सम्पादकीय

जब शव-वाहिनी बनी गंगा

Gulabi
27 Dec 2021 4:30 AM GMT
जब शव-वाहिनी बनी गंगा
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कोरोना महामारी के दूसरे दौर में जो हृदय विदारक नजारे देखने को मिले
सच कहा जाता है कि सच्चाई कभी छिपती नहीं है। गंगा में लाशें डाले जाने का जिक्र अब खुद स्वच्छ गंगा मिशन के प्रमुख राजीव रंजन मिश्रा ने किया है। मिश्रा की नई किताब- "गंगा: रीइमैजिनिंग, रीजूवनेटिंग, रीकनेक्टिंग" का एक पूरा हिस्सा इसी घटना पर केंद्रित है।
कोरोना महामारी के दूसरे दौर में जो हृदय विदारक नजारे देखने को मिले, उनमें एक गंगा नदी में तैरती लाखों का था। लेकिन सरकारी दस्तावेजों में इस दिल को दहला देने वाली घटना का कोई जिक्र नहीं मिलता। सरकार का नजरिया ऐसा है, जैसे कुछ हुआ ही नहीं। बहरहाल, असल में क्या हुआ, ये कहानी खुद गंगा के प्रभारी अधिकारी ने बता दी है। गंगा में लाशें डाले जाने का जिक्र खुद स्वच्छ गंगा मिशन के प्रमुख राजीव रंजन मिश्रा ने किया है। मिश्रा की नई किताब- "गंगा: रीइमैजिनिंग, रीजूवनेटिंग, रीकनेक्टिंग" का एक पूरा हिस्सा इसी घटना पर केंद्रित है। मिश्रा ने लिखा है- "जैसे जैसे कोविड-19 महामारी की वजह से लाशों की संख्या बढ़ने लगी, जिला प्रशासन विह्वल हो गए। उत्तर प्रदेश और बिहार के शवदाहगृहों और श्मशान घाटों पर क्षमता से ज्यादा लाशें आने लगीं, ऐसे में गंगा में लाशों को डाला जाने लगा।" इस विवरण के मुताबिक लाशें उत्तर प्रदेश में नजर आईं। नदी के बिहार वाले हिस्सों में जो लाशें मिलीं, वो उत्तर प्रदेश से ही बहकर वहां पहुंची थीं। सभी लाशें उत्तर प्रदेश के कन्नौज और बलिया के बीच गंगा में डाली गई थीं। तो मिश्रा ने पूरा ब्योरा सामने रख दिया है।
मई 2021 में दूसरी लहर के दौरान मिश्रा खुद कोविड का शिकर हो गए थे। अस्पताल में उनका इलाज किया गया था। उन्होंने किताब में लिखा है कि अस्पताल में अपने इलाज के दौरान ही उन्हें इन घटनाओं के बारे में पता चला। तब उन्होंने सभी 59 जिला गंगा समितियों को इस स्थिति से निपटने का आदेश दिया। फिर उत्तर प्रदेश और बिहार सरकार को भी इस मामले पर विस्तृत रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा गया। किताब में इस बात जिक्र है कि केंद्रीय अधिकारियों की एक बैठक में उत्तर प्रदेश के एक वरिष्ठ अधिकारी ने माना कि राज्य के कई हिस्सों में ऐसा वाकई हुआ है। वैसे मई में मध्य प्रदेश में कुछ दूसरी नदियों में भी बहती हुई लाशें मिली थीं। तब कहा गया था कि गरीब परिवारों ने दाह संस्कार का खर्च उठाने में असमर्थता की वजह से शवों को नदी में प्रवाहित कर दिया, हालांकि इस बात की पुष्टि नहीं हो पाई। वैसे यह नजारा दुनिया ने जरूर देखा कि कई लोगों ने शवों को नदी के किनारे रेत में दफना दिया था। अब सच एक उच्च पदस्थ अधिकारी ने बयान किया है। सच कहा जाता है कि सच्चाई कभी छिपती नहीं है।
नया इण्डिया
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