- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- जब जवाबदेही हो ही
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। ऐसी घटनाएं अब आम होती जा रही हैं। इसका मतलब यह है कि हर पिछली घटना से आगे के लिए कोई सबक नहीं लिया जाता। ऐसा शायद इसलिए होता है, क्योंकि हर जवाबदेह अधिकारी यही मान कर चलता है कि उसकी कोई जवाबदेही नहीं है- या अगर हो भी तब भी अपने यहां सिस्टम ऐसा है कि उसे तय करने की फिक्र किसी को नहीं होगी। तो इस माहौल में जान की कीमत कोई अधिकारी नहीं समझता। यही बात महाराष्ट्र के भंडारा जिला अस्पताल में रविवार को आग लगने की घटना के बाद आई जानकारी से जाहिर होती है। उस हादसे में दस नवजात बच्चों की मौत हुई थी। अब पता चला है कि अस्पताल में अभी तक फायर ऑडिट नहीं करवाया गया था। भंडारा जिला अस्पताल में 1.52 करोड़ रुपये की लागत से स्थापित होने वाला फायर सेफ्टी सिस्टम का प्रस्ताव बीते सात महीनों से राज्य सरकार के पास लंबित पड़ा है। 2015 में बने अस्पताल के सिक नियोनेटल केयर यूनिट (एसएनसीयू) में 2016-2017 में सिर्फ एक बार मॉक फायर ड्रिल हुई थी। उसके बाद किसी ने इसकी चिंता नहीं की।