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रविवार को जब बिरसा मुंडा एयरपोर्ट पर पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लग रहे थे
Anand सिंह
by Lagatar News
रविवार को जब बिरसा मुंडा एयरपोर्ट पर पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लग रहे थे, तब एआईएमआईएम के राष्ट्रीय अध्यक्ष और हैदराबाद के सांसद असददुद्दीन ओवैसी एयरपोर्ट से बाहर निकल रहे थे. नारेबाजी करने वाले कई लोग थे. पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे एक नहीं, कुल 9 बार लगे. इस दौरान वहां सीआईएसएफ तो थी ही, स्थानीय पुलिस भी थी. क्या यह मान लिया जाए कि स्थानीय प्रशासन के लोगों ने उस नारे को नहीं सुना? या, फिर यह मान लिया जाए कि जब नारेबाजी हो रही थी, तब अचानक सभी प्रशासनिक अधिकारियों के कान बंद हो गए थे? दिन के उजाले में यह नारेबाजी हुई, इसका बाकायदा वीडियो है. और अब ले-देकर बात जांच पर आ गई. यह हर बार होता है. कितनी जांच-रिपोर्टों पर कार्रवाई हुई है, यह शोध का विषय हो सकता है!
पाकिस्तान जिंदाबाद का नारा लगाने वाले कौन थे? मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 10 जून को भी इक्की-दुक्की नारेबाजी तब हुई थी, जब मेन रोड पर पुलिस और दूसरे पक्ष के लोग भिड़े थे. ये रांची के लोग थे या बाहर के? कल जो बिरसा मुंडा एयरपोर्ट पर नारेबाजी हुई, उसमें कौन लोग शामिल थे? यह पता करना बेहद जरूरी है. टाइमिंग कुछ इस कदर चुनी गई कि जब ओवैसी आएं, तभी पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए जाएं. जिसने भी यह दिमाग लगाया, जाहिर है वह शातिर किस्म का इंसान है. लिहाजा, उसे पकड़ना रांची पुलिस के लिए बेहद जरूरी है.
संभव है कि इस नारेबाजी के पीछे ओवैसी को बदनाम करने की चाल हो. ओवैसी की देशभक्ति पर कोई प्रमाणपत्र देने वाले हमलोग कोई नहीं पर प्रकारांतर में देखा गया है कि उन्होंने पाकिस्तान में ही पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया है. लिहाजा, उनकी देशभक्ति पर शक करना उचित नहीं. लेकिन, बड़ा सवाल ये भी है कि क्या 'पाकिस्तान जिंदाबाद' के नारे ओवैसी के कानों तक नहीं पहुंचे थे? वीडियो बताता है कि जब वे पत्रकारों से बात करते हुए बाहर आ रहे थे, तब भी नारेबाजी हो रही थी. तो, यह संभव नहीं कि ओवैसी की कानों तक पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे न पहुंचे हों. सवाल ये है कि ओवैसी ने इसे किस रूप में लिया? क्या उन्होंने इसकी मजम्मत की? कंडेम किया? अब तक की जानकारी के अनुसार, नहीं!
एक सवाल और भी है. वीडियो में खाकी वर्दीधारी पुलिस वाले भी दिख रहे हैं. वो लोगों को कंट्रोल करने की कोशिश कर रहे हैं. भीड़ ज्यादा थी. लेकिन, जब नारेबाजी हो रही थी, तब वे पुलिस वाले वहीं थे. उन्होंने क्या किया? क्या उन्होंने भी पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे नहीं सुने? या सुनने के बाद भी इग्नोर कर दिया? क्या उन्होंने इस नारे के संबंध में अपने सीनियर्स को सूचित किया? अगर हां तो सीनियर्स की क्या प्रतिक्रिया रही और अगर नहीं तो क्यों?
बार-बार पाक समर्थित नारेबाजी से देश की संप्रभुता को खतरा उत्पन्न होता है. इस तरह की नारेबाजी सीधे-सीधे देशद्रोह जैसे अपराध की श्रेणी में आते हैं. रांची जैसे शहर में, 15 दिनों में दो बार इस तरह की नारेबाजी से कई गंभीर सवाल खड़े होते हैं.
हालांकि इस संबंध में 24 घंटे के भीतर जांच रिपोर्ट देने को कहा गया है पर उससे ज्यादा जरूरी ये जानना होना चाहिए कि इस किस्म के तत्व रांची में आ कहां से गए? क्या अब कट्टरपंथी ताकतें रांची को अपना हब बनाने की फिराक में हैं? सवाल गंभीर है और इस गंभीर सवाल के पीछे 10 जून का हादसा है. लिहाजा, खुफिया इसे गंभीरता से ले तो बेहतर.
Rani Sahu
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