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देश में इस साल जनवरी में कोरोना (Corona) की तीसरी लहर शुरू हुई थी
पंकज कुमार |
देश में इस साल जनवरी में कोरोना (Corona) की तीसरी लहर शुरू हुई थी. तब 20 जनवरी को एक दिन में कोरोना के तीन लाख से ज्यादा केस आए थे. जनवरी में शुरू हुई ये लहर मार्च के आखिरी सप्ताह तक खत्म हो गई थी और उस दौरान रोजाना औसतन 1500 से भी कम नए मामले आ रहे थे, लेकिन इसके दो सप्ताह बाद ही 15 अप्रैल के बाद से केस फिर से बढ़ने लगे थे. तब कई एक्सपर्ट ने देश में चौथी लहर की आशंका भी जताई थी. बढ़ते मामलों को देखते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय भी सतर्क हो गया था, हालांकि अप्रैल में कोरोना के केस बढ़े जरूर, लेकिन मामलों में इतना इजाफा नहीं हुआ, जिसे किसी नई लहर का नाम दिया जा सके. शायद इसके पीछे एंटीबॉडी (Antibody) और वैक्सिनेशन (Vaccination) प्रमुख कारण रहे.
अब पिछले कुछ दिनों से कोरोना के नए मामले घटने लगे हैं. एक्सपर्ट्स ने चौथी लहर की आशंका को भी खारिज कर दिया है. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि जब इस बार फिर से केस बढ़े थे. तो इतनी जल्दी क्यों घटने लगे और कई एक्सपर्ट्स के आकलन के बाद भी चौथी लहर क्यों नहीं आई?
एंटीबॉडी और वैक्सिनेशन
दिल्ली एम्स के क्रिटिकल केयर डिपार्टमेंट के प्रोफेसर डॉ. युद्धवीर सिंह का कहना है कि देश में मार्च में तीसरी लहर खत्म हुई थी. ओमिक्रॉन वैरिएंट की वजह से आई उस लहर में लगभग सभी लोग संक्रमित हुए थे, हालांकि हल्के लक्षणों की वजह से केस कम रिपोर्ट हुए थे, लेकिन काफी हद तक संक्रमण सभी को हुआ था. इस वजह से लोगों में कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडी बन गई थी. वैक्सीनेशन भी तेजी से हो रहा था. जब अप्रैल में फिर से केस बढ़े, तो लोगों को लगा कि यह किसी नई लहर का संकेत है, लेकिन ऐसा नहीं था. उस दौरान लोग ओमिक्रॉन के अलग- अलग सब वैरिएंट्स से संक्रमित हो रहे थे, चूंकि ओमिक्रॉन की वजह से पहले ही इम्यूनिटी बनी हुई थी. ऐसे में एक ही वैरिएंट के दूसरे सब वैरिएंट से गंभीर असर होने की आशंका नहीं थी. इसलिए ज्यादा लोग संक्रमित नहीं हुए और न ही हॉस्पिटलाइजेशन में कोई इजाफा हुआ. यही कारण था कि इस बार केस बढ़े भी, तो कोविड के मामलों ने किसी नई लहर का रूप नहीं लिया.
क्या अभी भी चौथी लहर की आशंका है?
डॉ. सिंह का कहना है कि अब कोरोना महामारी एंडेमिक फेज में है. यानी, वायरस हमारे बीच मौजूद तो रहेगा, लेकिन इसका ज्यादा असर नहीं होगा. बीच-बीच में कुछ इलाकों या राज्यों में छोटे-छोटे पीक आ सकते हैं, लेकिन केस इस हिसाब से नहीं बढ़ेंगे, जिसमें कोई चिंता की बात हो. ऐसे में फिलहाल देश में चौथी लहर की आशंका नहीं है. हालांकि, ये इस बात पर भी निर्भर करता है कि कोरोना का कोई नया वैरिएंट आता है या नहीं. क्योंकि मौजूदा किसी भी वैरिएंट से तो केस तेजी से नहीं बढ़ेंगे. समय के साथ-साथ वायरस का प्रभाव भी घटने लगता है. इसलिए अभी कोरोना एक सामान्य फ्लू की तरह ही व्यवहार करेगा. उम्मीद है कि अब हम कभी ऐसी स्थिति का सामना नहीं करेंगे, जो दूसरी लहर के दौरान देखा गया था.
बीच-बीच में कुछ देशों में क्यों बढ़ जाते हैं केस?
पिछले कुछ महीनों में देखा गया है कि चीन और हांगकांग में कोरोना के मामले रिकॉर्ड स्तर पर बढ़े थे. अब उत्तर कोरिया में कोरोना का वायरस कहर बरपा रहा है. ऐसा क्यों होता है कि कुछ देशों में केस अचानक बढ़ने लगते हैं? इस बारे में प्रोफेसर युद्धवीर का कहना है कि ये इस बार पर निर्भर करता है कि उस देश में कोरोना का कौन सा वैरिएंट मौजूद है. उदाहरण के तौर पर फरवरी में चीन में कोरोना के मामले बढ़ने का कारण ओमिक्रॉन था. चूंकि वायरस लगातार म्यूटेट होता रहता है. इसलिए अलग-अलग समय पर देशों में इसके केस आते रहेंगे. हो सकता है कि नॉर्थ कोरिया में अब कोई नया वैरिएंट आ गया हो, जिससे वहां केस बढ़ रहे हैं. इसलिए दुनिया के किसी न किसी कोने में कोरोना के मामले आते ही रहेंगे, ऐसा आगे भी जारी रहेगा.
सतर्क रहना होगा
कोरोना से स्थिति सामान्य है और ये एक सामान्य फ्लू की तरह हो गया है, तो क्या अब यह मान लेना चाहिए कि ये वायरस अब खत्म हो रहा है? डॉ. सिंह का कहना है कि महामारी फिलहाल एंडेमिक फेज में है, लेकिन ऐसा नहीं कह सकते है कि कोरोना अब खत्म हो रहा है.चूंकि ये एक वायरस है तो ऐसा में हमेशा किसी नए वेरिएंट के आने की आशंका रहती है. इसलिए भले ही स्थिति सामान्य है, लेकिन इस वायरस के प्रति हमेशा सतर्क रहना होगा. क्योंकि वायरस कितना भी कमजोर हो. पुरानी बीमारी से पीड़ित और बुजुर्ग लोगों को इससे खतरा बना ही रहता है. ऐसे में यह जरूरी है कि कोरोना को लेकर लापरवाही न बरती जाए और इसकी रोकथाम के लिए सरकार और आम लोग हमेशा साथ मिलकर काम करें.
सोर्स - tv9hindi.com
Rani Sahu
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