सम्पादकीय

बूस्टर खुराक को लेकर जितने सवाल नहीं उससे अधिक जवाब क्यों आ रहे हैं?

Rani Sahu
24 Dec 2021 2:37 PM GMT
बूस्टर खुराक को लेकर जितने सवाल नहीं उससे अधिक जवाब क्यों आ रहे हैं?
x
कोरोनावायरस (Corona Virus) के नए-नए वेरिएंट लोगों के लिए नई नई मुसीबतें खड़ी कर रहे हैं

संयम श्रीवास्तव कोरोनावायरस (Corona Virus) के नए-नए वेरिएंट लोगों के लिए नई नई मुसीबतें खड़ी कर रहे हैं. पहले डेल्टा, फिर डेल्टा प्लस और अब ओमिक्रॉन वेरिएंट (Omicron variant) ने लोगों के बीच भय का माहौल बना दिया है. पूरी दुनिया में चर्चा होने लगी है कि क्या इनसे बचाव के लिए अब लोगों को बूस्टर खुराक (Booster Dose) की जरूरत है. जबकि लगभग 60 देश पहले ही डेल्टा और ओमिक्रॉन के खतरे को देखते हुए अपने नागरिकों को बूस्टर खुराक यानि वैक्सीन की तीसरी डोज दे रहे हैं. भारत में भी बुजुर्गों और कम इम्यूनिटी वाले लोगों को बूस्टर डोज लगाने की मांग तेजी से होने लगी है. हालांकि डब्ल्यूएचओ का मानना है कि पहले भारत को बूस्टर डोज के बारे में नहीं बल्कि वैक्सीन के पहली और दूसरी खुराक के बारे में सोचना चाहिए.

