सम्पादकीय

नाराजगी के बीच अखिलेश को लेकर आजम खान क्यों हैं 'मुलायम'? क्या है रामपुर के दिग्गज की सियासी मजबूरी? पढ़ें इनसाइड स्टोरी

Rani Sahu
23 May 2022 11:01 AM GMT
नाराजगी के बीच अखिलेश को लेकर आजम खान क्यों हैं मुलायम? क्या है रामपुर के दिग्गज की सियासी मजबूरी? पढ़ें इनसाइड स्टोरी
x
समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के वरिष्ठ नेता और रामपुर से विधायक आजम खान सोमवार सुबह लखनऊ पहुंचे

हरीश तिवारी

समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के वरिष्ठ नेता और रामपुर से विधायक आजम खान सोमवार सुबह लखनऊ पहुंचे. हालांकि जिस सियासी अटकलों की उम्मीद की जा रही थी, ऐसा कुछ नहीं हुआ. आजम खान ने सोमवार को विधानसभा के सदस्य के तौर पर शपथ ली और आजम खान (Azam Khan) अपने बेटे अब्दुल्ला आजम को लेकर लखनऊ पहुंचे. लखनऊ पहुंचकर आजम खान सियासत के दिग्गज खिलाड़ी की तरह बयान दिया और जता दिया कि पार्टी में सबकुछ ठीक चल रहा है और जिसके कयास लगाए जा रहे थे. वे बेबुनियाद हैं. लखनऊ पहुंचने से पहले और उसके बाद दिए बयानों से साफ इशारा होता है कि आजम खान अब सपा अखिलेश यादव को लेकर नरम हो गए हैं और रूठने और मनाने का खेल खत्म हो गया. क्योंकि नाराजगी जैसी कोई बात ही नहीं है. इसका पहला संकेत उन्होंने रविवार को रामपुर में दिया और कहा कि अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) से नाराजगी का कोई आधार होना चाहिए. दूसरा संकेत आज उन्होंने लखनऊ में दिया और कहा कि विधानसभा में अखिलेश यादव के बगल में बैठना उनके लिए सम्मान की बात है. खासबात ये कि पिछले एक महीने से चल रही नाराजगी की अटकलों के बीच आजम खान ने कभी भी अखिलेश यादव पर सीधे तौर पर हमला नहीं बोला. बल्कि वह इशारों में ही अपनी नाराजगी को दिखाते रहे. लिहाजा माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में आजम खान और अखिलेश की गले मिलते कोई तस्वीर सोशल मीडिया में वायरल हो.
आजम खान लखनऊ में हैं और आज उनकी सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और मुलायम सिंह यादव से मुलाकात हो सकती है. आजम खान के जेल से बाहर निकलने के बाद यूपी की सियासत में भी चर्चाओं का दौर शुरू हो गया था और बताया जा रहा था कि वह अखिलेश यादव से नाराज हैं. इन चर्चाओं को और बल मिला जब रविवार को सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने विधायकों की बैठक बुलाई थी और उस बैठक से आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम खान शामिल नहीं हुए. हालांकि इससे पहले कहा जा रहा था कि अखिलेश यादव आजम खान से मिलने के लिए सीतापुर जेल नहीं गए जिसके कारम वह सपा अध्यक्ष से नाराज हैं. लेकिन इस सब सियासी अटकलों और चर्चाओं को आजम खान ने विराम दे दिया है और रामपुर में उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव से नाराजगी के लिए कोई आधार होना चाहिए. जबकि लखनऊ पहुंचकर उन्होंने इससे भी बड़ा बयान दिया और कहा कि अगर विधानसभा में वह अखिलेश यादव के करीब बैठते हैं तो ये उनका सम्मान होगा.
सियासत के मझे हुए खिलाड़ी हैं आजम खान
