- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- दोषी कौन
Written by जनसत्ता: अभिनेता शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान को आखिरकार स्वापक नियंत्रण ब्यूरो यानी एनसीबी ने बेदाग घोषित कर दिया। अब फिर से सवाल उठने लगे हैं कि आखिर किस मकसद से आर्यन और उसके साथियों को गिरफ्तार किया गया। क्या वास्तव में एनसीबी के अधिकारी मादक पदार्थ पर रोक लगाने के मकसद से कड़ा संदेश देना चाहते थे, या उनका इरादा कुछ और था। खुद एनसीबी ने इस मामले की जांच में स्वीकार किया है कि कुछ गंभीर अनियमितताएं हुई हैं। वे अनियमितताएं क्या केवल अधिकारियों की रिश्वतखोरी तक सीमित हैं या उसके दूसरे पहलू भी हैं।
पिछले साल एक क्रूज पर चल रहे जलसे में एनसीबी ने अन्य संबंधित महकमों के साथ मिल कर छापेमारी की थी। उन्हें सूचना मिली थी कि वहां मादक पदार्थों का सेवन हो रहा है। उसमें आर्यन खान के अलावा उन्नीस अन्य लोगों को गिरफ्तार किया गया था। उनमें महाराष्ट्र सरकार में मंत्री नवाब मलिक का दामाद भी था। बताया गया कि उन सबके पास मादक पदार्थ पाए गए थे। सबको जेल भेज दिया गया। मगर नवाब मलिक ने उस गिरफ्तारी पर सवाल उठाते हुए एनसीबी के अधिकारियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। उनका कहना था कि गलत इरादे से आर्यन और उनके दामाद को गिरफ्तार किया गया है, उनके पास कोई मादक पदार्थ नहीं था।
इस मामले में गिरफ्तार करने वाले एनसीबी के अधिकारी समीर वानखेड़े के इरादे पर सवाल उठाए गए। नवाब मलिक ने उसकी अनेक अनियमितताओं के सबूत सार्वजनिक किए थे, जिसमें फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी पाने का भी आरोप था। फिर यह भी आरोप लगा कि वानखेड़े ने शाहरुख खान से मोटी रकम रिश्वत में मांगी थी और कुछ रकम उसे पहुंचा भी दी गई थी।
क्रूज पर छापेमारी में जो लोग शामिल थे, उनमें कुछ बाहरी लोग भी थे और उनका संबंध विपक्षी दल से बताया गया। इस तरह इस मामले को खासा सियासी रंग भी दिया गया था। उस गिरफ्तारी में बदले की भावना तलाशी जाने लगी थी। चूंकि उस मामले में रसूखदार लोगों के बच्चे गिरफ्तार थे, इसलिए उसकी जांच आदि के लिए उच्च स्तरीय पहल हुई और अब वह एक नतीजे पर पहुंच गई है। मगर यह सवाल अब भी अनुत्तरित है कि एनसीबी अधिकारियों के ऐसे रवैए से भला मादक पदार्थों की बिक्री पर रोक लगने का भरोसा कहां तक बन सकता है।
हमारे देश में मादक पदार्थों की बढ़ती खपत गंभीर चिंता का विषय है। पिछले कुछ सालों में अकेले गुजरात के बंदरगाहों से हजारों किलो नशीले पदार्थों की खेप पकड़ी जा चुकी है। जो नहीं पकड़ी जा सकी, उसका कोई हिसाब नहीं है। मादक पदार्थ के धंधे में लगे लोगों के तार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जुड़े होते हैं। एनसीबी के हाथ उनकी गर्दन तक नहीं पहुंच पाते।
छोटे-मोटे मामलों में लोगों को पकड़ कर वह अपनी सक्रियता और चौकसी साबित करती रहती है। अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद भी इसी तरह सक्रिय होकर उसने नाहक बहुत सारे लोगों को परेशान किया था, पर उसके हाथ कुछ नहीं लगा। एनसीबी केवल छिटपुट तरीके से कुछ लोगों पर शिकंजा कस कर देश में नशीले पदार्थों के बढ़ते कारोबार को रोकने में सफल नहीं हो सकती। उसे उस कड़ी को तोड़ने की कोशिश करनी चाहिए, जिसके जरिए मादक पदार्थ देश में फैल और युवाओं की जिंदगी बर्बाद कर रहा है। आर्यन खान मामले से उसे सीख लेने की जरूरत है।