भारत में अब तक 56.5 करोड़ लोग पूरी तरह से वैक्सीनेट हो चुके हैं. बूस्टर डोज को लेकर 29 नवंबर को सार्स-कोव-2 कंसोर्टियम ने एक बुलेटिन जारी किया था. जिसमें कहा गया था कि 40 वर्ष या इससे अधिक उम्र के लोगों के लिए बूस्टर खुराक दिए जाने पर विचार किया जा सकता है. हालांकि 1 सप्ताह बाद ही इस बयान को वापस ले लिया गया. अब ऐसे में बूस्टर खुराक को लेकर भारत में कन्फ्यूजन और भी ज्यादा बढ़ गया है. लेकिन कुछ वैज्ञानिक बूस्टर खुराक के पक्ष में हैं. इनका मानना है कि ज्यादा जोखिम वाले लोगों और बुजुर्ग लोगों में संक्रमण की चपेट में आने का खतरा ज्यादा हो सकता है और ऐसे लोगों को बूस्टर खुराक की आवश्यकता हो सकती है.
क्या ओमीक्रोम के लिए जरूरी है बूस्टर डोज
बीबीसी ने अपनी एक रिपोर्ट में ब्रिटेन के एक वैज्ञानिक का हवाला देते हुए कहा की कोरोनावायरस के दो टीके की खुराक किसी व्यक्ति को ओमिक्रॉन से बचाने के लिए पर्याप्त नहीं है. इसी रिपोर्ट में दावा किया गया कि बूस्टर खुराक 75 फ़ीसदी लोगों को कोई कोविड लक्षण होने से रोकती है. रिपोर्ट में कहा गया कि नए वेरिएंट आने की दशा में यह बूस्टर डोज नई एंटीबॉडी पैदा करेगा. शरीर में टी सेल्स होते हैं जो बूस्टर डोज के बाद वायरस के ऊपर अच्छी तरह से हमला करने में सक्षम हो जाते हैं. टी सेल्स कोरोनावायरस के उन अंशों का पता लगाता है जिनको खुद को बदल पाने में मुश्किल होती है. टी सेल्स कोरोनावायरस को पकड़ने के लिए हमारे शरीर का निरीक्षण करता है और पता लगाता है कि कहीं कोई सेल कोरोना से संक्रमित तो नहीं है. वहीं ब्रिटेन के ही शोधकर्ताओं ने हाल ही में कहा था कि ओमिक्रॉन के गंभीर मामलों में बूस्टर डोज 80 फ़ीसदी तक इफेक्टिव हो सकता है. मॉर्डना ने तो 50 माइक्रोग्राम और 100 माइक्रोग्राम के दो बूस्टर डोजों का क्लीनिकल ट्रायल भी शुरू कर दिया है, जिससे इम्यूनिटी को 83 गुना तक बढ़ाया जा सकता है.
कब कौन ले सकता है बूस्टर डोज
सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन के मुताबिक बूस्टर डोज लेने के लिए आपकी उम्र 18 साल से ज्यादा होनी चाहिए. हालांकि कई मामलों में उम्र को लेकर छूट भी दी गई है. अगर आपने मॉर्डना वैक्सीन ली है तो इसके 6 महीने बाद बूस्टर डोज ले सकते हैं. फाइजर वैक्सीन लेने वाले 16 से अधिक उम्र के लोग भी बूस्टर डोज ले सकते हैं. अगर आपने जॉनसन की वैक्सीन ली है तो 2 महीने बाद आपको बूस्टर डोज दिया जा सकता है. अगर आपकी उम्र 12 साल से अधिक है और आपका इम्यून सिस्टम कमजोर है तो भी आप बूस्टर डोज ले सकते हैं. प्रेग्नेंट महिलाओं को भी बेहतर इम्यून सिस्टम के लिए बूस्टर डोज दिया जा सकता है. आप किसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं तो आपको बूस्टर डोज मिल सकता है. कैंसर, एचआईवी जैसी गंभीर बीमारियों से जूझ रहे लोगों को भी बूस्टर डोज लेना चाहिए.
कितनी इफेक्टिव साबित होगी बूस्टर डोज
ब्रिटेन की हेल्प सिक्योरिटी एजेंसी UKHSA के मुताबिक मॉर्डना और फाइजर के बूस्टर डोज से 70 से 75 फ़ीसदी इम्यूनिटी बढ़ती है. इसके साथ कोरोनावायरस के गंभीर लक्षणों को रोकने में भी बूस्टर डोज 99 फ़ीसदी तक इफेक्टिव हैं. वही इजराइल के बूस्टर डोज की इफेक्टिवनेस को लेकर जब स्टडी की गई तो पता चला कि वैक्सीन का बूस्टर डोज हॉस्पिटलाइजेशन को रोकने में 93 फ़ीसदी कारगर है. वहीं भारत बायोटेक के बूस्टर डोज के थर्ड फेज ट्रायल को अप्रूवल मिल गया है. सितंबर 2020 में थर्ड ट्रायल के दौरान इसकी एफिशिएंसी 96 फ़ीसदी तक बताई गई थी. हालांकि कोरोना के नए वेरिएंट पर यह कितना कारगर होगा इसकी स्टडी फिलहाल चल रही है.
भारत में बूस्टर डोज की स्थिति क्या है
भारत में अब तक लगभग 60 फ़ीसदी नागरिकों को वैक्सीन लगाई जा चुकी है. हालांकि 40 फ़ीसदी नागरिक अभी भी बचे हैं. इसीलिए फिलहाल भारत में बूस्टर डोज लगाने की परमिशन नहीं मिली है. क्योंकि सरकार का मानना है कि उसका पूरा फोकस अभी वैक्सीनेशन पर है. जबकि जानकार मानते हैं कि कोवैक्स जिसे हाल ही में डब्ल्यूएचओ ने अप्रूवल दिया है, वह बूस्टर डोज का काम कर सकती है. बिजनेस स्टैंडर्ड में छपी खबर के अनुसार, अस्पतालों और महाराष्ट्र जैसे कोविड प्रभावित कुछ राज्यों ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर स्वास्थ्य कर्मियों के लिए बूस्टर खुराक देने की अनुमति मांगी थी. इस पत्र में कहा गया था कि जिन्हें साल की शुरुआत में ही टीका लगाया गया था, उन्हें बूस्टर डोज दिया जाना चाहिए. हालांकि केंद्र की तरफ से फिलहाल कोई जवाब नहीं आया है. जबकि बूस्टर डोज से जुड़े अध्ययन की शुरुआत संयुक्त रूप से आईसीएमआर और नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर एपिडेमियोलॉजी को करने को कहा गया है.
Rani Sahu

Rani Sahu

    Next Story