- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- बजट की दिलचस्पी कहां?
एक वक्त केंद्र सरकार का बजट कई दिनों पहले से टीवी चैनलों पर बहस, सुर्खियों, अनुमानों, अर्थशास्त्रियों के सुझावों-विश्लेषणों का पूर्व माहौल लिए होता था। जनता में कौतुक होता था। क्या महंगा होगा, क्या सस्ता इसका सस्पेंस होता था। देश की आर्थिकी, बजट का संसद सत्र, बजट का दिन और बजट की सुर्खियों के साथ आए आंकड़ों के अर्थ पर विचार होता था। क्या वैसा माहौल, वैसा कोई कौतुक अब है? हकीकत है न बजट को लेकर कोई संस्पेंस-कौतुक है और न आर्थिकी और विकास पर कोई बहस। सोमवार को बजट आना है लेकिन क्या अखबारों, टीवी चैनलों, सत्ता पक्ष या विपक्ष में चिंता, विचार, हैंडिंग में कही संकेत मिले कि सरकार के पास बजट के लिए कैसे-कैसे विकल्प है? कैसा होगा बजट? जो छपा है या छप रहा है वह इस रूटिन भाव में है कि बजट क्योंकि आ रहा है तो उसके लिए लिखना ही है तो लिख लो कि वित्त मंत्री निर्मता सीतारमण के लिए महामारी काल में बजट बनाना आसान नहीं है।