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वर्ल्ड कप के ठीक बाद 2 महीने के आईपीएल था और उसके बाद वेस्टइंडीज का दौरा
ये बात साल 2011 की है. टीम इंडिया ने 28 साल बाद वर्ल्ड कप जीता था और उस टीम में एक युवा खिलाड़ी ने सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) को कंधों पर उठाया और पूरे मैदान में उनके लिए अभिवादन की तालियां बजवायी. बाद में जब इस युवा खिलाड़ी से उस पल के बारें में सवाल किया गया तो उसने कहा कि तेंदुलकर ने अपने करियर में पूरे हिंदुस्तान की उम्मीदों का बोझ उठाया है और अब वक्त आ गया है कि हम उनके भार को अपने कंधों पर लें. इस युवा खिलाड़ी ने सिर्फ ये बातें उस दिन तेंदुलकर को शारिरिक तौर पर मैदान में उठाने के लिए नहीं कही थी. उनका मानना था कि भारत के युवा बल्लेबाजों को जिनमें वो भी शामिल थे, उन पर तेंदुलकर की अभूतपूर्व विरासत को आगे ले जाने की जिम्मेदारी थी.
वर्ल्ड कप के ठीक बाद 2 महीने के आईपीएल था और उसके बाद वेस्टइंडीज का दौरा. तेंदुलकर ने पहली बार किसी टेस्ट सीरीज से अपना नाम वापस लिया, थकान के नाम पर और उनकी जगह मिली विराट कोहली (Virat Kohli) को.
तेंदुलकर की अभूतपूर्व विरासत को आगे ले जाने की जिम्मेदारी
कोहली पिछले 3 साल से सफेद गेंद की क्रिकेट में भारत का हिस्सा थे लेकिन टेस्ट क्रिकेट में उन्हें मौके नहीं मिल रहे थे. कैरेबियाई दौरे पर कोहली इस तरह तेज गेंदबाजी के आगे नाकाम हुए कि उन्हें अगले इंग्लैंड दौरे के लिए टीम से बाहर कर दिया गया. ये कोहली के करियर का बेहद निराशाजनक पल था. मुझे ये पल निजी तौर पर खास तौर से याद है, क्योंकि जब वेस्टइंडीज के दौरे से टीम इंडिया लौट रही थी तो वीवीएस लक्ष्मण और राहुल द्रविड़ जैसे खिलाड़ियों को इंग्लैंड के गैटविक एअरपोर्ट में फ्लाइट बदलनी थी. वहीं कोहली समेत बाकि खिलाड़ियों को इंग्लैंड से भारत के लिए रवाना होना था. मैं उस दिन एयरपोर्ट पर द्रविड़ के इटंरव्यू के लिए पहुंचा था, लेकिन जब कोहली बगल से गुजर रहे थे तो मैंने उनसे बात करने की कोशिश की. चूंकि, कोहली को मैं निजी तौर पर पिछले कुछ सालों से जानता था तो एक रिपोर्टर के तौर पर मैंने उनको सांत्वना देने की कोशिश की और कहा कि आप जल्द टीम में वापस आएंगे. कोहली ने ज़्यादा कुछ नहीं कहा और सिर्फ पलटकर बोलें- इंतज़ार करिएगा, वापसी इस बार ऐसी होगी कि सब याद रखेंगे!
अपने शब्दों को हकीकत में बदलने में कामयाब रहे!
और वाकई में वो अपने शब्दों को हकीकत में बदलने में कामयाब रहे. उसके बाद जब कोहली की टीम इंडिया में वापसी हुई तो उन्होंने पलटकर नहीं देखा और अब 100वां टेस्ट खेलने वाले चुनिंदा दर्जन भारतीय खिलाड़ियों की एलीट क्लब में सामिल होने जा रहें हैं. सुनील गावस्कर, सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़ और विराट कोहली ये वो 4 नाम हैं जो आने वाले 50 साल तक कम से कम किसी भी सर्वकालीन महान भारतीय टेस्ट टीम का हिस्सा बिना किसी बहस के होंगे. गावस्कर, तेंदुलकर और द्रविड़ के लिए टेस्ट क्रिकेट में अपनी महानता को साबित करना एक तरह से औपचारिकता को पूरा करने के जैसा था, लेकिन कोहली जैसे खिलाड़ी जिसका उदय टी20 के दौर में हुआ, जो पार्टी करने के लिए जाने जाते थे, जिनकी छवि मुंहफट और बदतमीज़ की थी, उनके लिए क्रिकेट के सबसे परंपरागत और सर्वश्रैष्ठ माने जाने वाले फॉर्मेट में ऐसे दबदबे की उम्मीद शायद ही किसी ने एक दशक पहले की होगी.
