सम्पादकीय

कहां गई इंसानियत

Subhi
13 Oct 2022 4:44 AM GMT
कहां गई इंसानियत
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अमीर बनने की चाहत में एक कपल द्वारा दो महिलाओं की अलग-अलग बलि देने की केरल में हुई घटना स्तब्ध करने वाली है। हालांकि कोच्चि जिले के पुलिस प्रमुख का कहना है कि यह काफी जटिल मामला है

नवभारत टाइम्स; अमीर बनने की चाहत में एक कपल द्वारा दो महिलाओं की अलग-अलग बलि देने की केरल में हुई घटना स्तब्ध करने वाली है। हालांकि कोच्चि जिले के पुलिस प्रमुख का कहना है कि यह काफी जटिल मामला है, जिसमें कई परतें हैं, मगर फिर भी जो तथ्य सामने आए हैं, वे देश में सबसे अधिक साक्षरता दर वाले राज्य केरल के लिए तो शर्मिंदगी का कारण हैं ही, एक राष्ट्र के रूप में भी हमारा सामना कई असुविधाजनक सवालों से कराते हैं। जो जानकारी मिली है, उसके मुताबिक आरोपी कपल आर्थिक समस्याओं से गुजर रहा था और अमीर बनना चाहता था। लेकिन अपनी कथित गरीबी से परेशान इस कपल ने गरीबी दूर करने का झांसा देने वाले तांत्रिक को इसकी एवज में लाखों रुपये दिए।

तांत्रिक के बारे में इन्हें पता तब चला, जब इस कपल ने एक अखबार में इश्तहार देखा कि वह कुछ अनुष्ठानों के जरिए गरीबी से मुक्ति दिला सकता है। उसके बाद इस कपल ने तांत्रिक से संपर्क किया और उसने कुछ समय में विश्वास दिला दिया कि किसी महिला की बलि देकर वह इस कपल के अच्छे दिन ला सकता है। जाहिर है, कपल को पता नहीं था कि उस कथित तांत्रिक के खिलाफ पुलिस में कई मामले पहले से दर्ज थे और एक मामले में तो वह जेल भी काट चुका था। बहरहाल, आगे की प्रक्रिया के लिए भी तांत्रिक ही एक लॉटरी विक्रेता महिला को धोखे से कपल के पास ले आया।

तीनों ने मिलकर उसकी बलि दी और लाश के टुकड़े-टुकड़े करके जमीन के नीचे गाड़ दिए। कुछ समय बाद कपल ने दिन नहीं बदलने की शिकायत की तो तांत्रिक ने वही अनुष्ठान दोहराने की जरूरत बताई। एक बार फिर एक अन्य महिला को धोखे से इनके पास लाया और उसकी भी वही गति की। मगर इस बार गुमशुदगी की शिकायत पर पुलिस सक्रिय हो गई और तीनों गिरफ्त में आ गए। सवाल है, क्या यह इन तीनों का इकलौता कृत्य है या ऐसे और भी लोगों की गरीबी दूर करने का प्रयास यह तांत्रिक कर चुका है?

यह भी कि क्या इसमें और लोग भी शामिल हैं जो जाने अनजाने छोटे-मोटे या बड़े फायदों के लिए इनकी मदद करते रहे हैं? इन पहलुओं की जांच की जा रही है। मगर एक तथ्य तो रेकॉर्ड पर आ चुका है कि इस तांत्रिक ने इश्तहार देकर सार्वजनिक तौर पर दावा किया था कि वह कुछ अनुष्ठानों के जरिए गरीबी दूर करेगा। भले ऐसे विज्ञापनों को छापना गैरकानूनी न साबित होने देने के लिए रास्ता ढूंढ लिया जाए, यह कितना खतरनाक हो सकता है, इस प्रकरण से साफ है।


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