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- क्यों भड़के छात्र
रेलवे रिक्रूटमेंट बोर्ड की नॉन टेक्निकल पॉप्युलर कैटिगरीज (RRB NTPC Recruitment Process) में नियुक्ति प्रक्रिया के खिलाफ बिहार और उत्तर प्रदेश में छात्र युवा सड़कों पर उतर आए हैं। कई जगह से रेलवे स्टेशनों पर तोड़फोड़ करने, रेलवे की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और ट्रेन रोके जाने की खबरें हैं। रेलवे ने इस प्रक्रिया के तहत अगले महीने प्रस्तावित दूसरे चरण की परीक्षा को स्थगित करते हुए युवाओं की मांग पर विचार करने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति गठित कर दी है, लेकिन इसके बावजूद युवाओं का विरोध थमता नहीं दिख रहा। इसी मसले पर शुक्रवार को बिहार बंद का आह्वान किया गया है।
ऐसे में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि आखिर अचानक ऐसा क्या हो गया, जिससे युवाओं का गुस्सा इस तरह फूट पड़ा कि समझाने-बुझाने की कोशिशें भी कामयाब नहीं हो पा रही हैं। चूंकि यह आंदोलन स्वत:स्फूर्त ढंग से शुरू हुआ है और इसका कोई स्पष्ट नेतृत्व नहीं है, इसलिए मांगों को लेकर भी वैसी स्पष्टता नहीं दिख रही है। बहुत से अभ्यर्थी कह रहे हैं कि पहले चरण के टेस्ट के बाद अब दूसरे चरण की परीक्षा लेना उनके साथ धोखा है। लेकिन रेलवे का दावा है कि मूल नोटिफिकेशन में भी यह बात कही गई थी कि जरूरत हुई तो दूसरे चरण की परीक्षा ली जा सकती है। दूसरा मसला चुने गए अभ्यर्थियों की क्वॉलिफिकेशन से जुड़ा है। चूंकि इसमें लेवल 2 से लेवल 6 तक के पद शामिल हैं तो इसमें अभ्यर्थियों की पात्रता भी दो लेवल- ग्रेजुएट और अंडर ग्रेजुएट- की है।
अभ्यर्थियों का कहना है कि चूंकि अंडर ग्रेजुएट की पात्रता वाले पदों के लिए ग्रेजुएट्स ने भी आवेदन किया और सवाल दोनों के लिए समान थे, तो अंडर ग्रेजुएट कैंडिडेट्स की संभावना कम हो गई। इस मामले में रेलवे की यह बात सही है कि पात्रता रखने वाले प्रत्याशियों को आवेदन करने से रोका नहीं जा सकता।