सम्पादकीय

कश्मीर पर काबू कब?

Gulabi
12 Nov 2021 4:00 AM GMT
कश्मीर पर काबू कब?
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आखिर ये शृंखला कब तक जारी रहेगी? चूंकि इस वक्त मीडिया सरकार से सवाल नहीं पूछता और सरकार बाकी किसी को जवाब देने योग्य नहीं मानती, इसलिए ऐसी नाकामियां चर्चा से बाहर बनी रहती हैँ। लेकिन यह सारे देश के लिए गंभीर चिंता का विषय है। हाल में कई लोगों की हत्याएं हो चुकी हैं।

कश्मीर, खास कर राजधानी श्रीनगर में हत्याओं के जारी क्रम ने यह सवाल उठाया है कि आखिर इस राज्य की स्थिति पर भारत सरकार कब काबू पाएगी? ये यह मान लिया जाए कि धारा 370 हटाए जाने के बाद जो उम्मीदें जगाई गईं, उनका ठोस आधार नहीं था? ताजा घटना श्रीनगर के बोहरी कादल इलाके की है, जहां आतंकवादियों ने रोशन लाल मावा नाम के एक कश्मीरी पंडित की परचून की दुकान पर काम करने वाले मोहम्मद इब्राहिम खान की गोली मार कर हत्या कर दी। इसके पहले श्रीनगर के ही बटमालू इलाके में आतंकवादियों ने एक पुलिसकर्मी की हत्या को मार डाला था। परचून की दुकान पर काम करने वाले इब्राहिम खान 45 साल के थे और बांदीपुर के अश्तिंगु गांव के रहने वाले थे। मीडिया में आई खबरों में बताया गया है जिस दुकान पर इब्राहिम काम करते थे, वो 29 सालों से बंद थी और 2019 में दोबारा खुली थी। दुकान के मालिक रोशन लाल मावा 1990 के दशक में घाटी में आतंकवाद की शुरुआत के साथ ही दिल्ली चले गए थे।

वो मई 2019 में श्रीनगर वापस आए। जाहिर है, मावा यह उम्मीद लेकर पहुंचे होंगे कि अब हालात सुधर रहे हैं, तो अपनी पुश्तैनी जगह पर जाकर बसा जाए। अब ताजा घटना से उनके विश्वास पर कैसी चोटी पहुंची होगी, इसका अनुमान भी लगाया जा सकता है। इब्राहिम की हत्या पर पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने एक ट्वीट में कहा कि यह घाटी में जारी टार्गेटेड हत्याओं की एक शृंखला का हिस्सा है। मगर यही असली सवाल है। आखिर ये शृंखला कब तक जारी रहेगी? चूंकि इस वक्त मीडिया सरकार से सवाल नहीं पूछता और सरकार बाकी किसी को जवाब देने योग्य नहीं मानती, इसलिए ऐसी नाकामियां चर्चा से बाहर बनी रहती हैँ। लेकिन यह सारे देश के लिए गंभीर चिंता का विषय है। श्रीनगर और कश्मीर के कुछ और इलाकों में हाल में कई लोगों की हत्याएं हो चुकी हैं। इनमें कम से कम 11 आम नागरिक मारे गए हैं। हालिया घटनाओं के बाद केंद्र सरकार ने घाटी में अर्धसैनिक बलों के 5,000 अतिरिक्त कर्मी भेजे थे। श्रीनगर में पिछले महीने से हाई अलर्ट है। पहले से ही शहर में हजारों सुरक्षाकर्मी तैनात हैं। मगर क्या यह चौंकाने की बात नहीं है कि इसके बाद भी आतंकवादी बिना डरे इस तरह की हत्याओं को अंजाम दे रहे हैं?
नया इण्डिया
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