असल में सियासत के मझे हुए खिलाड़ी आजम खान अच्छी तरह से जानते हैं कि वर्तमान में उनकी स्थिति ऐसी नहीं है कि वह कोई रिस्क ले सकें. जानकारों का कहना कि आजम खान सियासी तौर पर अब मजबूर हो चुके हैं और नफा नुकसान देखने के बाद ही उन्होंने अपना रूख नरम किया है. सियासत में आजम खान के नेचर को सभी जानते हैं. कहा जाता है कि आजम खान अगर कोई फैसला करते हैं तो उसे उसके अंजाम तक पहुंचाते हैं. लेकिन इस बार आजम खान ने झुकने में भी अपनी भलाई समझी है. ये तो तय है कि आजम खान अखिलेश यादव और अन्य नेताओं से नाराज थे. अगर आजम खान नाराज न होते तो वह जेल में रहकर भी सपा अध्यक्ष को लेकर बयान दे सकते थे और जितनी भी चर्चाएं चल रही थी. उन्हें खारिज करते हुए इसे अफवाह बता सकते थे. लेकिन आजम खान ने ऐसा कुछ नहीं किया. जानकार कहते हैं कि आजम खान के जेल से बाहर आने के बाद सभी तरह के सभी सियासी समीकरणों को समझा है और इसके बाद ही उन्होंने यू टर्न लिया है. ताकि रामपुर में उनकी सल्तनत बची रही.
इन तीन फैक्टर से समझे अखिलेश यादव को लेकर क्यों 'मुलायम' हुए आजम
बढ़ती उम्र में नहीं चाहते हैं रिस्क
सपा नेता आजम खान करीब 77 साल के करीब हो गए हैं और वह इस उम्र में ज्यादा रिस्क नहीं ले सकते हैं. वह इस उम्र में ना तो किसी नहीं पार्टी का गठन कर सकते हैं और ना ही किसी नई पार्टी में जा सकते हैं. खासतौर से शिवपाल सिंह की पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी का वह हिस्सा बन सकते हैं. आजम खान का पूरा फोकस अपने बेटे अब्दुल्ला आजम खान को सियासत में स्थापित करना है और ऐसे में उनके लिए समाजवादी पार्टी से बेहतर कोई विकल्प नहीं हो सकता है. लिहाजा जेल से आने के बाद उन्होंने रामपुर में रविवार को अखिलेश यादव को लेकर कहा कि वह उनसे क्यों नाराज होंगे. इसके लिए आधार होना चाहिए. जबकि आजम खान मीडिया प्रबंधक शानू ने पिछले दिनों ही अखिलेश यादव को लेकर बड़े आरोप लगाए थे. यही नहीं रविवार को ही आजम खान शान के घर में उनकी मां के स्वास्थ्य का हाल जानने के लिए पहुंचे थे. जानकार कहते हैं कि शानू के बयान पर एक तरह से आजम खान की ही सहमति होगी. क्योंकि हर कोई आजम खान की कार्यप्रणाली को जानता है. लिहाजा शानू बगैर आजम खान की मंजूरी के बयान नहीं दे सकते हैं.
रामपुर में किला बचाने की जद्दोजहद
आजम खान लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे चुके हैं. वह 2019 में लोकसभा चुनाव जीते थे. लेकिन पार्टी ने उन्हें विधानसभा का टिकट दिया और वह जेल से ही चुनाव जीतने में कामयाब रहे. अब रामपुर सीट पर लोकसभा उपचुनाव होना है और अगर सपा अध्यक्ष रामपुर से किसी अन्य नेता को टिकट देते हैं तो ये आजम खान के लिए बड़ा सियासी झटका होगा. एक तरफ जहां रामपुर में आजम खान कमजोर होंगे. वहीं दूसरी तरफ रामपुर में आजम खान का एक प्रतिद्वंदी भी उनके सामने ख़ड़ा हो जाएगा. जबकि आजम खान की सियासत रामपुर तक ही सीमित है. भले ही वह सपा में खुद को पूरे देश का बड़ा मुस्लिम नेता मानते हों. आजम खान ने सीतापुर जेल से रामपुर पहुंचने के बाद कहा था कि वह उपचुनाव लड़ेंगे. इससे साफ होता है कि वह अपनी नाराजगी के बदले रामपुर सीट के लिए सपा नेतृत्व से डील कर सकते हैं. अब ये आजम खान को तय करना होगा कि वह इस सीट के लिए टिकट किसके लिए मांगते हैं. अपने दूसरे बेटे को वह सियासत में लाना चाहते हैं या फिर परिवार के किसी सदस्य को लोकसभा में भेजना चाहते हैं. या फिर एक बार फिर खुद ही लोकसभा में बैठना चाहते हैं.

सोर्स - tv9hindi.com

Rani Sahu

Rani Sahu

    Next Story