सम्पादकीय

आमिर खान की तलाक पर कही गई बातें किसी औसत कवि की लफ्फाज कविता सी क्‍यों जान पड़ती हैं?

Gulabi
6 July 2021 9:36 AM GMT
आमिर खान की तलाक पर कही गई बातें किसी औसत कवि की लफ्फाज कविता सी क्‍यों जान पड़ती हैं?
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आमिर खान की तलाक

मनीषा पांडेय। दो दिन पहले 3 जुलाई को ट्विटर अचानक तब हरकत में आ गया, जब आमिर खान ने एक पब्लिक स्‍टेटमेंट जारी कर अपने और किरण राव के तलाक की घोषणा की. 15 साल की शादी के बाद दोनों ने आपसी सहमति से अलग होने का फैसला किया था. दोनों के ओर से जारी हुए साझे वक्‍तव्‍य में लिखा था-

"15 साल की इस साझी जिंदगी में हमने जीवन भर के अनुभव, खुशियां और हंसी बांटी और हमारे रिश्‍ते में विश्‍वास, आदर और आपसी प्रेम समय के साथ और मजबूत होता गया है. अब हम अपनी जिंदगी का एक नया अध्‍याय शुरू करना चाहते हैं. अब पति-पत्‍नी की तरह नहीं बल्कि को-पैरेंट और एक दूसरे के परिवार की तरह. हमने कुछ समय पहले आपसी सहमति से अलग होने का फैसला किया था और अब उसे औपचारिक रूप देने और अलग-अलग रहने के लिए सहज महसूस कर रहे हैं. अलग होने के बाद भी हम एक बड़े साझे परिवार की तरह होंगे. अपने बेटे आजाद के लिए हम दोनों ही समर्पित पैरेंट होंगे और दोनों मिलकर उसकी परवरिश करेंगे. साथ ही हम अपनी फिल्‍मों, पानी फाउंडेशन और अन्‍य प्रोजेक्‍ट्स के लिए साथ-साथ काम करते रहेंगे. निरंतर सहयोग करने और हमारे रिश्‍ते की इस सहज परिणति को समझने-स्‍वीकारने के लिए परिवार और दोस्‍तों का बहुत-बहुत शुक्रिया. इस सहयोग के बगैर हम इतना सुरक्षित नहीं महसूस करते कि यह कदम उठा सकें. हम अपने शुभचिंतकों से प्रार्थना करते हैं कि वो अपनी दुआएं और सद्इच्‍छा बनाए रखें और उम्‍मीद करते हैं कि हमारी तरह आप भी इस तलाक को अंत की तरह नहीं, बल्कि एक नई यात्रा की शुरुआत की तरह देखेंगे."


हालांकि इस वक्‍तव्‍य को लेकर भी सोशल मीडिया हमेशा की तरह दो धड़ों में बंट गया था, लेकिन फिर भी इसे गरिमा से देखने और इसकी गरिमा बनाए रखने की भी लोगों ने भरपूर कोशिश की. लेकिन ट्विटर पर असली बवाल तो कल शुरू हुआ है, जब किरण राव और आमिर खान ने एक वीडियो जारी किया, जिसमें वह अपने तलाक के पक्ष में सफाइयां और तर्क देते नजर आ रहे हैं.
किरण राव

तरीकबन डेढ़ मिनट के इस वीडियो की थोड़ा गहराई से विश्‍लेषण करने की जरूरत है. वीडियो शुरू होते ही एक फ्रेम उभरता है, जिसमें बाईं ओर किरण राव बैठी हैं और दाईं ओर आमिर खान. किरण बोलना शुरू करती हैं-

"आप लोगों ने हाल ही में सुना होगा, हमने कल अपने डिवोर्स का अनाउंसमेंट किया था. तो आप सबको शायद दुख पहुंचा होगा, शॉक भी पहुंचा होगा, पर हम आपको आश्‍वासन देना चाहते हैं कि हम साथ ही रहेंगे, काम भी साथ करेंगे. पानी फाउंडेशन तो….. इतना बोलते-बोलते किरण की जबान लड़खड़ाने लगती है और उन्‍हें बीच में ही टोककर आमिर खान बोलना शुरू कर देते हैं… "पानी फाउंडेशन तो हमारे बच्‍चे की तरह है. जैसे आजाद हमारा बच्‍चा है, वैसे ही पानी फाउंडेशन भी हमारा बच्‍चा है." इसके बाद सिर्फ आमिर लगातार बोलते हैं और बगल में बैठी किरण तकरीबन चुप ही रहती हैं. वो बीच-बीच में सिर हिलाती हैं, हां में हां मिलाती हैं और उनका चेहरा देखकर लगता है कि वो सहज दिखने और मुस्‍कुराने की कोशिश भी कर रही हैं, लेकिन अंत तक आते-आते सबकुछ एक नाटकीय प्रहसन में तब्‍दील हो जाता है, जब आमिर खान कह रहे होते हैं, "कल आपने सुना होगा, पढ़ा होगा. आपको दुख हुआ होगा, अच्‍छा नहीं लगा होगा, शॉक लगा होगा. लेकिन हम दोनों बहुत खुश हैं और एक ही परिवार हैं. हमारे रिश्‍ते में चेंज आया है, लेकिन हम एक दूसरे के साथ ही हैं. हम हमेशा फैमिली रहेंगे. हमारे लिए दुआ करिए, प्रार्थना करिए."

