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केरल विधानसभा चुनाव (Kerala Assembly Elections) को अब बस कुछ ही दिन बचे हैं
केरल विधानसभा चुनाव (Kerala Assembly Elections) को अब बस कुछ ही दिन बचे हैं. हर राजनीतिरक पार्टी अपनी जीत को सुनीश्चित करने के लिए एड़ी-चोटी का बल लगा रही है. इसके साथ ही राजनीतिक दलों के समर्थक भी अब खुल कर सामने आ गए हैं और अपने पसंद की पार्टी और उम्मीदवार को वोट देने के लिए लोगों से अपील कर रहे हैं. मुख्य रूप से केरल में इस वक्त तीन गठबंधन चुनाव लड़ रहे हैं. पहला कांग्रेस समर्थित UDF दूसरा लेफ्ट समर्थित LDF जिसकी केरल में मौजूदा सरकार है. वहीं इस बार जिस तीसरे दल की इस विधानसभा चुनाव में खूब चर्चा है वह है बीजेपी समर्थित NDA गठबंधन.
बीजेपी गठबंधन इस बार एक ऐसे समीकरण को साथ लेकर चल रही है जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी. बीजेपी केरल में ईसाई और हिंदू समुदाय को लामबंद करके अपने पाले में करने में शुरू से लगी हुई थी और अब उसकी वह कोशिश सफल होती नजर आ रही है. दरअसल केरल के एक चर्च ने बीजेपी उम्मीदवार के पक्ष में अपने समर्थकों से वोट करने की अपील की है. केरल के मालाकार ऑर्थोडॉक्स सीरियन चर्च ने अपने फॉलोवर्स से बीजेपी उम्मीदवार के पक्ष में वोट डालने की बात की है.
चर्च ने क्यों की बीजेपी उम्मीदवार को जिताने की अपील
केरल के मालाकार ऑर्थोडॉक्स सीरियन चर्च ने अपने फॉलोवर्स से बीजेपी नेता बालाशंकर को जिताने की अपील इसलिए की है क्योंकि उन्होंने केरल के एक हजार साल पुराने चर्च को बचाने में बड़ा योगदान दिया था. दरअसल केरल के अलाप्पुझा जिले में राष्ट्रीय राजमार्ग को चौड़ा किया जा रहा था, इसी चौड़ीकरण के बीच यह चर्च भी आ रहा था जिसे सरकार ने तोड़ने का आदेश दे दिया था. लेकिन बीजेपी नेता बालाशंकर ने इस आदेश को रुकवा दिया और एक हजार साल पुराना चर्च टूटने से बच गया. इसी के चलते मालाकार ऑर्थोडॉक्स सीरियन चर्च ने अपने फॉलोवर्स से केरल के अलाप्पुझा से उम्मीदवार बालाशंकर को वोट देने की अपील की है.
बीजेपी के साथ 'ईसाई-हिंदू' समीकरण
अगर बीजेपी के साथ केरल में हिंदू और ईसाई समुदाय आ गए तो वह केरल में इस बार इतिहास रच देगी. बीजेपी शुरू से ही ईसाई समुदाय को अपने साथ करने में लगी हुई है और इसके पीछे कई कारण हैं. केरल में सिर्फ ईसाई समुदाय की बात करें तो उनकी कुल आबादी तकरीबन 19 फीसदी है और यह आबादी पिछले कुछ सालों से UDF और LDF दोनों से नाराज है, बीजेपी इसका पूरा फायदा उठाना चाहती है. दरअसल ईसाई समुदाय का आरोप है कि मौजूदा LDF सरकार उनसे जुड़े मुद्दों पर ध्यान नहीं दे रही है और सिर्फ मुस्लिम तुष्टीकरण करने पर ध्यान दे रही है. बीजेपी भी मौजूदा सरकार पर ऐसे ही आरोप लगाती आई है.
इसके साथ ही अभी हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ईसाई समुदाय के तीन मुख्य पादरियों से बीतचीत की थी. इस बातचीत के दौरान उन्होंने ईसाई समुदाय से जुड़े कई मुद्दों पर चर्चा भी की थी. प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें विश्वास दिलाया है कि उनसे जुड़े मुद्दों पर जल्द से जल्द काम किया जाएगा. इस मुलाकात के बाद तीनों पादरियों ने अपने इस बातचीत को बहुत सकारात्मक चर्चा बताया था. उन्होंने कहा था कि यह बातचीत बहुत सकारात्मक और दोस्ताना थी. प्रधानमंत्री ने ट्वीट कर बताया था कि उन्होंने सायरो-मालाबाद चर्च के प्रधान पादरी जॉर्ज एलनचेर्री, मुंबई के पादरी और कैथोलिक विशप्स कॉफ्रेंस ऑफ इंडिया के अध्यक्ष औसवाल्ड ग्रेसियस और सायरो मालंकारा चर्च के बेसेलियस क्लीमिस से बातचीत की थी.
लव जिहादे क मुद्दे पर एक साथ हिंदू और ईसाई समुदाय
केरल में लव जिहाद एक ऐसा मुद्दा है जिससे हिंदू और ईसाई दोनों समुदाय परेशान हैं. दोनों का आरोप है कि केरल में इस्लामिक संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) लव जिहाद को बढ़ावा देने में सबसे आगे है और पूरे केरल में इस रैकेट को चलाया जा रहा है. ईसाई विचारकों के इस बयान को विश्व हिंदू जैसे संगठनों का भी समर्थन प्राप्त है. उनका कहना है कि बीते कुछ सालों में ऐसे कई मामले सामने आए हैं जब हिंदू और ईसाई लड़कियों के साथ लव जिहाद किया गया और उनके साथ बाद में बहुत बुरा बर्ताव किया गया. इस मुद्दे पर जिस तरह से दोनो समुदाय लामबंद हैं और ऊपर से बीजेपी का उन्हें सहयोग मिल रहा है उससे साफ जाहिर होता है कि बीजेपी इस बार ईसाई वोटर्स के सहारे केरल में कमल खिलाना चाहती है.
क्या इस बार बनेगा केरल में नया इतिहास
केरल में हर पांच साल में सरकार बदल जती है, हालांकि यह बदलाव केवल दो ही पार्टियों के बीच होता है. वह है UDF और LDF. यानि यहां हर पांच साल में सरकार जरूर बदलती है लेकिन वो सिर्फ LDF और UDF के बीच, एक बार यूडीएफ की सरकार उसके बाद एलडीएफ की सरकार. जनता अब इन दोनों से बोर हुई है या नहीं यह तो 2 मई को पता चलेगा, लेकिन जिस तरह से बीजेपी केरल की 55 फीसदी हिंदू आबादी और 19 फीसदी ईसाई आबादी पर दांव लगा रही है, अगर वह सही लग गया तो इस बार केरल में एक नया इतिहास बन जाएगा. हालांकि इन दोनों समुदाय का एक बड़ा हिस्सा UDF और LDF के समर्थन में हमेशा से रहा है.
बीजेपी के लिए इन समुदायों में सेंध लगाना कोई आसान काम नहीं है. लेकिन वह शुरू से ही इन्हें अपने पाले में करने की पूरी कोशिश कर रही है. केरल में एक ही चरण में 6 अप्रैल को चुनाव होने हैं, इसके बाद 2 मई को चुनावी परिणाम आने हैं, जिसके बाद पता चल जाएगा कि इस बार केरल एक नया इतिहास बना रहा है या फिर UDF और LDF के बीच किसी एक को चुन रहा है.
TagsBJP in Kerala
Gulabi
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