भारतीय क्रिकेट में टेस्ट के मायने बदल डाले
कोहली ने ना सिर्फ एक बल्लेबाज के तौर पर टेस्ट क्रिकेट में अपना लोहा मनवाया, बल्कि भारतीय क्रिकेट में टेस्ट क्रिकेट के मायने बदल डाले. जिस युवा पीढ़ी पर ये आरोप लगता था कि वो शायद टेस्ट क्रिकेट की परवाह नहीं करतें है, कोहली ने बीसीसीआई को मजबूर किया कि वो एक साल में 15-15 टेस्ट खेले. इतना ही नहीं कोहली ने अपने आक्रामक नजरिये से कप्तानी करते हुए टीम का चरित्र ही बदल डाला. 2014 में जो टीम आईसीसी टेस्ट रैंकिंग में 7वें नंबर थी उसे ना सिर्फ टॉप पर पहुंचाया, बल्कि पिछले 5 सालों से लगातार टीम इंडिया नंबर 1 पर ही काबिज है. यदा-कदा कुछ हफ्तों के उतार-चढ़ाव को अगर नज़रअंदाज किया जाए तो.
कोहली को एक बार फिर से नई शुरुआत करनी है
बहरहाल, करियर में 100वें टेस्ट की दहलीज पर खड़े कोहली को एक बार फिर से नई शुरुआत करनी है. कप्तानी छोड़ने के बाद ये उनकी पहली टेस्ट सीरीज है. कोहली शायद अपने आदर्श तेंदुलकर की तरह रिकॉर्ड 200 मैच नहीं खेल पाए, लेकिन वो अपने कोच राहुल द्रविड़ के 163 टेस्ट के रिकॉर्ड को निश्चित तौर पर अपना लक्ष्य बना सकते हैं. लेकिन, ये इतना आसान भी तो नहीं. नवंबर 2019 के बाद से खेली गयी 27 पारियों में कोहली के बल्ले से एक भी शतक नहीं निकला है. ये एक अजीब आंकड़ा हैं. तसल्ली की बात ये है कि शतक नहीं लगाने के बावजूद कोहली ने इस दौरान भी एक से बढ़कर एक उम्दा पारियां खेलीं हैं. कप्तानी की जिम्मेदारी से मुक्त होने के बाद क्या कोहली फिर से एक बल्लेबाज़ के तौर पर वैसी ही भूख दिखा पायेंगे. ये अपने आप में एक बड़ा सवाल है, क्योंकि अगर कोहली के करियर पर नजर डाले तो उनकी सबसे बेहतरीन पारियां कप्तान के तौर पर आयीं है. इस मामले में भी कोहली आधुनिक भारत के दो महान बल्लेबाज तेंदुलकर और द्रविड़ से अलग हैं जिनकी बल्लेबाजी कप्तानी के दबाव में बिखर सी गयी थी. लेकिन, कोहली के साथ हालात बिल्कुल अलग हैं. कोहली को खुद को प्रोत्साहित करने के लिए अब कप्तानी फैक्टर नहीं है. क्या कोहली एक बल्लेबाज के तौर पर फिर से नई पारी की शुरुआत कर सकते हैं? इस सवाल का जवाब हमें मोहाली टेस्ट में देखने को मिल सकता है जो उनके करियर का एक यादगार लम्हा होने वाला है.
(डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं. लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है. इसके लिए जनता से रिश्ता किसी भी तरह से उत्तरदायी नहीं है)
विमल कुमार
न्यूज़18 इंडिया के पूर्व स्पोर्ट्स एडिटर विमल कुमार करीब 2 दशक से खेल पत्रकारिता में हैं. Social media(Twitter,Facebook,Instagram) पर @Vimalwa के तौर पर सक्रिय रहने वाले विमल 4 क्रिकेट वर्ल्ड कप और रियो ओलंपिक्स भी कवर कर चुके हैं.
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