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- भारत को कहां ले आए?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कश्मीर के उन नेताओं को बातचीत के लिए आमंत्रित किया, जिन्हें अभी कुछ महीने पहले तक सत्ता पक्ष और उसका समर्थक मीडिया 'गुपकार गैंग' और ना जाने क्या-क्या लांछनों के साथ बुलाता था। उधर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवाल और पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार में सहमति बनी कि दोनों देश मिल कर आतंकवाद और चरमपंथ का मुकाबला करेंगे। उससे पहले इस बात की लगभग पुष्टि हो गई कि भारत तालिबान के साथ सीधी बातचीत कर रहा है। इसी बीच चीन के विदेश मंत्रालय ने ये साफ कर दिया कि लद्दाख में जहां तक पिछले साल चीन की सेना आई थी, वहां से लौटने का उसका कोई इरादा नहीं है। उससे भी ज्यादा चिंताजनक बात उसने यह कही कि ये सेना वहां इसलिए तैनात है ताकि भारतीय फौजें सीमा का उल्लंघन ना कर पाएं। इस बयान पर भारत सरकार की तुरंत कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। क्या इन सभी बातों में कोई आपसी संबंध है?
