सम्पादकीय

हम जहां के वासी हैं!

Gulabi Jagat
17 Jun 2022 4:31 AM GMT
हम जहां के वासी हैं!
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भारत में दहेज के गैर-कानूनी घोषित हुए 60 साल से ज्यादा हो गए हैं
By NI Editorial
भारत में दहेज के गैर-कानूनी घोषित हुए 60 साल से ज्यादा हो गए हैं। दहेज के लिए परेशान करना या पैसे मांगना कानूनन अपराध है। फिर भी राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार 2020 में करीब 7,000 हत्याएं दहेज की वजह से हुईं।
अपने देश और समाज पर गर्व करना एक स्वाभाविक भावना होती है। लेकिन गर्व करते वक्त यह भी जरूरी है कि हम अपने समाज को गर्व करने योग्य बनाने के अपने दायित्व को ना भूलें। हर समाज में ऐसी कई बातें होती हैं, जो गर्व नहीं, बल्कि शर्म की बात होती हैँ। भारतीय समाज भी इससे मुक्त नहीं है। इस घटना पर ध्यान दीजिए। राजस्थान में तीन बहनों की शादी एक ही परिवार में हुई थी, जहां उनके साथ निरंतर मार-पीट होती थी। रोज-रोज की प्रताड़ना से तंग आ कर तीनों बहनों ने पिछले दिनों आत्महत्या कर ली। कालू, कमलेश, और ममता मीणा और उनके बच्चों की लाशें एक कुएं में मिलीं। मरने से पहले छोड़ा गया उनका एक संदेश भी मिला, जिसमें उन्होंने अपने ससुराल वालों को उनकी मौत का जिम्मेदार ठहराया था।
तीनों के परिजनों ने बताया कि ससुराल वालों ने दहेज में और पैसों की मांग की थी, जिसे उनके पिता पूरा नहीं कर पाए थे। इस वजह से तीनों के पति और ससुराल के बाकी सदस्य उनके साथ निरंतर हिंसा करते थे। मृतकों के एक रिश्तेदार ने बताया कि तीनों के गायब होने के बाद उनमें से एक का ह्वाट्सएप संदेश मिला, जिसमें लिखा था- "हम मरना नहीं चाहते लेकिन मौत उनकी प्रताड़ना से बेहतर है।" जाहिर है, तीनों महिलाओं का का जीवन नर्क जैसा बन गया था। उनके पतियों ने उन्हें आगे पढ़ाने से मना कर दिया था। उन्हें पैसों के लिए वे परेशान करते रहते थे। यहां ये बात ध्यान में रखने की है कि भारत में दहेज के गैर-कानूनी घोषित हुए 60 साल से भी ज्यादा हो गए हैं। दहेज के लिए परेशान करना या पैसे मांगना कानूनन अपराध है। फिर भी राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार 2020 में करीब 7,000 हत्याएं दहेज की वजह से हुईं। तो यह सब उसी समाज का हिस्सा है, जिसके हम बाशिन्दे हैं। अब इस पर कितना गर्व और कितना शर्म किया जाए, यह हमें खुद तय करना होगा। यह भी खुद से पूछना होगा कि आखिर यह सब कब तक चलता रहेगा।
Gulabi Jagat

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