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- काबुल का असली गुनहगार...
सुशांत सरीन| काबुल जैसे हमले की आशंका पहले से थी। यह डर बना हुआ था कि अफगानिस्तान में फंसे विदेशी नागरिकों की सुरक्षित निकासी के अभियान को कहीं चोट न पहुंचाई जाए। भय न सिर्फ आतंकी हमले का था, बल्कि तालिबानी लड़ाकों द्वारा उल-जुलूल हरकतें करने का भी था, ताकि बनती बात बिगड़ न जाए। अमेरिका ने पहले ही चेतावनी दे रखी थी कि अगर तालिबान ने किसी को चोट पहुंचाई, तो वह पूरी ताकत के साथ उस पर हमला कर देगा। मगर लोगों के पलायन की जो तस्वीरें सामने आ रही थीं, वे साफ-साफ बता रही थीं कि संवेदनशील काबुल हवाई अड्डे पर सुरक्षा के इंतजाम नाकाफी हैं। ऐसे में, किसी भी तंजीम के लिए उस पर हमला करना कोई मुश्किल काम नहीं था। फिर भी, सवाल यह है कि हमलावर (जिनमें आत्मघाती भी थे) हवाई अड्डे तक पहुंचे कैसे? वह भी तब, जब हवाई अड्डे के रास्ते पर पिछले 10 दिनों से जगह-जगह डेरा डाले तालिबानी लड़ाके हर आने-जाने वाले की तलाशी ले रहे हैं और उनके दस्तावेज देख-जांच रहे हैं। जाहिर है, इन तमाम चौकियों को चकमा देकर कोई तब तक हवाई अड्डे के पास नहीं पहुंच सकता, जब तक उसे परोक्ष रूप से शह न मिली हो। तो यह खेल किसका है?