यूं देखा जाए तो दो लोगों के निजी रिश्‍तों में आए बदलाव और उतार-चढ़ाव पब्लिक कंसर्न का विषय नहीं हैं. वो साथ रहें या अलग, दुनिया में किसी को भी इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ना चाहिए. लेकिन जब आप सेलिब्रिटी होते हैं तो जाहिर है आपका जीवन उतना निजी नहीं रह जाता. और खासतौर पर तब जब विवाह और तलाक, दोनों की घोषणा सार्वजनिक की गई हो और उसे लेकर तर्क और सफाइयां दी गई हों.जानें कौन हैं किरण राव

इसलिए यहां दिक्‍कत आमिर और किरण के तलाक से नहीं है, दिक्‍कत उस भाषा और उस नरेटिव से है, जो अपने फैसले के बचाव में बुना जा रहा है. एक साथ ही वो दो बातें कह रहे हैं. एक तरफ वो कह रहे हैं कि हम तलाक ले रहे हैं. अब हम पति-पत्‍नी नहीं रहे, लेकिन अगले ही वाक्‍य में वो ये भी कह रहे हैं कि हम अब भी एक-दूसरे के साथ हैं. हम हमेशा फैमिली रहेंगे. ये दोनों बातें एक साथ तो मुमकिन नहीं हो सकतीं. या तो वो साथ हैं या फिर नहीं हैं. या तो वो अब भी पति-पत्‍नी हैं या फिर नहीं हैं. या तो वो अब भी फैमिली हैं या फिर नहीं हैं. तलाक के बाद भी लोग एक-दूसरे के प्रति दयालु, सहृदय और मददगार हो सकते हैं, दोस्‍त हो सकते हैं, शुभचिंतक हो सकते हैं, लेकिन तलाक के बाद वो एक परिवार नहीं होते. पति-पत्‍नी नहीं होते. तलाक के बाद वो पारंपरिक और सामाजिक अर्थों में एक यूनिट नहीं होते, जैसाकि आमिर खान होने का दावा कर रहे हैं.

आखिर आमिर खान ये दोनों बातें एक साथ करके साबित क्‍या करना चाहते हैं. क्‍या वो उस जनता को मूर्ख समझते हैं, जिन्‍होंने अब तक उन्‍हें इतना प्‍यार दिया और सिर-आंखों पर बिठाया. क्‍या बात उतनी ही और वैसी ही है, जैसी आमिर खान अपने चाहने वालों को समझाने की कोशिश कर रहे हैं.

इस पूरी कहानी को एक बार उस नजरिए से भी देखा जाना चाहिए, जो उस वीडियो में किरण राव को देखकर महसूस होता है. किरण आमिर खान के साथ बराबरी में बैठी जरूर हैं, लेकिन कोई मामूली आइक्‍यू वाला व्‍यक्ति भी उसे देखकर बता सकता है कि वो किस कदर उस वीडियो में अनुपस्थित हैं. उनके चेहरे पर आज वो खुशी और चमक नहीं दिखी, जो हर बार और हर जगह उनके हर पब्लिक अपीयरेंस में दिखाई देती है. खुशी सिर्फ आमिर खान के चेहरे पर और उनकी आवाज में है. किरण की हंसी नकली है, किरण के मुंह से निकल रहे शब्‍द नकली हैं. वो वहां सिर्फ इसलिए मौजूद जान पड़ती हैं क्‍योंकि इस फैसले को स्‍वीकारने के अलावा शायद उनके पास कोई और विकल्‍प नहीं. आमिर खान का कद, शोहरत और उनकी दुनियावी हैसियत इतनी बड़ी है कि उसके आगे किरण का वजूद बहुत मामूली नजर आता है.
आमिर खान और किरण राव साथ आए

ये आमिर की दूसरी शादी और दूसरा तलाक है. 2005 में उन्‍होंने किरण राव से विवाह किया था. इसके पहले उन्‍होंने कॉलेज के दिनों में ही अपनी गर्लफ्रेंड रीना दत्‍ता से शादी की थी, जिनके साथ वो 15 साल तक वैवाहि‍क बंधन में बंधे रहे. आमिर और किरण की शादी भी 15 साल चली. अब लोग कयास लगा रहे हैं कि जल्‍द ही आमिर तीसरी शादी की घोषणा कर सकते हैं.

खैर, कितनी शादियां और कितना तलाक मुद्दा नहीं है. आमिर खान की जिंदगी है, वो इसके साथ जो चाहें, करें. हमारा सवाल सिर्फ इतना सा है कि जनता को मूर्ख समझना और मूर्ख बनाना बंद करें. एक खत्‍म हो चुके रिश्‍ते को मीठे शब्‍दों की चाशनी में लपेटकर गोल-गोल जलेबी न छानें. अलग हो चुके हैं, लेकिन फिर भी हम एक हैं जैसी लफ्फाजियां न करें.
बाकी वो अभिनेता है. रूपहले पर्दे पर तो अभिनय करते ही हैं, थोड़ा सा जिंदगी में भी कर लिया तो कौन सा आश्‍चर्य भला.
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