सम्पादकीय

केरल और महाराष्ट्र कोरोना पर लगाम कसने में फिसड्डी क्यों हुए

Tara Tandi
10 July 2021 10:35 AM GMT
केरल और महाराष्ट्र कोरोना पर लगाम कसने में फिसड्डी क्यों हुए
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देश में केरल और महाराष्ट्र दो ऐसे राज्य हैं

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | पंकज कुमार| देश में केरल (Kerala) और महाराष्ट्र (Maharashtra) दो ऐसे राज्य हैं जहां कोरोना (Corona) के केसेज थमने का नाम नहीं ले रहे हैं. कहने को केरल में स्वास्थ्य सुविधाएं (Medical System) बेहतरीन हैं लेकिन मीडिया रिपोर्टस में केरल और महाराष्ट्र की बदहाली की चर्चाएं शायद ही देखी गई हैं. केरल और महाराष्ट्र के ताजा हालात ये बताते हैं कि वहां की सरकारें कोविड (Covid) पर लगाम कसने में नाकाम साबित हुई हैं.

पीएम मोदी ने गुरुवार को हुई बैठक में केरल और महाराष्ट्र राज्य में कोरोना की स्थितियों को लेकर चिंता प्रकट की है. ज़ाहिर है बेहतरीन स्वास्थ्य सुविधाओं और सरकारी स्तर पर जोरदार काम का दावा करने वाली इन दो राज्यों की सरकारें अपने काम काज को लेकर पीठ थपथपाती रही हैं . लेकिन कोविड के रिकॉर्ड्स इन राज्यों की असली दास्तां सामने रख रही हैं. ऐसे में इन दो राज्यों में कोरोना पर लगाम कसने के लिए किन उपायों का सहारा लिया जाए इसकी चिंताएं बढ़ने लगी हैं.
केरल का रिकॉर्ड खराब है फिर भी मीडिया में इसकी चर्चा पॉजिटिव वजहों से क्यों होती है ?
सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक पिछले एक महीने से केरल में कोविड के नए केसेज रोजाना 11 हजार से 13 हजार दर्ज हुए हैं. इस दरमियान देश के आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो यह 80 हजार से घटकर 40 हजार के पास पहुंच चुका है. बड़े राज्यों पर नजर डालें तो केरल को छोड़कर तमाम राज्यों में रोजाना केसेज बड़े पैमाने पर कम दर्ज हो रहे हैं. वहीं 15 जून के बाद से केरल देश में सबसे ज्यादा कोविड पीड़ित राज्यों में गिना जा रहा है.
जनवरी से लेकर जुलाई तक के आंकड़ों पर नजर डालें तो 1 जनवरी को केरल देश के डेली केसेज में 26.16 फीसदी योगदान दे रहा था जो 8 फरवरी को बढ़कर 48.7 फीसदी हो गया था. फरवरी के बाद ग्राफ में गिरावट देखी गई और 1 मई को केरल के रोजाना मामले न्यूनतम स्तर पर था. लेकिन एक मई के बाद दोबारा ग्राफ में उछाल देखा जा रहा है और जुलाई 7 को दर्ज हुए मामलों में केरल का योगदान 29.38 फीसदी है. पिछले दो दिनों से केरल का योगदान देश में कुल मामलों का 30 फीसदी है जो चिंता का सबब बना हुआ है.
कोविड के बढ़ते केसेज की क्या है असली कहानी
जनवरी महीने में जो कोरोना केसेज के ग्राफ देखे जा रहे थे उसकी पुनरावृति देखी जा रही है. केरल देश में कोरोना के गिरते ग्राफ के बीच लगातार उछाल मार रहा है. पिछले दो दिनों से देश में बढ़ते एक्टिव केसेज की वजह केरल राज्य बन गया है. जनवरी महीने में केरल देश के कुल कोविड संख्याओं का 60 फीसदी योगदान दे रहा था. केरल में संक्रमित लोगों की कुल संख्या 30 लाख के पार जा चुकी है जो महाराष्ट्र के बाद दूसरे नंबर पर है. वैसे जनसंख्या के अनुपात में देखा जाय तो केरल की कुल आबादी साढ़े तीन करोड़ है जबकि महाराष्ट्र की जनसंख्या तकरीबन 13 करोड़. ऐसे में केरल में प्रति दस लाख आबादी में 90 हजार लोग संक्रमित हुए हैं जो देश की तुलना में कहीं ज्यादा है. देश में प्रति दस लाख संक्रमण की संख्या 24 हजार है. ज़ाहिर है देश के प्रति मिलियन आबादी की तुलना में संक्रमण दर केरल और महाराष्ट्र का काफी ज्यादा है. स्वास्थ्य विभाग के ज्वाइंट सिक्रेट्री लव अग्रवाल की मानें तो देश के कुल संक्रमण के पचास फीसदी केसेज केरल और महाराष्ट्र से आ रहे हैं. ज़ाहिर है इन दो राज्यों की स्थितियों में कई समानताएं हैं और यहां कोविड ग्राफ ढलान पर आता है लेकिन कोविड केसेज की संख्या साइजेबल नंबर पर बनी हुई है.
शुक्रवार को आई रिपोर्ट पर गौर फरमाएं तो पॉजिटिविटी रेट 10.4 फीसदी है वहीं महाराष्ट्र की पॉजिटिविटी रेट अभी भी 4 फीसदी पर अटका हुआ है. आंकड़ों के हिसाब से केरल से ज्यादा गोवा की प्रति मिलियन इंफेक्शन रेशियो है जबकि कोविड से मरने वालों की कुल संख्या 14 हजार 1 सौ 97 है जो देश में आठवें नंबर पर है. मौत के आंकड़ों के हिसाब से केरल में डेथ प्रति मिलियन 424 है जो देश की 311 डेथ की तुलना में कहीं ज्यादा है. राज्य में किए गए 100 टेस्ट में 13 कंफर्म केसेज सामने आते हैं जो यूपी जैसे राज्यों की तुलना में तीन गुना से ज्यादा है. यूपी में सौ टेस्ट में संक्रमण की संख्या 4 से कम दर्ज की गई है.
वैसे केरल का डेथ रेट .47 है जो देश के एवरेज की तुलना में कम है. केरल भले ही कोरोना को डील करने के बेहतर तरीकों को जानता हो लेकिन कोरोना संक्रमण पर नकेल कसने में राज्य बुरी तरह फेल रहा है. महाराष्ट्र की कहानी भी कमोबेश वही है जहां दूसरी वेव थमने का नाम ही नहीं ले रहा है. ऐसे में दोनों राज्यों में जिलों की संख्या पर नजर डालें तो केरल में आठ और महाराष्ट्र में दो जिले हैं जहां पॉजिटिविटी रेट 10 फीसदी से ज्यादा है. देश में कुल 90 जिले ऐसे हैं जहां से 80 फीसदी केसेज दर्ज हो रहे हैं उनमें से महाराष्ट्र के 15 और केरल के 14 जिले शामिल हैं.


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