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- जातिगत गणना से क्यों...
विनोद बंधु। केंद्र सरकार जातिगत जनगणना के पक्ष में नहीं है। केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं सशक्तीकरण मंत्रालय की ओर से सु्प्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे से यह साफ हो गया है। हलफनामे में यह कहा गया है कि पिछड़े वर्ग की जाति आधारित जनगणना प्रशासनिक रूप से कठिन और दुष्कर कार्य है। जातिगत जनगणना की मांग समाजवादी दलों की ओर से अरसे से होती रही है। खासकर बिहार के राजनीतिक दल इस मुद्दे पर ज्यादा मुखर रहे हैं। बिहार के सभी दल इस मुद्दे पर एक मत रहे हैं। भाजपा भले ही सैद्धांतिक तौर पर इसका विरोध करती है, मगर यहां वह भी इस मुहिम के साथ खड़ी रही है। इसी कारण बिहार विधानमंडल के दोनों सदनों ने 2019 में और विधानसभा ने 2020 में जातिगत जनगणना कराने के पक्ष में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया। इस साल भी जातिगत जनगणना कराने का सबसे ज्यादा दबाव बिहार ने ही बनाया है। नीतीश कुमार 1989 से ही यह मांग करते रहे हैं। हालांकि, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और सपा नेता अखिलेश यादव, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन समेत कई अन्य राज्यों के समाजवादी नेताओं ने भी इस जनगणना पर जोर दिया है।