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खुद को बचाना चाहते हैं और बाहर निकलते समय मास्क लगाते हैं।
नवंबर के महीने में क्या कभी प्रदूषित हवा से छुटकारा मिल सकता है? अगर आप दिल्ली में रहते हैं, या राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र या उत्तर भारत के किसी भी इलाके में रहते हैं, तो यह ऐसा समय है, जब वायु गुणवत्ता सूचकांक (एयर क्वालिटी इंडेक्स-एक्यूआई) हर रोज चर्चा का विषय बन जाता है। हम एक ऐसे चरण में पहुंच गए हैं, जब हवा की गुणवत्ता में थोड़ा-सा भी सुधार होता है और हवा की गुणवत्ता को 'गंभीर' या 'खतरनाक' के बजाय 'खराब' के रूप में वर्गीकृत किया जाता है, तो जश्न मनाने लगते हैं।
लेकिन आंशिक रूप से पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने, औद्योगिक एवं वाहनों के धुएं तथा सड़कों की धूल की वजह से दिल्ली की जहरीली, धुएं से भरी हवा उन सभी लोगों के लिए आम बात हो गई है, जो इस शहर में रहते हैं। यह खबर बन जाती है, क्योंकि दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी है। हर साल सर्दियों में हवा में विषाक्तता कई कारणों से बढ़ जाती है, जिसमें हवा की कम गति, त्योहार की आतिशबाजी और पड़ोसी राज्यों में किसानों द्वारा फसल अवशेषों को जलाना शामिल है।
मानव स्वास्थ्य पर इसके भयंकर दुष्प्रभावों के बावजूद स्थिति में कोई सुधार नहीं हो रहा है। मगर भारत में वायु प्रदूषण न तो दिल्ली तक सीमित है और न ही सर्दियों तक और न ही शहरों तक। वायु प्रदूषण के बारे में सभी गर्मागर्म चर्चाओं में, जिस बात को अक्सर नजर अंदाज किया जाता है वह है, लोगों के विभिन्न समूहों पर वायु प्रदूषण का अलग-अलग प्रभाव। प्रदूषित हवा सबको प्रभावित करती है, लेकिन समान रूप से नहीं। जिन लोगों को अपनी आजीविका के लिए बाहर रहने की आवश्यकता होती है, वे प्रदूषित हवा से अधिक प्रभावित होते हैं।
निवास स्थान भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सघन औद्योगिक या व्यावसायिक स्थानों के पास रहने वाले गरीब लोग घर के साथ-साथ काम पर भी औद्योगिक प्रदूषण के अधिक जोखिम का सामना करते हैं। इस आलेख को लिखे जाने के समय दिल्ली का एक्यूआई कुल मिलाकर 295 है, लेकिन दिल्ली में हर कोई एक ही तरह की जहरीली हवा में सांस नहीं ले रहा है। प्रमुख परिवहन केंद्र आनंद विहार, जहां वाहनों के उत्सर्जन और सड़क की धूल की उच्च सांद्रता है और साहिबाबाद का औद्योगिक क्षेत्र तथा पास में स्थित गाजीपुर लैंडफिल का एक्यूआई 342 से ऊपर है।
उन लोगों की स्थिति की कल्पना कीजिए, जिनके पास दिन के अधिकांश समय बाहर रहने के अलावा कोई विकल्प नहीं है, जैसे रिक्शा चालकों, सड़क पर दुकान लगाने वालों को जहरीली हवा में सांस लेना पड़ता है। इसके विपरीत, यदि आप दिल्ली के मध्य में स्थित लक्जरी होटल, द ओबेरॉय के मनोरंजन कक्ष में जाते हैं, तो आपको एक संकेत दिखाई देगा कि होटल सुइट्स के भीतर एक्यूआई 10 से कम है। पांच नवंबर को इस लक्जरी होटल के भीतर एक्यूआई वास्तव में सिर्फ तीन था, जबकि उस दिन दिल्ली का कुल एक्यूआई 444 था।
इस लक्जरी होटल का कहना है कि इसमें अत्याधुनिक केंद्रीकृत वायु शोधन प्रणाली है, जो ग्राहकों के होटल के कमरे में आने और होटल के अन्य हिस्सों में सांस लेने पर हवा को मौलिक रूप से साफ करती है। ओबेरॉय के एक वेटर ने मुझे बताया कि वह केवल स्वच्छ हवा के लाभ के कारण होटल के अंदर लंबे समय तक रहने से खुश है और जब उसने होटल से बाहर कदम रखा, तो उसने मास्क पहना था। अति समृद्ध भारतीय अब एयर प्यूरिफायर लगाकर, घर के अंदर अधिक 'संरक्षित हवा' में खुद को बचाना चाहते हैं और बाहर निकलते समय मास्क लगाते हैं।
सोर्स : अमर उजाला
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