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- अपमान का कौन दोषी?
भारत के लिए गहरे अपमान की बात है। इतना ही नहीं, बल्कि इसके साथ भारत का आर्थिक भविष्य भी जुड़ा है। सभ्य और स्थिर देश ऐसा व्यवहार नहीं करते, जिससे विदेशों में किसी को उनकी संपत्ति जब्त करने की नौबत आए। लेकिन ब्रिटिश कंपनी केर्न की याचिका पर ने फ्रांस एक अदालत ऐसा आदेश करने का आदेश दिया, तो समझा जा सकता है कि आज भारत की छवि दुनिया में कैसी बन गई है? कहा जा सकता है कि इस समस्या के लिए मूल रूप से नरेंद्र मोदी सरकार दोषी नहीं है। इसका दोष पिछली यूपीए सरकार पर जाता है, जिसने बीती तारीख से टैक्स के नियमों में फेरबदल करने का दुस्साहस दिखाया था। आज जो भारत की आर्थिक दुर्दशा है, उसमें यूपीए सरकार के उस अविवेकी फैसले का भी बड़ा योगदान है। लेकिन नरेंद्र मोदी सरकार के पास उस गलती को सुधारने का मौका था। वह उन कंपनियों से कोर्ट के बाहर समझौता कर सकते मामला निपटा सकती थी। इसमें कुछ आर्थिक नुकसान होता, लेकिन उससे कई गुना अधिक महत्त्वपूर्ण देश की छवि और साख बच जाती।