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सोशल मीडिया पर रविवार रात से कुछ तस्वीरें वायरल हो रही हैं
शैलेश चतुर्वेदी सोशल मीडिया पर रविवार रात से कुछ तस्वीरें वायरल हो रही हैं. एक तस्वीर में बाबर आजम से हाथ मिलाने के बाद रिजवान को गले लगाते विराट कोहली हैं. एक वीडियो है, जिसमें विराट कोहली और बाबर आजम किसी शॉट पर बात कर रहे हैं. शायद यह बात कर रहे हैं कि इस शॉट को कैसे बेहतर तरीके से खेला जा सकता था. एक और तस्वीर है, इसमें महेंद्र सिंह धोनी के इर्द-गिर्द पाकिस्तानी खिलाड़ी हैं. वीडियो से लग रहा है कि धोनी कुछ टिप्स दे रहे हैं.
'बदला, जंग, महासंग्राम, मार देंगे, नेस्तनाबूद कर देंगे' जैसे माहौल में ये तस्वीरें राहत लेकर आई थीं. भारत और पाकिस्तान के बीच वर्ल्ड कप क्रिकेट मैच हो. उसमें भारत हार जाए. उसके बाद की ये तस्वीरें थीं. रिजवान से गलते मिलते या आजम से किसी शॉट पर चर्चा करते विराट कोहली को नहीं लगा कि उनकी दुनिया खत्म हो गई है. सरहद पार की टीम के खिलाड़ियों को टिप्स देते महेंद्र सिंह धोनी को भी नहीं लगा कि वो कोई परमाणु बम बनाने का सीक्रेट बता रहे हैं. वे क्रिकेटर हैं, वही कर रहे हैं, जो क्रिकेटर को करना चाहिए.
अगली सुबह या यूं कहें कि रविवार रात ही सोशल मीडिया पर शमी का नाम ट्रेंड करने लगा था. शमी की टाइम-लाइन पर गालियां लिखी जा रही थीं. कथित तौर पर उनके घर के आसपास अभद्रता हुई. सोमवार की सुबह देश के दो बड़े क्रिकेटरों वीरेंद्र सहवाग और गौतम गंभीर ने कुछ जगह पटाखे चलाए जाने पर आपत्ति की. सवाल यही है कि आपके जेहन में कौन-सी तस्वीर छपेगी. विराट और धोनी वाली या फिर शमी की वर्चुअल और घर की दीवार पर अभद्र टिप्पणी वाली.
कुछ सवाल और भी हैं. ये सवाल भी सोशल मीडिया पर पूछे जा रहे हैं. एक सवाल यह है कि अश्वेत लोगों के समर्थन में घुटने पर बैठने वाली टीम इंडिया क्या अपने साथी खिलाड़ी के खिलाफ अभद्र टिप्पणियों पर बोलेगी? पाकिस्तान के खिलाफ मैच से पहले पूरी टीम ने घुटने पर बैठकर अश्वेत लोगों के खिलाफ हो रहे अत्याचार के विरोध में चलने वाली मुहिम को अपना समर्थन जताया. उम्मीद है कि शमी को लेकर भी समर्थन आएगा. ठीक वैसे ही, जैसे ओलिंपिक के समय में महिला हॉकी टीम की एक खिलाड़ी वंदना कटारिया के साथ हुआ था. वंदना कटारिया पर जातिवादी टिप्पणियां की गई थीं. टीम की कप्तान रानी रामपाल उनके समर्थन में खड़ी हुईं.
सोशल मीडिया पर सवाल पटाखों को लेकर भी है संभव है कि उन चंद मोहल्लों में पटाखे चले हों, जिन पर हमेशा इस तरह के कामों को लेकर शक रहता है. वीरेंद्र सहवाग और गौतम गंभीर ने ट्वीट किए हैं. दोनों ही दिल्ली के हैं, इसलिए संभव है कि दिल्ली के ही कुछ इलाकों में ऐसा हुआ हो. दिल्ली में पटाखे करवाचौथ पर भी चलते हैं. उम्मीद है कि गंभीर या सहवाग ने ट्वीट करने से पहले पुष्टि करवा ली होगी कि वो पटाखे त्योहार नहीं, भारत की हार पर चले थे. ऐसा हुआ है, तो यकीनन यह 'क्रिकेट की जीत' पर नहीं, बल्कि चिढ़ाने के लिए पटाखे चले हैं.
उम्मीद यह है कि जिस तरह इन पटाखों पर रिएक्ट किया गया है, वैसे ही शमी के साथ हुए व्यवहार पर भी किया जाएगा. 2003 वर्ल्ड कप में भी मोहम्मद कैफ के घर पर हमला हुआ था. तब टीम उनके समर्थन में खड़ी हुई थी. 2015 में विराट पर हमले के नाम पर अनुष्का शर्मा को ट्रॉल किया गया. युवराज सिंह पर भी हमला हुआ. यकीनन मुस्लिम होने पर टारगेट आसान हो जाता है, लेकिन ऐसा नहीं है कि सचिन तेंदुलकर से लेकर विराट कोहली तक कोई भी इस तरह के व्यवहार से बचा हो. ऐसे में जरूरी है कि टीम एक साथ खड़ी हो और कप्तान या कोच इस बारे में आधिकारिक तौर पर बात करें.
इस बात को कहने का कोई मतलब नहीं कि क्रिकेट महज एक खेल है. भाषण जैसा लगेगा. लगातार दो खिताब जीतने के बाद 1987 में बोरिस बेकर विंबलडन के दूसरे राउंड में हारे थे. प्रेस कॉन्फ्रेंस में आकर उन्होंने कहा, 'मैं कोई जंग नहीं हारा हूं. किसी की जान नहीं गई है. मैं सिर्फ एक मैच हारा हूं.'
जिन लोगों को लगता है कि भारत और पाकिस्तान के बीच मैच जंग है, उन्हें याद रखना चाहिए कि दोनों मुल्क के क्रिकेटर एक-दूसरे के सबसे अच्छे दोस्त हैं. जहीर अब्बास ने अहजरुद्दीन के बल्ले की ग्रिप बदलवाई थी, जिसके बाद वो खासे कामयाब रहे थे. इंग्लैंड में जब भारतीय टीम अच्छा नहीं खेल रही थी, तो अचानक जावेद मियांदाद टीम की मदद के लिए पहुंच गए थे. इस तरह के अनगिनत उदाहरण हैं. लेकिन इन सबके बीच यह सही है कि हारना बुरा लगता है. विश्व कप में हारना और बुरा लगता है. एकतरफा हार और भी ज्यादा बुरा महसूस कराती है… और यकीनन चिर प्रतिद्वंद्वी से मिली हार दिल में टीस छोड़ जाती है.
भारत और पाकिस्तान के बीच मैच स्पेशल है, इसमें कोई शक नहीं. दोनों टीमें हारना नहीं चाहतीं, इसमें भी कोई शक नहीं. लेकिन जो मैदान पर हैं, वो उसे हमसे और आपसे ज्यादा अच्छी तरह समझते हैं. हमारा और पाकिस्तान का कोई मुकाबला नहीं है. हम मैदान में उनसे बेहतर हैं. मैदान से बाहर भी. जो बेहतर हैं, वो एक मैच से बदतर नहीं हो जाते. इसलिए तय कीजिए कि कौन सी तस्वीर याद रखना चाहते हैं. किसी शॉट पर चर्चा करते विराट और आजम की या फिर शमी की दीवारों पर अभद्र टिप्पणियों की. फैसला आपका है.
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Rani Sahu
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