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- अक्टूबर में क्यों आई...
सत्य नारायण अक्टूबर में आफत काल है । देवभूमि से सैलाब के कहर की खौफनाक तस्वीर सामने आ रही है । ज़मींदोज आशियाने,सड़क पर पानी का बसेरा । उत्तर से दक्षिण तक पानी ही पानी । आखिर अक्टूबर में क्यों बिगड़ा है मौसम का मिजाज़ ? अक्टूबर में इतनी बारिश क्यों हो रही है । त्योहारों के महीने में केरल से लेकर उत्तराखंड में बारिश से बर्बादी क्यों हो रही है । बारिश की वजह से देवभूमि की हालत खस्ता रही है । उफनती नदियां,टूटते पुल । इंसान और बेजुबान सब परेशान । अक्टूबर की बरसात से उत्तराखंड के मशहूर टूरिस्ट स्पॉट नैनीताल बेड़ागर्क कर दिया । जगह जगह से रेस्क्यू की तस्वीरें सामने आई । सेना के जवानों अपनी जान की बाजी लगाकर लोगों को मुसीबतों से निकाला । उत्तराखंड से लेकर केरल तक तबाही का मंजर नजर आया । बारिश की वजह से उत्तराखंड के नानक सागर डैम के सारे गेट खोल दिए गए । एशिया के सबसे बड़े आर्क बांध केरल के इडुक्की के गेट भी खोले गए । इससे पहले इडुक्की के गेट 1981, 1992 2018 में खोले गए थे । अक्टूबर महीने में बारिश ने 61 साल पुराना रिकॉर्ड टूटा है ।अब तक अक्टूबर में 94.6MM बारिश हुई है । 1960 में अक्टूबर में 93.4MM बारिश हुई थी । आखिर अक्टूबर में इतनी बारिश क्यों हो रही है । उत्तराखंड से लेकर केरल तक तबाही क्यों दिख रही है । जानकार इसकी वजह मॉनसून विड्रॉल यानि मॉनसून के वापस लौटने में देरी को बता रहे हैं । जानकारों के मुताबिक मॉनसून विड्रॉल आम तौर से 17 सितंबर से शुरु होता है और 15 अक्तूबर तक पूरी तरह वापस चला जाता है । इस साल मॉनसून के लौटने की शुरुआत 6 अक्टूबर से हुई है । सामान्य से 20 दिन देरी से मॉनसून वापस जा हो रहा है । बताया जा रहा है कि नवंबर तक पूरी तरह लौटेगा मॉनसून । इस साल मौसम को लेकर अक्टूबर के महीने में जो हो रहा है वो अभूतपूर्व है । उत्तर में उत्तराखंड से लेकर दक्षिण में केरल तक बड़ी तबाही हुई है । बारिश की एक और बड़ी वजह बताई जा रही है । वो है कम दबाव का क्षेत्र । विशेषज्ञों का कहना है कि पिछले हफ्ते अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में कम दबाव का क्षेत्र बना । दोनों के एक साथ मिलने की वजह से भारी बारिश हो रही है ।अक्टूबर में अलर्ट..उत्तर से लेकर दक्षिण तक जान माल का बहुत नुकसान हुआ है । हर साल हिन्दुस्तान में बाढ़-बारिश से बहुत बर्बादी होती है । एक आंकड़े के मुताबिक देश में 1953 से लेकर 2018 के दौरान बाढ़ और भारी बारिश के कारण एक लाख नौ हजार 374 लोगों की जान गई । मौत के साथ सैलाब सबसे ज्यादा आर्थिक नुकसान भी पहुंचाता है । एक अनुमान के अनुसार बाढ़ से पिछले 65 सालों के दौरान देश को लगभग 4,00,097 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ । कुछ और आंकड़ों पर गौर करें तो देश का लगभग 4 करोड़ हेक्टेयर क्षेत्रफल बाढ़ प्रभावित है ।2018-2019 में 2400 लोगों की मौत हुई । 2018 में बाढ़ से 1557908 घरों को नुकसान हुआ । 2019-20 की बात की जाए तो 2422 लोगों की मौत सैलाब की वजह से हुई । 2020-21 में अब तक 1989 लोगों की मौत हो चुकी है । देश में कुदरत के कहर के ये आंकड़े डराते हैं । कुछ विशेषज्ञ मॉनसून के वापस लौटने में देरी की वजह जलवायु परिवर्तन को बताते हैं । जानकारों के मुताबिक आर्कटिक में तेजी से बर्फ पिघलने का असर हिन्दुस्तान में भी हो रहा है ।