सम्पादकीय

बीजेपी बंगाल में चुनाव बाद भी ममता बनर्जी से आर पार के मूड में क्यों है?

Gulabi
2 Jun 2021 4:44 PM GMT
बीजेपी बंगाल में चुनाव बाद भी ममता बनर्जी से आर पार के मूड में क्यों है?
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बीजेपी ममता सरकार

पंकज कुमार। बंगाल की राजनीति बीजेपी और टीएमसी की लड़ाई की वजह से उफान पर है. बीजेपी डाल-डाल तो ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) पात-पात चलकर शह और मात का खेल, खेल रही हैं. लेकिन इस लड़ाई में सेंटर और राज्य के रिश्तों को लेकर चर्चाएं तेज हैं. बीजेपी भले ही विधानसभा चुनाव हार गई हो लेकिन अपने समर्थकों में भरोसा कायम रखने के लिए ममता सरकार के खिलाफ लगातार हमलावर है. बंगाल की ममता बनर्जी मोदी सरकार (Modi Government) के लिए अरविन्द केजरीवाल (Arvind Kejriwal) का रूप अख्तियार कर चुकी हैं. वो बीजेपी को विधानसभा चुनाव में शिकस्त देकर बीजेपी सरकार को नीचा दिखाने का कोई अवसर जाया नहीं कर रही हैं.


ममता के सलाहकार बने अलपन बंदोपाध्याय को लेकर ताजा बवाल उसी का नतीजा है. जब पीएम द्वारा बुलाए गए मीटिंग में वह 15 मिनट देरी से पहुंचे थे. दरअसल बीजेपी ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया और अलपन बंदोपाध्याय को उनके किए गए कार्यों के लिए नोटिस भेज कर उन्हें घेरने की कोशिश की है. अलपन बंदोपाध्याय भले ही मुख्य सचिव का पद छोड़कर सीएम के सलाहकार बन गए हों, लेकिन केन्द्र सरकार आपदा प्रबंधन कानून के तहत उनपर कार्रवाई करने की फिराक में है.

बीजेपी ममता सरकार को आड़े हाथों लेने में क्यों जुटी है?
केन्द्र सरकार पर भले ही संघीय ढ़ांचे को बिगाड़ने का आरोप लग रहा हो, लेकिन बीजेपी की केन्द्र सरकार बंगाल में राजनीतिक लड़ाई लड़ने पर हर तरह से अमादा है. पहले बीजेपी सरकार की अनबन दिल्ली में केजरीवाल के साथ राज्य की ताकत से लेकर नौकरशाह और अन्य मुद्दों पर चल रही थी, लेकिन अब उनकी जगह ममता बनर्जी ले चुकी हैं. आलम ये है कि संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति सीधे तौर पर एक दूसरे के खिलाफ आग उगल रहे हैं.

बंगाल बीजेपी के अध्यक्ष दिलीप घोष ने ममता सरकार पर 30 से ज्यादा बीजेपी कार्यकर्ताओं की हत्या का आरोप लगाया है. वहीं हजारों कार्यकर्ताओं को बंगाल से दरबदर करने का आरोप भी टीएमसी पर है. ज़ाहिर है चुनाव के बाद बीजेपी केन्द्र में सरकार रहते हुए अपने कार्यकर्ताओं को बचा पाने में नाकामयाब रही है, इस बात को लेकर कार्यकर्ताओं में असंतोष बढ़ता जा रहा है.

बंगाल में आक्रामक रहना बीजेपी की मजबूरी कैसे है
अलपन बंद्योपाध्याय मामला 'ममता-मोदी तकरार' का नया अध्याय भले ही हो, लेकिन बीजेपी और टीएमसी की अदावत साल 2019 लोकसभा चुनाव के बाद सतह पर दिखाई पड़ने लगी थी. बीजेपी की नीतियों को ममता अपने यहां लागू करने से सीधा मना कर रही थीं. वहीं विधानसभा चुनाव के बाद बीजेपी के समर्थक और नेता टीमसी द्वारा प्रायोजित हिंसा के भी शिकार हुए. विधानसभा चुनाव के फौरन बाद बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा ने वहां जाकर टीएमसी सरकार पर विरोधियों की हत्या और महिलाओं के रेप का आरोप लगाया.

हाल में ममता बनर्जी ने भी मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक में पीएम पर एकतरफा भाषण देने की प्रवृत्ति पर सीधा सवाला उठाया. वहीं राज्यपाल धनकड़ पर सवाल उठाकर टीएमसी केन्द्र को घेरने का कोई मौका छोड़ नहीं रही है. बीजेपी पिछले विधानसभा की तुलना में 3 से 77 सीटों का सफर तय कर चुकी है, बीजेपी का एक बड़ा वोट बैंक लेफ्ट समर्थक भी है जो ममता के खिलाफ बीजेपी को मजबूत होता देख साथ आया है. ज़ाहिर है बीजेपी इस लड़ाई में थोड़ा भी कमजोर दिखाई पड़ती है तो उसका बड़ा वोट बैंक उसके हाथों से फिसल सकता है. इसलिए बीजेपी बंगाल में लगातार ममता पर शिकंजा कस अपने समर्थकों को साथ रखने की पुरजोर कोशिश में है.


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