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पिछले रविवार को हमने हमारी 92 वर्षीय सुर सम्राज्ञी लता दीदी को खो दिया
एन. रघुरामन का कॉलम:
'...हुई और भी मुलायम मेरी शाम ढलते-ढलते।' आप ताज्जुब कर रहे होंगे कि क्या वजह है कि आज का कॉलम मैंने एक पुरानी फिल्म सिलसिला के नग़मे 'ये कहां आ गए हम, यूं ही साथ चलते-चलते' के अंतरे की एक पंक्ति से शुरू किया? ऐसा इसलिए क्योंकि जिंदगी, उसकी लंबी आयु और हमारे जीवन की ढलती शाम के साथ उसे मुलायम बनाने की जरूरत से जुड़े कई घटनाक्रम पिछले और इस हफ्ते के बीच घटे।
पिछले रविवार को हमने हमारी 92 वर्षीय सुर सम्राज्ञी लता दीदी को खो दिया। वह कोविड के बाद दूसरी जटिलताओं की शिकार हो गई थीं। उनके गाए हजारों गीतों में से उन पंक्तियों को मैं हमेशा याद रखता हूं, जिसमें से एक का मैंने शुरू में जिक्र किया था, वो भी इसलिए क्योंकि उन्होंने इस गीत में जिस तरह से 'मुलायम' शब्द का उच्चारण किया था, यहां तक कि हिंदी नहीं समझने वाला इंसान भी कह उठेगा, 'वाह...कितना कोमल अल्फाज़ है! मुझ पर यकीन नहीं, तो वो नग़मा फिर से सुनिए।
यह उनकी आवाज़ की ताकत है, जो सुनने वालों का दिलो-दिमाग झंकृत कर देती है। और जब हम इस रविवार की ओर बढ़ना शुरू हुए, पूरा ब्रिटेन चिंतित हो उठा क्योंकि उनकी 95 वर्षीय महारानी प्रिंस चार्ल्स के कोिवड पॉजिटिव होने से दो दिन पहले ही उनके संपर्क में आई थीं। उन पर बारीकी से नजर है और यह कॉलम लिखे जाने तक उनमें वायरस के लक्षण नहीं दिखे थे।
इन दो इतवारों के बीच दो अलग-अलग सम्राज्ञियों का जिक्र हुआ और इस बीच एक भी दिन ऐसा नहीं गुजरा, जब हमारी जिंदगी लंबी करने के सरल साधनों के बारे में बताते शोध सामने नहीं आए। इस सोमवार को ब्रिटिश मेडिकल जर्नल ने दावा किया कि रोजाना गर्म पानी से स्नान या कम से कम हफ्ते में दो बार ऐसा करने से हम लंबा जीते हैं क्योंकि इससे हृदय रोगों की आशंका 26 से 28% कम होती है।
मंगलवार को कुछ अकादमिक संस्थाओं के निष्कर्ष में कहा गया कि लंबा जीवन जीने की संभावनाएं बढ़ाने का एक तरीका, रात में नियमित सात घंटे की नींद है। दावा है कि आठ घंटे से ज्यादा व सात घंटे से कम नींद से इंसान डिमेंशिया का शिकार हो सकता है या वक्त आने से पहले ही मौत की आशंका बढ़ जाती है। हो सकता है कि उन्होंने दिल की धड़कन या ली गई सांस के संबंध में सोने के घंटों के आधार पर गणना की हो।
बुधवार को लंदन की क्वीन मैरी यूनिवर्सिटी व हंगरी में बूडापेस्ट की सेमल्वेस यूनिवर्सिटी के अध्ययन में सामने आया कि दिन में तीन कप कॉफी पीने से हृदय रोगों से मौत की आशंका 17% और स्ट्रोक से मौत की आशंका 21% कम हो जाती है। इस गुरुवार को इंपीरियल कॉलेज, लंदन के नेशनल हार्ट एंड लंग इंस्टीट्यूट ने पाया कि सामान्य जुकाम में शरीर द्वारा निर्मित वही टी-सेल्स कोविड-19 से प्रभावित शरीर की भी रक्षा कर सकते हैं।
चूहों पर किए प्रयोगों के बाद शुक्रवार को सामने आया कि मशरूम खाने से जीवन 9 से 20 साल तक बढ़ सकता है। शनिवार को एक अन्य शोध में कहा गया कि अगर कोई 80 साल की उम्र के बाद भी सही खानपान की दिशा में कोई बदलाव शुरू करता है, तो धरती पर खुद के लिए अतिरिक्त 3-4 साल मांग सकता है।
जिंदगी को लंबा करने के हमारे आधुनिक जुनून की खातिर हमारे वैज्ञानिक हमें ये बताने में व्यस्त हैं कि किन चीजों से समझौता करना है। पर मेरी राय है कि हमें यह खोजने में व्यस्त होना चाहिए कि इस धरती माता की गोद में बिताए जीवन को कैसे सुगम बनाएं जैसे हमारी लता दीदी कहती थीं, क्योंकि जीवन जीने के लिए है!
फंडा यह है कि हमारे जीवन की शाम (पढ़ें उम्र) जब धीरे-धीरे ढल रही है, ऐसे में हमें हर हाल में इसे 'मुलायम' बनाने के लिए जो ठीक लगे, वो करना चाहिए।
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