सम्पादकीय

वर्क फ्रॉम होम वर्सेज वर्क फर्म ऑफिस पर क्यों लड़ रहे हैं लोग

Rani Sahu
23 Oct 2021 9:32 AM GMT
वर्क फ्रॉम होम वर्सेज वर्क फर्म ऑफिस पर क्यों लड़ रहे हैं लोग
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कोरोना महामारी (Corona Pandemic) के बाद हमारे जीवन में बहुत सी चीजें बदल गई हैं

संयम श्रीवास्तव कोरोना महामारी (Corona Pandemic) के बाद हमारे जीवन में बहुत सी चीजें बदल गई हैं. कुछ चीजें तो इस तरह से बदलीं कि अब उसकी आदत सी हो गई है. भला हो इस डिजिटल युग का जिसने उस महामारी के दौरान हमें घर से काम करने में सुविधा प्रदान की. हालांकि हर चीज के दो पहलू होते हैं. अगर वर्क फ्रॉम होम (Work From Home) के कुछ फायदे हैं तो कुछ नुकसान भी हैं. लेकिन अब जैसे-जैसे स्थिति सामान्य हो रही है, लोगों को दफ्तर बुलाया जाने लगा है.

ऐसे में बहुत से ऐसे लोग हैं जो आज भी घर पर ही रह कर काम करना चाहते हैं. लेकिन बहुत से ऐसे भी लोग हैं जो अब घर पर काम करते करते पक गए हैं और अब ऑफिस जाना चाहते हैं. हालांकि बड़ा तबका आज भी घर से ही काम करना चाहता है. यही वजह है कि कंपनियों के प्रबंधन विभाग की मुश्किलें और बढ़ गई हैं, क्योंकि उन्हें सूझ नहीं रहा है कि वह कैसे लंबे समय से घर से काम कर रहे कर्मचारियों को ऑफिस बुलाने की योजना बनाएं.
लोग अपने घरों से ही करना चाहते हैं काम
बिजनेस स्टैंडर्ड में छपी एक खबर के मुताबिक, जून में एप्पल के मुखिया टिम कुक ने अपने सभी कर्मचारियों को भेजे गए एक मेल में कहा था कि उन्हें सितंबर की शुरुआत से हफ्ते में कम से कम 3 दिन ऑफिस आना होगा. हालांकि कर्मचारियों के एक बड़े वर्ग ने घर से ही काम करने की इच्छा जाहिर की और इसके साथ ही उन्होंने कंपनी के प्रबंधन को एक पत्र लिखा और कहा की कंपनी के ज्यादातर कर्मचारी घर से ही काम करना चाहते हैं.
यह कहानी केवल एप्पल की नहीं है. बल्कि कई सर्वेक्षणों में भी यह पाया गया है कि आधे से अधिक लोग आज भी वर्क फ्रॉम होम करने के पक्ष में है. उनका मानना है कि ऑफिस आने जाने के लिए घंटों तक का सफर करने से बेहतर है कि वह घर से ही काम करें. वर्क फ्रॉम होम के पक्ष में रहने वाले कर्मचारियों का एक बड़ा तबका मानता है कि घर से काम करने की वजह से वह ज्यादा प्रोडक्टिव महसूस करते हैं. जबकि ऑफिस का प्रबंधन उन्हें ऑफिस केवल इसलिए बुलाना चाहता है क्योंकि वह कर्मचारियों पर भरोसा नहीं कर पा रहा है. ज्यादातर कर्मचारी मानते हैं कि प्रबंधन उनको ऑफिस सिर्फ इसलिए बुला रहा है क्योंकि बॉस की कुर्सी पर बैठे लोगों को अब अपने जूनियर कर्मचारियों पर दबदबा बनाने की कमी खल रही है.
लोगों के मन में आ रहे हैं कई ख्याल
इस महामारी के दौर ने जिंदगी को कुछ समय तक रोक दिया था. जिसमें भागदौड़ भरी जिंदगी के बाद लोगों को एक मौका मिला सोचने का, अपने जिंदगी की प्राथमिकताओं के बारे में. अपने आगे के भविष्य के बारे में. जाहिर सी बात है लॉकडाउन के समय जब लोगों को वर्क फ्रॉम होम मिला तो वह अपने परिवार के बीच घर में बैठकर वर्क फ्रॉम होम करने लगे. कुछ लोग तो बड़े-बड़े शहरों के कंक्रीट के जंगल छोड़कर अपने गांव में जाकर प्रकृति के समकक्ष बैठ कर अपना काम करने लगे.
अब उन्हें इसकी आदत हो गई है. उनके मन में आ गया है कि जब इन जगहों से ही ऑफिस का काम बेहतर ढंग से हो सकता है तो फिर वह बड़े बड़े शहरों में रहकर उस भीड़ भाड़ का हिस्सा क्यों बने. जो उन्हें अपनी जिंदगी के बारे में सोचने का एक लम्हा भी नहीं देती है. इसके साथ ही घर से काम करने की वजह से एक बड़ा तबका आज घर के किराए और रोज के ऑफिस आने-जाने के किराये के बचने की वजह से भी घर से काम करना चाहता है.
लोग नौकरी तक छोड़ने को तैयार हैं
कंपनी प्रबंधन और कर्मचारियों के बीच माहौल इस हद तक तनातनी में बदल गया है कि लोग अब नौकरी छोड़ने पर भी विचार करने लगे हैं. अमेरिका में युवाओं के बीच कराए गए एक सर्वे के मुताबिक 39 फ़ीसदी लोग मानते हैं कि अगर ऑफिस प्रबंधन उन्हें घर से काम नहीं करने देता है तो इस सूरत में वह नौकरी भी छोड़ने के बारे में सोच सकते हैं.
जबकि समाचार एजेंसी ब्लूमबर्ग की तरफ से कराए गए एक सर्वे में पता चला है की नई पीढ़ी के कर्मचारियों में यह आंकड़ा 49 फ़ीसदी तक था. यह आंकड़े साफ जाहिर करते हैं कि उन कंपनियों को अब गंभीरता से विचार करना होगा जो अपने कर्मचारियों को दफ्तर बुलाना चाहती हैं.


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