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महामारी के बाद अब भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है
संयम श्रीवास्तव महामारी के बाद अब भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है. बीते दिनों रिजर्व बैंक ने जारी अपनी अर्थव्यवस्था की स्थिति की रिपोर्ट में कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था की कुल मांग में तेजी से सुधार हो रहा है. आईएमएफ और दुनिया भार की कई एजेंसियों ने पहले ही घोषणा कर रखी है कि भारत की अर्थव्यवस्था विश्व में सबसे तेज गति से बढ़ने वाली है. अब रिजर्व बैंक ने देश की मौद्रिक और कर्ज की स्थिति में भी तेजी से आर्थिक सुधार और दूसरी छमाही में सरकार की व्यय गुणवत्ता में सुधार आदि को देखते हुए फिर दावा कर रहा है कि अर्थव्यवस्था की स्पीड बहुत तेजी से बढ़ने वाली है.
दरअसल इस वक्त देश में ट्रांसपोर्टेशन पहले से काफी बेहतर हुआ है. लोगों को नौकरियां भी तेजी से मिल रही हैं. यानि नौकरियों का बाजार पहले के मुकाबले ठीक हो रहा है. तेजी से वैक्सीनेशन होने के कारण इंडस्ट्रियल सेक्टर में भी पॉजिटिविटी बनी हुई है. जबकि खरीफ सत्र में रिकॉर्ड उत्पादन दर्ज किया गया है और रबी सीजन में भी सकारात्मक की स्थिति बनी हुई है. इन्हीं मुख्य वजहों से अनुमान लगाया जा रहा है कि भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ने वाली है.
निर्यात में लगातार 11वें महीने भी बढ़ोतरी
किसी भी देश की अर्थव्यवस्था को बेहतर करने के लिए उसका अपने एक्सपोर्ट को बढ़ाना जरूरी होता है. भारत में वाणिज्यिक वस्तुओं के निर्यात में लगातार 11वें महीने भी बढ़ोतरी दर्ज की गई. अक्टूबर में यह बढ़कर 35.65 डॉलर हो गया, जो पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 43 फ़ीसदी ज़्यादा है. दरअसल महामारी जैसे-जैसे कमजोर हो रही है दुनिया में मांग तेजी से बढ़ रही है. यही वजह है कि भारत अब पूरी दुनिया को तेजी से निर्यात कर पा रहा है.
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की शुरुआती रिपोर्ट बताती है कि पेट्रोलियम उत्पादों, इंजीनियरिंग के सामान, रत्न एवं आभूषणों के साथ-साथ कार्बनिक और अकार्बनिक रासायनिक वस्तुओं की भी तेजी से मांग बढ़ी है. और भारत इन सभी चीजों का निर्यात लगातार कर रहा है. भारत इस वक्त एक्सपोर्ट इतना तेजी से कर रहा है कि इसने प्री कोविड के रिकॉर्ड भी तोड़ दिए हैं. यानि की साल 2019 में अक्टूबर के महीने में हुए निर्यात की तुलना अगर अक्टूबर 2021 से करें तो इसमें लगभग 36 फ़ीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है.
विदेशों में बढ़ी उपभोक्ता वस्तुओं की मांग
बिजनेस स्टैंडर्ड में छपी खबर के अनुसार इस वक्त विदेशों में उपभोक्ता वस्तुओं की इन श्रेणियों की मांग बहुत तेजी से बढ़ रही है. इनमें कालीन, हस्तशिल्प, चमड़े के सामान, मसाले, समुद्री उत्पाद और मांस के साथ-साथ डेयरी उत्पाद की भी मांग तेजी से बढ़ी है. प्लास्टिक और इलेक्ट्रॉनिक सामान की भी मांग पूरी दुनिया में तेजी से बढ़ रही है और उसके आगे भी बढ़ने की उम्मीद हैं. भारत के कुल एक्सपोर्ट में इन 8 सामानों की हिस्सेदारी लगभग 12 फ़ीसदी है. इसके साथ ही वाणिज्यिक वस्तुओं का निर्यात भी तेजी से बढ़ा है. अप्रैल से अक्टूबर के बीच के भारत के वाणिज्यिक वस्तुओं के निर्यात को देखें तो यह लगभग 233.54 अरब डॉलर का रहा है, जो पिछले साल के मुकाबले लगभग 55.23 फ़ीसदी ज्यादा रहा है.
भारत ने अपने लक्ष्य का 58 फ़ीसदी पूरा कर लिया है
एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत ने चालू वित्त वर्ष में अपने निर्धारित लक्ष्य 400 अरब डॉलर के निर्यात का 58 फ़ीसदी लक्ष्य हासिल कर लिया है. हालांकि निर्यात के साथ-साथ भारत ने आयात भी जमकर किया है. त्योहारों के सीजन के कारण भारत ने लगभग 55.37 अरब डॉलर का आयात किया, जो पिछले साल के मुकाबले 62.5 फ़ीसदी और अक्टूबर 2019 के मुकाबले 45.7 फ़ीसदी ज्यादा है. यही वजह रही कि अक्टूबर में भारत का व्यापार घाटा भी गिरकर 19.73 अरब डॉलर के पास पहुंच गया. जो सितंबर में बढ़कर 22.59 अरब डालर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया था.
इस आयात में गैर पेट्रोलियम और गैर रत्न एवं आभूषण की हिस्सेदारी लगभग 32 अरब डॉलर है. गैर पेट्रोलियम और गैर रत्न एवं आभूषण का निर्यात अगर देखें तो अक्टूबर महीने में पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 26.7 फ़ीसदी से बढ़कर 26.09 अरब डॉलर हो गया है. यानि की अगर अक्टूबर 2021 की तुलना, अक्टूबर 2019 से किया जाए तो उसमें 37 फ़ीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है.
डिजिटल भुगतान तेजी से बढ़ रहा है
एसबीआई रिसर्च की एक रिपोर्ट बताती है कि दीपावली के हफ्ते में जब रिकॉर्ड स्तर पर खरीदारी दर्ज की गई थी तो उस समय कैश का प्रवाह मार्केट में कमजोर था. लेकिन डिजिटल भुगतान में जबरदस्त उछाल देखा गया था. डिजिटल भुगतान के सभी साधनों में सबसे ज्यादा इस्तेमाल यूपीआई का हो रहा है. यही वजह है कि इस रिसर्च में सुझाव दिया गया है कि यूपीआई को रियल टाइम नीति बनाने के लिए उपयोग में लाया जा सकता है. दीपावली के दौरान भारत में रिकॉर्ड स्तर पर लगभग 1.25 लाख करोड़ रुपए की खरीदारी दर्ज की गई.
लेकिन जब इस खरीदारी में इस्तेमाल कैश के आंकड़े को देखा गया तो यह महज़ 43,900 करोड़ रुपए ही थी. अक्टूबर 2021 में यूपीआई के जरिए लगभग 3.5 अरब का लेनदेन किया गया है. जो दिखाता है कि सालाना आधार पर लेनदेन की संख्या के लिहाज से इसमें 100 फ़ीसदी और मूल्य के लिहाज से 103 फ़ीसदी का उछाल दर्ज किया गया है. यूपीआई के द्वारा लेन दे साल 2017 के बाद से अब तक 69 गुना ज्यादा बढ़ चुका है.
Rani Sahu
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