तिम पायदान पर चला ही गया है। बीते सात दशकों से भारत में खेत-खलिहान समेत किसान पर लगातार प्रयोग जारी है पर नतीजा ढाक के तीन पात ही है। फिलहाल इन दिनों देश के किसान खुले आकाश के तले दिल्ली की सीमा पर अपनी मांग मंगवाने को लेकर डटे हुए हैं। पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश देश के कई हिस्सों के किसान मोदी सरकार के तीन कानून के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं। सरकार कानून वापस नहीं लेना चाहती और किसान बिना कानून वापसी के वापस नहीं जाना चाहते। सवाल है कि लोकतंत्र में क्या सरकारों का इतना अड़ियल रवैया उचित करार दिया जा सकता है। सरकार और किसान के बीच 5 दौर की वार्ता हो चुकी है नतीजा सिफर है। किसानों का भारत बंद पूरी तरह सफल रहा। मुख्य विपक्षी कांग्रेस समेत कई छोटे-बड़े दल इस मामले में किसानों के साथ हैं।